अनिल देशमुख का ब्लॉग: लॉकडाउन के बाद पीछे हटकर नई छलांग लगाना

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: July 24, 2020 13:50 IST2020-07-24T13:50:56+5:302020-07-24T13:50:56+5:30

यह कोविड-19 वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार है. जब मार्च में पहला मरीज महाराष्ट्र में मिला था, तब हमारे पास पर्याप्त मास्क भी नहीं थे.

Anil Deshmukh's blog: Taking a new leap backward after lockdown | अनिल देशमुख का ब्लॉग: लॉकडाउन के बाद पीछे हटकर नई छलांग लगाना

लॉकडाउन का सांकेतिक फोटो (फाइल फोटो)

चीन के वुहान शहर से निकल कर कोविड-19 वायरस दुनिया भर के 200 से अधिक देशों में फैल गया है. इस एक वायरस ने पूरी दुनिया में अभूतपूर्व स्थिति पैदा कर दी है. व्यापार, उद्योग, कृषि, परिवहन,  शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन एक भी ऐसा क्षेत्र नहीं है जो इस वायरस के कारण संकट में न हो.

महाराष्ट्र में हमने 22 मार्च से लॉकडाउन घोषित किया. अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिहाज से मुक्त वातावरण में सन 2000 के बाद जन्म लेने वाली ‘न्यू मिलेनियम जनरेशन’ के लिए लॉकडाउन एक बड़ा झटका था.

इसके अलावा मेरे जैसी अथवा तीस-चालीस वर्ष की पीढ़ी के लिए भी लॉकडाउन के निर्णय को अमल में लाना कोई बहुत आसान नहीं था. लॉकडाउन की घोषणा होने के बाद गृह मंत्री के नाते मेरी और मेरे साथियों की जिम्मेदारी थी कि इसका समुचित कार्यान्वयन सुनिश्चित किया जाए.

हमारे सभी पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों ने अपनी जान की बाजी लगाकर इसका सामना किया. चाहे दिन हो या रात, गर्मी हो या बरसात, हमारे पुलिस बल के लिए यह नई बात नहीं है कि वे लगातार सजग रहकर सड़क पर खड़े रहें.

फिर भी मैं जानबूझकर ‘जान की बाजी’ शब्द का उपयोग कर रहा हूं, क्योंकि इस बार लड़ाई एक अदृश्य वायरस से थी. यह वायरस कब किस तरह से आपके ऊपर हमला करेगा, कहा नहीं जा सकता. फिर भी राज्य पुलिस बल पिछले लगभग साढ़े तीन महीने से इसका मुकाबला करने के लिए सड़क पर है.

लॉकडाउन के फैसले को लागू करते समय स्वाभाविक रूप से लोगों की नाराजगी का पहला सामना सड़क पर तैनात पुलिस को करना पड़ता है. शुरुआत में लोगों को लॉकडाउन की गंभीरता समझ नहीं आने के कारण मुङो भी सख्त रवैया अपनाना पड़ा.

पुलिस को डंडे लेकर तैयार रखने के पीछे मेरा उद्देश्य केवल इतना ही था कि लोग इस बीमारी की गंभीरता को समझते हुए घरों में ही रहें. मैं परिवार के मुखिया जितना ही कठोर था. एक बात स्पष्ट रूप से समझ लेनी चाहिए कि लॉकडाउन पुलिस या सरकार द्वारा थोपी गई बाधा नहीं है.

यह कोविड-19 वायरस के खिलाफ लड़ाई में एक महत्वपूर्ण हथियार है. जब मार्च में पहला मरीज महाराष्ट्र में मिला था, तब हमारे पास पर्याप्त मास्क भी नहीं थे. वेंटीलेटर, अस्पतालों में पर्याप्त बेड और पर्याप्त संख्या में डॉक्टरों व नर्सो का भी अभाव था. हालांकि सरकार ने इस दिशा में तत्काल कदम उठाए.

अब स्थिति फिर से भरोसा जगाने वाली हो रही है. मेरा यह दावा नहीं है कि कोई कमी है ही नहीं. परंतु समस्या मूलत: है क्या और उसका हल क्या है, यह सरकार समझती है.

हमें इस तथ्य को ध्यान में रखना है कि लॉकडाउन जैसे उपायों का तब तक सहारा लेना होगा जब तक कि दुनिया कोविड से मुक्त नहीं हो जाती. लॉकडाउन के समय में भी मैं लगातार यात्र कर रहा हूं. आज तक मैंने राज्य के 28 जिलों की यात्र की है. कोरोना से संबंधित समीक्षा बैठकें की हैं, कानून-व्यवस्था का जायजा लिया है.

