वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अयोध्या विवाद बातचीत से हल करें 

By वेद प्रताप वैदिक | Published: March 5, 2019 07:37 AM2019-03-05T07:37:15+5:302019-03-05T07:37:15+5:30

यह ठीक है कि पुलवामा-कांड और भारत-पाक टकराव के बाद राम मंदिर का सवाल पीछे खिसक गया था। अब एक बार फिर अयोध्या-विवाद सारी राजनीति का केंद्रबिंदु बन जाएगा।

Ayodhya dispute matter solve with dialogue | वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अयोध्या विवाद बातचीत से हल करें 

वेदप्रताप वैदिक का ब्लॉग: अयोध्या विवाद बातचीत से हल करें 

पूरा पिछला हफ्ता भारत-पाक टकराव में निकल गया। इस बीच हमारे सर्वोच्च न्यायालय ने तीन बड़े फैसले किए, ये तीन फैसले क्या थे ? पहला, राम मंदिर और बाबरी मस्जिद का, दूसरा, जंगलों की जमीन से विस्थापित किए जानेवाले निवासियों का और तीसरा, अरावली के जंगलों को खत्म नहीं करने का। इन आखिरी दो फैसलों के कारण काफी मुसीबतों से लाखों लोगों को छुटकारा मिलेगा। वे लोग अदालत के आभारी होंगे लेकिन राम-मंदिर और बाबरी मस्जिद के बारे में अदालत ने जो ताजा सुझाव दिया है, उस पर सरकार और याचिकाकर्ताओं को गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।

 यह ठीक है कि पुलवामा-कांड और भारत-पाक टकराव के बाद राम मंदिर का सवाल पीछे खिसक गया था। अब एक बार फिर अयोध्या-विवाद सारी राजनीति का केंद्रबिंदु बन जाएगा। इस समय देश की जनता के सामने ‘सबका साथ, सबका विकास’ और तरह-तरह के तर्क लगभग निर्थक होते जा रहे हैं। राफेल का मुद्दा भी नेपथ्य में चला गया है। इसीलिए सर्वोच्च न्यायालय के इस सुझाव पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी दल और सभी याचिकाकर्ताओं को एक साथ आना चाहिए कि यदि यह मसला बातचीत से हल हो सकता हो और इसकी एक प्रतिशत भी संभावना हो तो उसे तलाशा जाना चाहिए। 

1992 में नरसिंहराव सरकार और याचिकाकर्ताओं के बीच बातचीत का सिलसिला चला था।  विहिप ने कार-सेवा तीन माह के लिए स्थगित भी की थी लेकिन कुछ  अतिवादी लोगों ने बातचीत का पुल भी ढहा दिया।  सरकार को तुरंत पहल करके दोनों पक्षों से बातचीत शुरू करनी चाहिए। 70 एकड़ जमीन में भव्य राम मंदिर के साथ-साथ सर्वधर्म विश्व-तीर्थ के प्रस्ताव पर सभी पक्षों को राजी करना कठिन नहीं है। अयोध्या-विवाद बातचीत से हल हो सकता है। 

Web Title: Ayodhya dispute matter solve with dialogue