जब अटल बिहारी वाजपेयी के पीएमओ से अरुण जेटली के खिलाफ प्लांट करवाई गई ख़बरें, नरेन्द्र मोदी थे कारण

By विकास कुमार | Updated: May 29, 2019 14:37 IST2019-05-29T14:19:30+5:302019-05-29T14:37:40+5:30

2002 में ही गोवा में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. ऐसा तय माना जा रहा था कि आज नरेन्द्र मोदी को सीएम पद से इस्तीफे का ऑफर करना पड़ सकता है. लेकिन अरुण जेटली और प्रमोद महाजन की जुगलबंदी ने गोवा कार्यकारिणी में माहौल नरेन्द्र मोदी के पक्ष में कर दिया

Atal Bihari vajpayee PMO transplant news against arun jaitley for supporting pm modi | जब अटल बिहारी वाजपेयी के पीएमओ से अरुण जेटली के खिलाफ प्लांट करवाई गई ख़बरें, नरेन्द्र मोदी थे कारण

जब अटल बिहारी वाजपेयी के पीएमओ से अरुण जेटली के खिलाफ प्लांट करवाई गई ख़बरें, नरेन्द्र मोदी थे कारण

Highlightsसुप्रीम कोर्ट से वकालत करने वाले अरुण जेटली नरेन्द्र मोदी के बहुत करीबी रहे हैं.2002 में ही गोवा में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई.जेटली की विद्वता और उनकी वाकपटुता का अल्टरनेटिव भारतीय राजनीति में बहुत कम ही लोग हैं.

भारतीय राजनीति में कुछ गिने-चुने बुद्धिजीवियों में अरुण जेटली का नाम सबसे पहले आता है. मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में प्रचंड बहुमत हासिल होने के बाद से ही अटकलें लगनी शुरू हो गई थी कि अरुण जेटली बीमार चल रहे हैं और नई सरकार में मंत्री पद की जिम्मेवारी नहीं संभालेंगे. इस बीच ख़ुद पीएम मोदी को पत्र लिख कर अरुण जेटली ने आग्रह किया है कि उन्हें मोदी-2.0 में मंत्रिमंडल का हिस्सा नहीं बनाया जाए क्योंकि उन्हें ख़ुद के स्वास्थय के लिए समय चाहिए. अरुण जेटली की तबीयत बीते काफी समय से नासाज चल रही है. बीते साल अमेरिका जा कर उन्होंने किडनी ट्रांसप्लांट करवाया था.

जेटली की विद्वता और उनकी वाकपटुता का अल्टरनेटिव भारतीय राजनीति में बहुत कम ही लोगों के पास है. पिछले 5 वर्षों में मोदी सरकार को जब भी उसकी योजनाओं के क्रियान्वन पर घेरा गया तो अरुण जेटली सरकार के संकट मोचक के रूप में सामने आये. तथ्य, तर्क और तीक्ष्णता अरुण जेटली की विद्वता के सबसे बड़े आयाम रहे हैं. 

सुप्रीम कोर्ट से वकालत करने वाले अरुण जेटली नरेन्द्र मोदी के बहुत करीबी रहे हैं. 2002 में गुजरात दंगे के बाद जब अटल बिहारी वाजपेयी नरेन्द्र मोदी को गुजरात के सीएम पद से इस्तीफा दिलवाने पर अड़े थे तो जेटली भी उन नेताओं में शामिल थे जो नरेन्द्र मोदी के पक्ष में मजबूती से खड़े रहें. 

क्या हुआ था गोवा कार्यकारिणी में 

2002 में ही गोवा में बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक हुई. ऐसा तय माना जा रहा था कि आज नरेन्द्र मोदी को सीएम पद से इस्तीफे का ऑफर करना पड़ सकता है. लेकिन अरुण जेटली और प्रमोद महाजन की जुगलबंदी ने गोवा कार्यकारिणी में माहौल नरेन्द्र मोदी के पक्ष में कर दिया और जैसे ही नरेन्द्र मोदी ने अपने इस्तीफे की पेशकश की तो बैठक में आये नेताओं और कार्यकर्ताओं ने नारे लगाना शुरू कर दिया. वाजपेयी हक्का-बक्का रह गए और उन्होंने माहौल को देखते हुए मन बदल लिया. लेकिन उन्होंने इसके लिए अरुण जेटली को कभी माफ नहीं किया.

छवि खराब करने की कोशिश 

जानी-मानी पत्रकार और वर्षों तक बीजेपी को कवर करने वाली सबा नकवी ने अपनी किताब 'शेड्स ऑफ़ सैफरन' में कहा है कि उसके बाद पीएमओ से अरुण जेटली के खिलाफ ख़बरें प्लांट करवाई जाने लगीं.

खुद इसमें खुद बृजेश मिश्र के स्तर से चीजों को डील किया जा रहा था और बकायदा आउटलुक मैगज़ीन में एक डमी पत्रकार की भर्ती करवाई गई थी. इसका मतलब अरुण जेटली की छवि को पीएमओ खराब करना चाह रहा था. बृजेश मिश्रा अटल बिहारी वाजपेयी के लिए उसी तरह थे जैसे पीएन हक्सर इंदिरा गांधी के लिए. 

Web Title: Atal Bihari vajpayee PMO transplant news against arun jaitley for supporting pm modi

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