यात्र के दौरान विभिन्न स्थानों पर रुक पुलिस अधिकारियों-कर्मचारियों से बातचीत की है. उनकी समस्याएं जानी हैं और उनका मनोबल बढ़ाने का प्रयास किया है.

मेरी पत्नी ने भी पुलिसकर्मियों के परिजनों से संवाद साधकर उनका मनोबल बढ़ाने की कोशिश की है. राज्य में पुलिस, डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ, सफाई कर्मचारी सभी अपने जीवन को जोखिम में डालकर हमारे-आपके लिए संघर्ष कर रहे हैं.

इस संघर्ष में कोरोना 87 पुलिसकर्मियों की बलि ले चुका है. लाखों परप्रांतीय प्रवासियों को उनके राज्य तक पहुंचाने का कर्तव्य निभाते हुए सैकड़ों पुलिसकर्मी कोरोना बाधित हुए हैं. इन अनगिनत कोरोना योद्धाओं के पीछे सरकार मजबूती के साथ खड़ी है.

लॉकडाउन से रोज कमाने-खाने वालों को सर्वाधिक तकलीफ हो रही है. उद्योग-धंधों की गाड़ी पटरी पर आ नहीं रही है. इस सब का दर्द मेरे सहित पूरी सरकार के मन में है.

हमारे नेता शरद पवार अस्सी साल की उम्र में भी लोगों की समस्याएं सुन रहे हैं. उन्होंने पुणो, रायगढ़, सोलापुर, रत्नागिरि जैसे कई स्थानों पर बैठकें कीं. मुख्यमंत्री से बातचीत कर वे लगातार सरकार का मार्गदर्शन कर रहे हैं. मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुद वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए राज्य के अधिकारियों को निर्देश दे रहे हैं.

उपमुख्यमंत्री अजित पवार सुबह नौ बजे ही मंत्रलय पहुंच जाते हैं. वे विभिन्न मंत्रियों की समस्याओं को हल करने के लिए काम करते हैं. प्रशासन को काम पर लगाते हैं.

कोरोना योद्धा के रूप में काम करने वाले पुलिस कर्मियों के लिए 50 लाख का बीमा, साढ़े बारह हजार पुलिस पदों के सृजन जैसे मुद्दों पर निर्णय लेने में अजित पवार ने सहयोग किया है. स्वास्थ्य मंत्री सहित अन्य सभी मंत्री अपने-अपने जिलों में काम कर रहे हैं.

ये सभी बातें हमेशा मीडिया के सामने नहीं आती हैं. शरद पवार ने जोर देकर कहा है कि व्यापार, उद्योग, कारखाने जल्द से जल्द शुरू होने चाहिए. परिवहन सेवाओं को बहाल किया जाना चाहिए और कृषि वस्तुओं की आपूर्ति बरकरार रहनी चाहिए.

एक जिम्मेदार मंत्री के रूप में, मुङो महाराष्ट्र को बताना चाहिए कि कभी-कभी लंबी छलांग लेने के लिए दो कदम पीछे हटना पड़ता है.

राज्य के विभिन्न हिस्सों में स्थानीय परिस्थितियों के अनुसार लागू किया जाने वाला लॉकडाउन, तात्कालिक तौर पर दो कदम पीछे हटने के समान है, कल की बड़ी छलांग के लिए. मुङो खुशी है कि 95 प्रतिशत लोग सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं.

कोरोना महामारी से पहले की दुनिया को फिर से महसूस करने के लिए धैर्य और अनुशासन की आवश्यकता है. सरकार लोगों पर अनावश्यक नियम नहीं थोपना चाहती.

निश्चिंत रहें कि पुलिस आपके हित के लिए ही दिन-रात सड़कों पर है. लोग जितना अधिक सहयोग करेंगे, उतनी ही जल्दी स्थिति को नियंत्रण में लाया जा सकेगा.

मैं आंकड़ों के विस्तार में नहीं जा रहा, लेकिन परीक्षण की संख्या, पीड़ितों के संपर्क में आने वालों का पता लगाने, क्वारंटाइन व्यवस्था, ऑक्सीजनयुक्त बेड, वेंटीलेटरयुक्त बेड इन सब मामलों में महाराष्ट्र देश में सबसे आगे है.

जहां कहीं भी खामी है, उसका निपटारा तुरंत किया जा रहा है. मुझे विश्वास है कि पुलिस, प्रशासन और महाराष्ट्र के प्रत्येक नागरिक के सहयोग से, हम जल्द से जल्द कोरोनापूर्व की स्थिति में पहुंच सकेंगे.

Web Title: Anil Deshmukh's blog: Taking a new leap backward after lockdown

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