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ब्लॉग: दूध के लिए एक और ‘श्वेत क्रांति’ की जरूरत

By ऋषभ मिश्रा | Updated: December 21, 2023 10:43 IST

यह दुनिया भर के औसत प्रति व्यक्ति 279 ग्राम प्रतिदिन से कम है। सरकार मिलावटी दूध के कारोबार पर रोक लगाने के प्रयास में लगी है

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अगले पांच साल में मिलावटी दूध की वजह से भारत में बहुत बड़ी संख्या में लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है। सरकार मिलावटी दूध के कारोबार पर रोक लगाने के प्रयास में लगी है।

मगर कमाई की अंधाधुंध दौड़ ने लोगों की नैतिकता को पीछे छोड़ दिया है. हालत यह हो गई है कि जो दूध किसी को जीवन दे सकता है अब वही जान लेने पर उतारू है। यह घोर अपराध है।

भारत दुनिया में दुग्ध उत्पादन और खपत के मामले में पहले स्थान पर है। देश में दूध का उत्पादन 14.68 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। दूध की खपत 64 करोड़ लीटर प्रतिदिन है। उत्पादन एवं खपत के बीच करीब 50 करोड़ लीटर का फर्क है। इसमें पाउडर से बने दूध का भी बराबर योगदान है।

इसके बावजूद बड़ी मात्रा में आपूर्ति मिलावटी दूध से ही हो रही है। विभिन्न मानकों पर आधरित रिपोर्ट में यह आंकड़ा 65 से 89 फीसदी तक दर्ज किया गया है। यह दूध यूरिया, डिटर्जेंट, अमोनियम सल्फेट, कास्टिक सोडा, फार्मलीन जैसे खतरनाक रसायनों के मिश्रण से बनाया जाता है। इसके उपभोग से दुरुस्त अंग भी काम करना बंद कर सकते हैं।

ये रसायन कैंसर और लिवर की खराबी जैसी कई गंभीर बीमारियों को जन्म देते हैं। इसके बावजूद मिलावटी दूध का गोरखधंधा धड़ल्ले से जारी है. बीसवीं सदी के आखिरी तीन दशक विश्व बैंक की मदद से हुई श्वेत क्रांति (ऑपरेशन फ्लड) की सफलता के लिए जाने जाते हैं। लेकिन अब भारत दुनिया में दुग्धोत्पादन ही नहीं बल्कि मिलावटी दूध के मामले में भी सभी को पीछे छोड़ चुका है।

केंद्र सरकार ने ‘राष्ट्रीय गोकुल मिशन’ शुरू किया है. यह गिर, सिंधी और साहीवाल जैसी देसी गायों के संवर्धन की हजारों करोड़ की परियोजना है। इसे श्वेत क्रांति का ‘तीसरा युग’ माना जा सकता है। इस बीच दुग्ध उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा देने का काम भी जोरों पर है। उत्पादन और खपत के आंकड़ों पर गौर करने से कई बातें सामने आती हैं।

डेयरी उद्योग की विकास संभावनाओं पर अध्ययन में ‘एसोचैम’ ने पाया कि भारत विशालतम दूध उत्पादक होने के बावजूद यहां प्रति व्यक्ति दूध उपलब्धता 252 ग्राम प्रतिदिन है। यह दुनिया भर के औसत प्रति व्यक्ति 279 ग्राम प्रतिदिन से कम है। सरकार मिलावटी दूध के कारोबार पर रोक लगाने के प्रयास में लगी है।

इसके बावजूद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) का कहना है कि अगले पांच साल में मिलावटी दूध की वजह से भारत में बड़ी संख्या में लोगों को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का सामना करना पड़ सकता है।

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