Assembly Elections 2024: पांच माह और 4 राज्य में विधानसभा चुनाव, रणनीति बनाने में बेहद सावधानी बरत रहा भाजपा नेतृत्व
By हरीश गुप्ता | Updated: July 4, 2024 11:37 IST2024-07-04T11:35:22+5:302024-07-04T11:37:01+5:30
Assembly Elections 2024: सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया है कि विधानसभा चुनाव 30 सितंबर, 2024 से पहले कराए जाएं.

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Assembly Elections 2024: लोकसभा चुनाव में बहुमत से कम सीटें मिलने के बाद भाजपा नेतृत्व अगले पांच महीनों में चार राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव जीतने की रणनीति बनाने में बेहद सावधानी बरत रहा है. भाजपा आलाकमान सुनिश्चित नहीं है कि चार राज्यों में विधानसभा चुनाव एक साथ होंगे या क्रमबद्ध तरीके से. भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह इन चुनावी राज्यों का दौरा कर रहे हैं और जीतने के लिए रात-दिन एक कर रहे हैं. भाजपा अपनी जीत की लय को फिर से कायम करने के लिए इनमें से किसी भी राज्य को खोने का जोखिम नहीं उठा सकती. इन चुनावों के नतीजे एक महत्वपूर्ण मोड़ होंगे क्योंकि इसका असर 2025 में होने वाले विधानसभा चुनावों और राज्यसभा के द्विवार्षिक चुनावों पर भी पड़ेगा.
पहली चुनौती 2019 में अनुच्छेद 370 के उन्मूलन के बाद जम्मू और कश्मीर में विधानसभा चुनाव कराना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में निर्देश दिया है कि विधानसभा चुनाव 30 सितंबर, 2024 से पहले कराए जाएं. मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने कहा है कि चुनाव आयोग चुनाव कराने के लिए तैयार है. हालांकि केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अभी तक अंतिम सुरक्षा मंजूरी नहीं दी है.
महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में मौजूदा विधानसभाओं का कार्यकाल क्रमशः 3 नवंबर, 26 नवंबर और 5 जनवरी को समाप्त हो रहा है. हालांकि चुनाव आयोग के पास तीन राज्यों में एक साथ चुनाव कराने का अधिकार है, लेकिन वह पिछले उदाहरणों का अनुकरण कर सकता है. चुनाव आयोग ने महाराष्ट्र और हरियाणा में 21 अक्तूबर, 2019 को और झारखंड में उसी साल 7 दिसंबर को विधानसभा चुनाव कराए थे.
आरएसएस का दिल्ली मुख्यालय तैयार
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) का अत्याधुनिक झंडेवालान मुख्यालय पूरी तरह से बनकर तैयार है. दिल्ली मुख्यालय को पहले ही सीआईएसएफ द्वारा चौबीसों घंटे का सुरक्षा कवर दिया गया है. ‘केशव कुंज’ के नाम से जाना जाने वाला, उत्तर भारत का कार्यालय लगभग एक दशक से निर्माणाधीन था. इस परियोजना में लंबा समय लगा क्योंकि यह एक भीड़भाड़ वाले इलाके में स्थित है.
वह भी निचले इलाके में तथा अन्य तकनीकी समस्याएं भी थीं. लेकिन इमारत अब अपने उद्घाटन समारोह का इंतजार कर रही है. यह इमारत आरएसएस के नागपुर स्थित राष्ट्रीय मुख्यालय से बढ़कर होगी, जिसे 1930 के दशक में बनाया गया था. यह अभी भी स्पष्ट नहीं है कि आरएसएस अपना मुख्यालय नागपुर से दिल्ली स्थानांतरित करेगा या नहीं.
केशव कुंज भवन के आधुनिक ढांचे में 12 से 16 मंजिलों के दो टावर हैं जो दो लाख वर्ग फुट से अधिक क्षेत्र में फैले हैं जो भाजपा के नवनिर्मित राष्ट्रीय मुख्यालय से भी बड़ा है. चूंकि आरएसएस ने विशेष रूप से वर्तमान आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के तहत छलांग लगाई है, इसलिए यह भवन विभिन्न क्षेत्रों में काम करने वाले अपने कई प्रमुख संगठनों को भी समायोजित कर सकता है.
क्षेत्रीय दलों में उत्तराधिकार का मुद्दा
राहुल गांधी के लोकसभा में विपक्ष का नेता बनने के साथ ही कांग्रेस पार्टी में उत्तराधिकार का मुद्दा आखिरकार सुलझ गया है. इस घटनाक्रम ने उन अटकलों पर भी विराम लगा दिया है कि राहुल गांधी जिम्मेदारियां उठाने से भागते हैं. यह अलग बात है कि उनको अभी भी एक उत्कृष्ट सांसद का कौशल हासिल करना बाकी है. उनकी बहन प्रियंका गांधी वाड्रा भी जल्द ही लोकसभा में पहुंच सकती हैं.
लेकिन गांधी परिवार की बागडोर औपचारिक रूप से राहुल गांधी के हाथों में चली गई है. बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती ने भी अपनी विरासत के उत्तराधिकारी के तौर पर अपने भतीजे आकाश को हटाने के फैसले को पलट दिया है. यहां तक कि तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी ने भी भतीजे अभिषेक बनर्जी को अपना राजनीतिक उत्तराधिकारी नियुक्त कर दिया है.
राकांपा में भी उत्तराधिकार का मुद्दा सुलझ गया है क्योंकि सुप्रिया सुले ने बारामती लोकसभा सीट जीतकर प्रतिद्वंद्वी अजित पवार गुट को बड़े अंतर से हरा दिया है. हालांकि, आम आदमी पार्टी (आप), बीजू जनता दल (बीजद), जनता दल (यू), भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) और अन्य में अनिश्चितता बनी हुई है.
इससे पहले, के. चंद्रशेखर राव ने अपने बेटे के.टी. रामाराव को बीआरएस में अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया था, लेकिन उनके भतीजे हरीश राव ने भी अपनी दावेदारी पेश की है. आप में बड़ी समस्या यह है कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल अपने कई मंत्रियों के साथ शराब घोटाले में तिहाड़ जेल में बंद हैं.
उनके उत्तराधिकारी के रूप में उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल, संजय सिंह, संदीप पाठक, गोपाल राय या यहां तक कि आतिशी मार्लेना सहित कई नाम सामने आए हैं. लेकिन अभी भी यह शुरुआती दिन हैं क्योंकि केजरीवाल इतनी जल्दी हार नहीं मानने वाले हैं.
शिवराज सिंह चौहान का उभार
ग्रामीण विकास एवं कृषि व किसान कल्याण मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने मोदी सरकार के तीसरे कार्यकाल में बहुत कम समय में अपनी अलग पहचान बनाई है. उनकी कई पहलों ने राजनीतिक विश्लेषकों का ध्यान खींचा है. वे शायद पहले कैबिनेट मंत्री हैं जिन्होंने कार्यभार संभालने के बाद राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु से आशीर्वाद लिया.
उन्होंने एक और पहल करते हुए राज्यों के ग्रामीण विकास और कृषि मंत्रियों को उनकी सुविधानुसार समय और तारीख पर आमंत्रित किया ताकि वे उनकी समस्या को समझें और उसके अनुसार कदम उठाएं. उनकी ‘लाडली बहन’ योजना भी राज्यों का ध्यान खींच रही है, जिसमें महाराष्ट्र सबसे आगे है. अगर सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी मोदी सरकार में सबसे लोकप्रिय मंत्री हैं, तो शिवराज सिंह चौहान का उभरना दोहरी खुशी की तरह है.