America Donald Trump: शिक्षा पर राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प की उपेक्षा और पीएम नरेंद्र मोदी से अपेक्षा
By आलोक मेहता | Updated: February 6, 2025 05:56 IST2025-02-06T05:56:00+5:302025-02-06T05:56:00+5:30
America Donald Trump: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत का सपना साकार करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और शैक्षणिक सुविधाओं के विस्तार और कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास कर रहे हैं.

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America Donald Trump: अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने पर महाशक्ति के प्रभाव से दुनिया में युद्ध रोकने, आर्थिक बदलाव, व्यापार, रोजगार के लिए वीसा आदि पर भारत या अन्य मित्र देशों से संबंधों की बहुत चर्चा हो रही है. लेकिन ट्रम्प शासन द्वारा अमेरिकी शिक्षा मंत्रालय को ही बंद कर देने की तैयारी जैसे क्रांतिकारी बदलाव की बात पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है. इधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विकसित भारत का सपना साकार करने के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति लागू करने और शैक्षणिक सुविधाओं के विस्तार और कौशल विकास को सर्वोच्च प्राथमिकता देने का प्रयास कर रहे हैं.
शायद बहुत कम लोगों ने ध्यान दिया कि अपने पूरे चुनाव अभियान के दौरान ट्रम्प संघीय शिक्षा विभाग की निंदा करते नजर आए. अमेरिकी शिक्षा व्यवस्था को बदलने के लिए ट्रम्प ने प्लान पेश किया है. वे कॉलेज की बढ़ती फीस और वामपंथी विचारधारा के प्रचार को रोकने की बात भी कह रहे हैं. ट्रम्प का कहना है कि एक्रिडिटेशन सिस्टम की वजह से कॉलेजों में ‘मार्क्सवादी’ विचारधारा का बोलबाला है.
एक्रिडिटेशन सिस्टम का काम कॉलेज की गुणवत्ता को मापना है. ट्रम्प मौजूदा एक्रिडिटर्स को हटाकर नए लोगों की भर्ती करना चाहते हैं. नए एक्रिडिटर्स अमेरिकी मूल्यों, अभिव्यक्ति की आजादी और करियर पर ध्यान देंगे. ट्रम्प का मानना है कि इससे कॉलेजों में जवाबदेही बढ़ेगी, खर्चे कम होंगे और सस्ती डिग्री मिल सकेगी.
नई सरकार के गठन पर उन्होंने पूर्व वर्ल्ड रेसलिंग एंटरटेनमेंट कंपनी की सीईओ और पेशेवर रेसलर लिंडा मैकमोहन को शिक्षा विभाग की जिम्मेदारी सौंपी है. इसमें कोई शक नहीं कि शिक्षा क्षेत्र का मैदान जीतना किसी बड़े रेसलिंग के वर्ल्ड चैंपियन से अधिक कठिन चुनौती है.
दूसरी तरफ अमेरिकी शिक्षा संस्थानों में भारत के करीब साढ़े तीन लाख भारतीय छात्रों सहित लगभग 12 लाख विदेशी छात्रों पर होने वाले दूरगामी प्रभाव भी कम महत्वपूर्ण नहीं हैं. अमेरिका में शिक्षा मुख्य रूप से राज्यों के अधीन है - जिसमें प्रत्येक राज्य अपनी स्कूल प्रणाली का प्रभारी होता है-संघीय सरकार नहीं.
लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प की चुनावी जीत माता-पिता, शिक्षकों और शिक्षा विशेषज्ञों के बीच हलचल पैदा कर रही है. डोनाल्ड ट्रम्प ऐसी शिक्षा व्यवस्था लाना चाहते हैं, जहां छात्रों को जल्द से जल्द और कम पैसे में डिग्री हासिल हो सके. ऐसा होने पर कॉलेज की पढ़ाई करना सबके लिए आसान हो जाएगा.
