लाइव न्यूज़ :

अवधेश कुमार का ब्लॉग: पूर्वोत्तर में शांति से अफस्पा क्षेत्रों में कमी

By अवधेश कुमार | Updated: May 4, 2022 10:39 IST

अफस्पा को अंग्रेजों ने अगस्त 1942 में लागू किया था. उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर था और अंग्रेज द्वितीय विश्व युद्ध की चुनौतियों से भी परेशान थे. आजादी के बाद सितंबर 1958 में संसद में भी इसे पारित किया गया.

Open in App

पिछले 30 मार्च की रात्रि को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जब अफस्पा के अधिकार क्षेत्र को सीमित करने की जानकारी दी तो पूर्वोत्तर में इसका व्यापक स्वागत हुआ. गृह मंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों के दौरान भारत सरकार ने पूर्वोत्तर में उग्रवाद समाप्त करने और स्थायी शांति लाने के लिए कई समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं. 

अलगाववाद और हिंसा से ग्रस्त क्षेत्रों में ही मुख्यतः अफस्पा लागू किया जाता है. अगर अलगाववाद के कारण उग्रवादी व हिंसक गतिविधियां घटती हैं तो फिर धीरे-धीरे अफस्पा को हटाने में कोई समस्या नहीं होती. आज यह मानने में किसी को हिचक नहीं है कि 2014 के पहले पूर्वोत्तर में उग्रवाद, हिंसा और अलगाववाद के संदर्भ में जैसी स्थिति थी उसमें आमूल परिवर्तन आ चुका है. 

यही नहीं, विकास कार्यों में भी तेजी आई है. परिणामस्वरूप अफस्पा के तहत घोषित अशांत क्षेत्रों में भी आपको शांति और स्थिरता दिखाई देगी.

जब भाजपा असम में सत्ता में आई थी तो वहां अफस्पा लागू था. स्थिति में सुधार की संभावना कम थी या सुधार होने के बाद बिगड़ जाती थी. इस कारण पूर्व सरकारों के अंदर अफस्पा को धीरे-धीरे हटाने या उसके प्रभाव को कम करने के लिए कदम उठाने का साहस पैदा नहीं होता था़ जमीनी स्थिति में सुधार के कारण अब असम के 23 जिलों से अफस्पा हटा दिया गया है. इसमें प्रधानमंत्री का यह कहना अव्यावहारिक नहीं है कि अन्य हिस्सों में स्थिति को सामान्य करने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वहां से भी अफस्पा को हटाया जा सके.

अफस्पा को अंग्रेजों ने अगस्त 1942 में लागू किया था. उस समय भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन चरम पर पहुंच गया था और अंग्रेज परेशान थे क्योंकि उन्हें द्वितीय विश्व युद्ध में भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था. आजादी के बाद सितंबर 1958 में संसद में भी इसे पारित किया गया. उस समय पंडित जवाहरलाल नेहरु के नेतृत्व में कांग्रेस की सरकार थी. 

देश में अगर उग्रवाद, अशांति और हिंसा की स्थिति पैदा नहीं होती तो सरकार कानून को खत्म भी कर देती. उपनिवेश काल में दूसरे के शासन को देखते हुए सारी व्यवस्थाएं और कानून उत्पीड़क दिखते हैं परंतु सच यही है कि आजादी के बाद उनमें से अनेक बनाए रखे गए.

टॅग्स :अमित शाहनरेंद्र मोदीअसमजवाहरलाल नेहरू
Open in App

संबंधित खबरें

विश्व7 सिस्टर्स को भारत से अलग कर देंगे: बांग्लादेश नेता की गीदड़ भभकी, असम के सीएम ने भी दिया करारा जवाब, VIDEO

भारतकौन हैं ऋतुराज सिन्हा?, नितिन नबीन की जगह दी जाएगी बड़ी जिम्मेदारी

भारतभाजपा को मां के समान मानते?, बिहार प्रमुख संजय सरावगी बोले-आगे बढ़ाने की दिशा में ईमानदारी से काम करेंगे

विश्वखुद ड्राइव कर प्रधानमंत्री मोदी को जॉर्डन संग्रहालय ले गए प्रिंस अल हुसैन बिन अब्दुल्ला द्वितीय, वीडियो

भारततमिलनाडु-असम विधानसभा चुनाव 2026ः पीयूष गोयल-बैजयंत पांडा प्रभारी और अर्जुन राम मेघवाल, मुरलीधर मोहोल, सुनील कुमार शर्मा और दर्शना बेन जरदोश सह-प्रभारी नियुक्त

भारत अधिक खबरें

भारतदिल्ली में 17 दिसंबर को ‘लोकमत पार्लियामेंटरी अवॉर्ड’ का भव्य समारोह

भारतछत्तीसगढ़ को शांति, विश्वास और उज्ज्वल भविष्य का प्रदेश बनाना राज्य सरकार का अटल संकल्प: 34 माओवादी कैडरों के आत्मसमर्पण पर बोले सीएम साय

भारतहैदराबाद का रहने वाला था बोंडी बीच शूटर साजिद अकरम, उसका बेटा ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, तेलंगाना पुलिस ने की पुष्टि

भारतहरियाणा सरकारः 23वां जिला हांसी, मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने की घोषणा

भारतआतंकी मुठभेड़ के दौरान शहीद हुए जवान अमजिद अली, पुलिस ने शहादत को किया सलाम