नेहरू के योगदान को भुलाने की कोशिश

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: November 14, 2018 03:03 IST2018-11-14T03:03:13+5:302018-11-14T03:03:13+5:30

आज जबकि देश पं. जवाहरलाल नेहरू की जयंती मना रहा है, हमें जो चीज सबसे ज्यादा बेचैन करती है

Attempts to forget Nehru's contribution | नेहरू के योगदान को भुलाने की कोशिश

फाइल फोटो

(लेखक-जवाहर सरकार)
  आज जबकि देश पं. जवाहरलाल नेहरू की जयंती मना रहा है, हमें जो चीज सबसे ज्यादा बेचैन करती है, वह है वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की देश के प्रथम प्रधानमंत्री के प्रति असाधारण बेरुखी. नरेंद्र मोदी की उनके प्रति व्यक्तिगत नापसंदगी विलक्षण स्तर तक पहुंच गई है और उनका नवीनतम कदम जवाहरलाल की स्मृति को खत्म करने के लिए मोदी के मास्टर प्लान की सिर्फ शुरुआत भर है. 

जिस तरह से वे प्राय: हर चीज के लिए पंडितजी को दोषी ठहराते हैं, वह तो उनकी मानसिकता को प्रकट करता ही है, लेकिन अब उनका जुनून गंभीर स्तर पर पहुंच गया है और उन्होंने दिल्ली में तीन मूर्ति भवन में नेहरू के स्मारक के अनूठे चरित्र को नष्ट करने का फैसला किया है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 24 अगस्त 2018 को पत्र लिखकर मोदी से कहा है कि नेहरू संग्रहालय स्मारक और लाइब्रेरी के बुनियादी चरित्र को बनाए रखा जाना चाहिए और इसे सभी प्रधानमंत्रियों का स्मारक बनाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए.

नरेंद्र मोदी को मिलाकर भारत में अब तक कुल 14 प्रधानमंत्री हुए हैं, जिनमें से 11 का देहांत हो चुका है. इनमें से कुछ का कार्यकाल सिर्फ कुछ महीने ही रहा है. पंडितजी के योगदान को दूसरों के बराबर बांट देना उनकी स्मृतियों को बेदखल कर देने के समान होगा, जो कि उनकी मृत्यु तक वहां उनके 16 साल के लंबे निवास से जुड़ी हुई हैं. नेहरू मेमोरियल संग्रहालय एक बड़े परिसर में फैला हुआ है, जिसे 1930 में ब्रिटिश साम्राज्य की सेना के कमांडर के निवास को समायोजित करने के लिए बनाया गया था.

इसका डिजाइन रॉबर्ट टॉर रसेल ने बनाया था, जिन्होंने दिल्ली में कनॉट प्लेस का डिजाइन भी तैयार किया था.इस स्थल का ‘तीन मूर्ति’ नाम इसलिए पड़ा, क्योंकि इसके मुख्य द्वार के सामने तीन दिशाओं में मुंह किए तीन सैनिकों की मूर्तियां लगी हुई हैं. ये प्रथम विश्व युद्ध में शूरवीरता दिखाने वाले भारतीय सैनिकों का स्मारक है. इसे ब्रिटिश मूर्तिकार लियोनार्ड जेनिंग्स ने बनाया था.

इसके मुख्य परिसर में एक विशाल ग्रंथालय है, जिसमें करीब तीन लाख किताबें और दो लाख तस्वीरें हैं. इसके खजाने में गांधीजी, राजाजी, जी.डी. बिड़ला, पी.एन. हक्सर और यहां तक कि सावरकर और गोलवलकर के भी बारह सौ से अधिक कागजात हैं, जिनका गंभीर और निष्पक्ष मूल्यांकन किए जाने की आवश्यकता है. मनमोहन सिंह ने अपने पत्र में मोदी को याद दिलाया है कि स्वतंत्रता संग्राम के दौरान नेहरू ने दस साल तक का समय जेल में बिताया था और कोई भी संशोधन  उनके योगदान को मिटा नहीं सकता है. पूर्व प्रधानमंत्री ने  ठीक ही कहा है कि     पंडित नेहरू केवल कांग्रेस से ही संबंध नहीं रखते हैं, बल्कि उनका ताल्लुक पूरे देश से है और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने भी कभी इस भवन में छेड़छाड़ करने की कोशिश नहीं की.

Web Title: Attempts to forget Nehru's contribution

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