अवधेश कुमार का ब्लॉग: आतंकी हमलों का माकूल जवाब दिया जाए
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Published: May 7, 2020 03:11 PM2020-05-07T15:11:49+5:302020-05-07T15:11:49+5:30
पिछले कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर से जो तस्वीरें सामने आई हैं, उससे साबित होता है कि पाकिस्तान अब भी अपने नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है। हालांकि, उसकी तमाम कोशिशों के बावजूद भारतीय सेना उसके हर इरादे को विफल करने में कामयाब हो रही है। पढ़ें अवधेश कुमार का ब्लॉग...
देश को इस बात पर गर्व है कि हमारे सुरक्षा बलों ने पांच दिनों के अंदर पांच आतंकवादियों को मार गिराया एवं एक पाकिस्तानीआतंकवादी को जिंदा पकड़ लिया. मारे गए आतंकवादियों में हिजबुल मुजाहिद्दीन का सर्वोच्च कमांडर रियाज नायकू तथा लश्कर-ए-तैयबा का उच्च कमांडर हैदर शामिल है.
आतंकवाद की समस्त सफाई के अभियान ऑपरेशन ऑल आउट की दृष्टि से यह बड़ी सफलता है. पिछले एक हफ्ते से कश्मीर घाटी में अलग-अलग जगहों पर आतंकवादियों का हमला एवं मुठभेड़ यह बताने के लिए पर्याप्त है कि पाकिस्तान अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है. मुठभेड़ों में हमारे भी आठ बहादुर जवान शहीद हुए हैं.
इन घटनाओं का गहराई से विश्लेषण जरूरी है. अप्रैल-मई में पाकिस्तान सबसे ज्यादा घुसपैठ कराने की कोशिशंे करता है, क्योंकि इस मौसम में एंटी इन्फिल्ट्रेशन ऑब्स्टकल सिस्टम यानी घुसपैठ रोधी बाधा प्रणाली को ढंकने वाली बर्फ पिघलने लगती है और बर्फ के नीचे दबी बाड़ टूट चुकी होती है.
इसके लिए पाकिस्तान युद्धविराम का उल्लंघन कर गोलीबारी की आड़ देता है जिसके कारण आतंकवादी घुसपैठ करने में सफल होते हैं. साफ है कि दुनिया भले कोरोना प्रकोप से बाहर आने के लिए संघर्ष कर रही हो, पाकिस्तान भी इसमें फंसा हुआ है, लेकिन वह कश्मीर में आतंकवादी को निर्यात करने से बाज नहीं आ रहा है.
पाकिस्तान दक्षिण कश्मीर से ले जाकर उत्तर कश्मीर में आतंकवादियों को सक्रिय करना चाहता है. इसके लिए वह घुसपैठ की कोशिशें लगातार उत्तर से कर रहा है. हमारे जवान इन आतंकवादियों का काम तमाम करेंगे इसमें किसी को संदेह नहीं है. लेकिन यह स्वीकारने में आपत्ति नहीं है कि 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 हटाने के पूर्व उठाए गए ऐतिहासिक सुरक्षा कदमों के कारण आतंकवादी घटनाएं जिस तरह रु की थीं, शांति आ रही थीं, उस स्थिति में गिरावट आई है. उस कदम के बाद पाकिस्तान के रवैये से साफ था कि वह हर हाल में कश्मीर को जलाने की जितनी कोशिश कर सकता है करेगा.
इसलिए जम्मू-कश्मीर विशेषकर कश्मीर घाटी में लगाई गई बंदिशों को कुछ समय तक जारी रखा जाना आवश्यक था. जो लोग मोबाइल, नेट आदि बंद होने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय गए थे वे दोबारा वहां यह अपील नहीं करने जाएंगे कि आतंकवादियों की घुसपैठ बढ़ रही हैं, इसलिए बंदिशें फिर से लागू करने का आदेश दिया जाए. जब आप मोबाइल और नेट आदि चालू करते हैं, तो उसका लाभ आतंकवादी और सीमा पर उनके प्रायोजक उठाते हैं. भारत के पास इससे बड़ा अवसर जम्मू-कश्मीर में शांति स्थापना का नहीं हो सकता.