अवधेश कुमार का ब्लॉग: कोरोना संकट के दौर में भारत और चीन की वैश्विक भूमिका

By अवधेश कुमार | Published: April 12, 2020 05:38 AM2020-04-12T05:38:54+5:302020-04-12T05:38:54+5:30

भारत में कोविड 19 प्रकोप की भावी स्थिति क्या होगी इसके बारे में कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. हम इस महामारी के भयावह प्रकोप का शिकार हो सकते हैं और नहीं भी. बावजूद इसके अपने अंदर के संकट से लड़ते और बचने का उपाय करते हुए भारत ने वैश्विक बिरादरी की चिंता, आवश्यकतानुसार सहयोग, मदद आदि का जैसा व्यवहार किया है उसकी प्रशंसा चारों ओर हो रही है.

Awadhesh Kumar blog: India and China global role in Coronavirus outbreak | अवधेश कुमार का ब्लॉग: कोरोना संकट के दौर में भारत और चीन की वैश्विक भूमिका

चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग और भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी। (फाइल फोटो)

दुनिया ने आठ अप्रैल को चीन के शहर वुहान से 76 दिनों बाद समाप्त हुए लॉकडाउन की तस्वीरें देखीं. लोग जहां थे वहां से निकलकर भाग रहे थे. इसे सरल शब्दों में एक विडंबना ही कहा जाएगा कि दुनिया में जहां सबसे पहले कोरोना का आविर्भाव हुआ वह देश लॉकडाउन और बंदिशों से मुक्त हो गया तो दुनिया के ज्यादातर देशों को अपने यहां लॉकडाउन सहित आपातकाल, कड़े कानूनों सहित बंदिशों को सख्त करना पड़ रहा है.

दुनिया संकट में है लेकिन चीन की स्थिति को सामान्य माना जा रहा है. एक धारणा यह है कि चीन दुनिया के संकट का व्यापारिक-आर्थिक लाभ लेने की योजना पर काम करते हुए उत्पादन पर फोकस कर रहा है. उसकी नजर प्रमुख देशों की उन कंपनियों पर भी है जिनकी वित्तीय हालत खराब हो चुकी है. उसमें निवेश कर वह अपने आर्थिक विस्तार की योजना पर काम करने लगा है. ये संभावनाएं भय पैदा करती हैं कि कहीं कोरोना संकट दुनिया में चीन के सर्वशक्तिमान देश बन जाने में परिणत न हो जाए. यह एक पक्ष है जो भारत सहित दुनिया के ज्यादातर देशों के लिए चिंताजनक है. किंतु कुछ दूसरे पक्ष भी हैं जिन पर नजर डालना आवश्यक है.

भले अब कोई देश खुलकर चीन की आलोचना नहीं कर रहा है, लेकिन सच यही है कि पूरी दुनिया में उसके व्यवहार को लेकर गहरी नाराजगी का भाव है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कुछ समय पहले तक कोविड 19 वायरस को चीनी वायरस कहते थे तथा इसे फैलाने के लिए चीन को लगातार दोषी ठहरा रहे थे. आप अगर ध्यान से कुछ सप्ताह पहले तक की खबरों को देखेंगे तो दुनिया के अनेक नेताओं का चीन से नाखुशी का वक्तव्य आपको मिल जाएगा.

ऐसा नहीं हो सकता कि यह भाव अचानक खत्म हो गया है. जी-20 के वीडियो कॉन्फ्रेंस से आयोजित सम्मेलन में, जिसमें चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग भी उपस्थित थे, इस बात की पूरी संभावना थी कि कुछ देश चीन से नाराजगी व्यक्त करें, पर प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने बुद्धिमत्ता से ऐसा नहीं होने दिया. उन्होंने अपने भाषण के आरंभ में कहा कि यह समय किसी को दोष देने या वायरस कहां से आया इस पर बात करने का नहीं बल्कि मिलकर इसका मुकाबला करने का है. इसका असर हुआ और सकारात्मक परिणामों के साथ वर्चुअल शिखर बैठक खत्म हुई. किंतु न बोलने का अर्थ यह नहीं है कि चीन विरोधी मानसिकता भी खत्म हो गई है.

वास्तव में इस पूरे संकट के दौरान चीन और भारत की भूमिका में ऐसा मौलिक अंतर दुनिया ने अनुभव किया है जिसका प्रभाव भी भविष्य के परिदृश्य पर पड़ना निश्चित है. भारत में कोविड 19 प्रकोप की भावी स्थिति क्या होगी इसके बारे में कोई भी पूर्वानुमान नहीं लगाया जा सकता. हम इस महामारी के भयावह प्रकोप का शिकार हो सकते हैं और नहीं भी. बावजूद इसके अपने अंदर के संकट से लड़ते और बचने का उपाय करते हुए भारत ने वैश्विक बिरादरी की चिंता, आवश्यकतानुसार सहयोग, मदद आदि का जैसा व्यवहार किया है उसकी प्रशंसा चारों ओर हो रही है.

भारत के पास भी मौका था चीन विरोधी भावनाओं को हवा देकर उसके खिलाफ माहौल मजबूत करने का. भारत ने इसके विपरीत प्रतिशोध की भावना से परे संयम एवं करुणा से भरे देश की भूमिका निभाई.

भारत का चरित्न कभी संकीर्ण स्वार्थो तक सिमटे रहने वाले देश का नहीं रहा है. कोरोना संकट में दुनिया के हित की चिंता और उस दिशा में आगे बढ़कर काम करने का उसका चरित्न ज्यादा खिला है. भारत के प्रधानमंत्नी की भूमिका एक विश्व नेता की बनी है. ये कारक अवश्य ही कोरोना के बाद उभरने वाली अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था को ठोस रूप में प्रभावित करेंगे.

 

Web Title: Awadhesh Kumar blog: India and China global role in Coronavirus outbreak

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