अनिल जैन का ब्लॉग: खुशमिजाजी में पिछड़ता देश
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: April 11, 2020 17:19 IST2020-04-11T17:19:57+5:302020-04-11T17:19:57+5:30
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे सर्वे भी बताते रहते हैं कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और देश में अरबपतियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है.

अनिल जैन का ब्लॉग: खुशमिजाजी में पिछड़ता देश
हमारे देश में पिछले करीब दो दशक से यानी जब से नव उदारीकृत आर्थिक नीतियां लागू हुई हैं, तब से सरकारों की ओर से आए दिन आंकड़ों के सहारे देश की अर्थव्यवस्था की गुलाबी तस्वीर पेश की जा रही है और आर्थिक विकास के बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहे सर्वे भी बताते रहते हैं कि भारत तेजी से आर्थिक विकास कर रहा है और देश में अरबपतियों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है. इन सबके आधार पर तो तस्वीर यही बनती है कि भारत के लोग खुशहाली की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन हकीकत यह नहीं है.
हाल ही में जारी संयुक्त राष्ट्र की ‘वल्र्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट-2020’ में भारत को 144वां स्थान मिला है. पिछले वर्ष भारत 140वें पायदान पर था और उससे पहले यानी 2018 में 133वें और 2017 में 122वें पायदान पर था. इस बार सर्वे में शामिल 156 देशों में भारत का स्थान इतना नीचे है, जितना कि अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ बेहद पिछड़े देशों का है.
हमारी फलती-फूलती अर्थव्यवस्था और आर्थिक विकास के तमाम दावों की खिल्ली उड़ाने और आईना दिखाने वाली यह रिपोर्ट बता रही है कि खुशमिजाजी के मामले में भारत का मुकाम दुनिया के तमाम विकसित और विकासशील देशों से ही नहीं बल्किपाकिस्तान समेत तमाम छोटे-छोटे पड़ोसी देशों और युद्ध से त्नस्त फिलिस्तीन से भी पीछे है.
संयुक्त राष्ट्र का एक संस्थान ‘सस्टेनेबल डेवलपमेंट सॉल्यूशन नेटवर्क’ (एसडीएसएन) हर साल अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सर्वे करके ‘वल्र्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट’ को जारी करता है. इसमें अर्थशास्त्रियों की एक टीम समाज में सुशासन, प्रति व्यक्ति आय, स्वास्थ्य, जीवित रहने की उम्र, दीर्घ जीवन की प्रत्याशा, सामाजिक सहयोग, स्वतंत्नता, उदारता आदि पैमानों पर दुनिया के सारे देशों के नागरिकों के इस अहसास को नापती है कि वे कितने खुश हैं.
कुछ समय पहले विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक अध्ययन रिपोर्ट में भी बताया गया था कि भारत दुनिया में सर्वाधिक अवसादग्रस्त लोगों का देश है, जहां हर तीसरा-चौथा व्यक्ति अवसाद के रोग से पीड़ित है. यह तथ्य भी इस मिथक की कलई उतारता है कि विकास ही खुशहाली का वाहक है.