चुनाव अभियान के वादों के बावजूद, संवैधानिक कारणों से अमेरिकी राष्ट्रपति भी किसी मंत्रालय को आसानी से समाप्त नहीं कर सकते. ट्रम्प को कांग्रेस के समर्थन की आवश्यकता होगी. सीनेट में कम से कम 60 सीनेटरों के ‘सुपर बहुमत’ को उन्मूलन के पक्ष में मतदान करना होगा. रिपब्लिकन के पास वर्तमान में 53 सीटों का बहुमत है, इसलिए उन्हें डेमोक्रेट्स के वोटों की भी आवश्यकता होगी,
जो उन्हें मिलने की संभावना कम है. उनका मानना है कि स्टूडेंट्स को देशभक्ति के मूल्यों की शिक्षा भी उपलब्ध कराई जानी चाहिए. ट्रम्प का आरोप रहा है कि अभी स्टूडेंट्स को मार्क्सवादी विचारधारा के तहत शिक्षित किया जा रहा है. ट्रम्प ऐसे कॉलेजों के खिलाफ कार्रवाई भी चाहते हैं, जो समानता के नाम पर नस्लीय भेदभाव करते हैं. वह ऐसे कॉलेजों पर जुर्माना और टैक्स लगाना चाहते हैं.
शिक्षा व्यवस्था में बदलाव के पीछे डोनाल्ड ट्रम्प चाहते हैं कि कॉलेज स्टूडेंट्स को नौकरियां दिलाने में भी मददगार हों. मतलब शिक्षा के बाद रोजगार सुनिश्चित हो. अमेरिकी शिक्षा मंत्रालय शिक्षा से जुड़े अहम फैसले लेता है. ऐसे में इसके बंद होने का सबसे पहला असर यह होगा कि शिक्षा संबंधी सभी निर्णय राज्य व स्थानीय स्तर पर लिए जाने लगेंगे.
हालांकि कुछ हद तक अब भी ऐसा ही होता है, लेकिन इसमें सबसे अहम काम लोन से जुड़ा है. यह काम संघीय शिक्षा मंत्रालय ही करता है. अमेरिकी शिक्षा विभाग 1.6 ट्रिलियन डॉलर के फेडरल स्टूडेंट लोन प्रोग्राम का काम भी देखता है. यही नहीं, वह समय-समय पर कॉलेज व यूनिवर्सिटीज के लिए नियम-कायदे भी बनाता रहता है.
शिक्षा विभाग से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल शिक्षण कर्मचारियों को आगे की ट्रेनिंग देने और विशेष जरूरतों वाले छात्रों की मदद करने के लिए भी किया जाता है. ऐसे में इसके बंद होने का असर इन सभी कामों पर भी पड़ेगा. डोनाल्ड ट्रम्प ने एक बार यह भी चिंता जताई थी कि अमेरिकी लोग किसी भी देश की तुलना में एक बच्चे पर तीन गुना अधिक पैसा खर्च करते हैं.
लेकिन फिर भी उनके बच्चों का प्रदर्शन उतना अच्छा नहीं होता. इसी में सुधार लाने के लिए वह ऐसा करना चाहते हैं. इधर भारत में 2014 और 2024 के बीच उच्च शिक्षा के बजट में 78 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई, तो स्कूली शिक्षा का 40 फीसदी बढ़ा है. 2025-26 में बजट में और अधिक खर्च का प्रावधान है.
स्कूलों को अपग्रेड करने के लिए 2022 में प्रधानमंत्री के हाथों लॉन्च पीएम स्कूल फॉर राइजिंग इंडिया (पीएम एसएचआरआई या पीएम श्री योजना का उद्देश्य 14,500 मौजूदा स्कूलों को नई शिक्षा नीति की मूल कल्पना को साकार करने वाले ‘मॉडल स्कूलों’ में नए सिरे से विकसित करना है. नई शिक्षा प्रणाली डिग्री-केंद्रित प्रणाली से अब योग्यता पर जोर देने वाली प्रणाली की तरफ बढ़ रही है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि ‘भारत नवोन्मेष की कुदरती प्रतिभा से संपन्न लोगों का देश है, पर प्रतिभा के पूल को केवल डिग्रियों के आधार पर नहीं आंकना चाहिए. कौशल-आधारित शिक्षा, अनुसंधान और उद्यमिता को बढ़ावा देने की जरूरत है. हमें डिग्री से योग्यता की तरफ ले जाने वाली संस्कृति का निर्माण करना होगा.’
नई शिक्षा नीति का जोर बहुआयामी सीख पर है और रिसर्च की बिना पर हमारे छात्रों और फैकल्टी में तीन गुना इजाफा हुआ है. नीतियों और हमारे संस्थानों के लक्ष्य की दिशा एक है. नई शिक्षा नीति में सरकार और इंडस्ट्री के बीच प्रैक्टिकल एंगेजमेंट पर फोकस से शोधवृत्ति को बढ़ावा मिलेगा और छात्रों को असल जिंदगी की चुनौतियों के लिए तैयार करेगा.