ऋतुपर्ण दवे का ब्लॉग: भारत में जबर्दस्त जोश पाकिस्तान हुआ बेहोश!
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: February 27, 2019 06:31 AM2019-02-27T06:31:54+5:302019-02-27T06:31:54+5:30
पूर्व सेना प्रमुख के साथ राष्ट्रपति रह चुके मुशर्रफ ने भारत की ताकत को पहली बार खुले तौर पर मान कर पाकिस्तान की मुश्किलें ही बढ़ाईं. लेकिन फिर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पुलवामा हमले का सबूत मांगते रहे.
पाकिस्तान के लिए मंगलवार का सवेरा कालिख भरा था. शायद ही वह कभी इसे भूल पाएगा. भले ही भारत के जवाब को कुछ भी नाम दिया जाए लेकिन यह सच है कि पाकिस्तान बेहद घबराया हुआ दिख रहा है. पाकिस्तान के पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने भी हाल ही में दुबई में पाकिस्तान को बिना होमवर्क भारत से लड़ने से गुरेज की सलाह दी थी.
पूर्व सेना प्रमुख के साथ राष्ट्रपति रह चुके मुशर्रफ ने भारत की ताकत को पहली बार खुले तौर पर मान कर पाकिस्तान की मुश्किलें ही बढ़ाईं. लेकिन फिर भी पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान पुलवामा हमले का सबूत मांगते रहे. निश्चित रूप से पूरी दुनिया को पता है कि जैश का पनाहगार कौन है.
महज 21 मिनट की उड़ान और केवल 90 सेकेंड के एयर सर्जिकल स्ट्राइक ने एक साथ तीन आतंकी ठिकानों पर जो कहर बरपाया उसने पूरी दुनिया का ध्यान खींच लिया. हालांकि इस बात की आशंका थी कि भारत कुछ बड़ा करेगा तथा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी यही इशारा किया था. लेकिन पाकिस्तान है जो मानता नहीं.
जैश के आतंकी पनप तो रहे हैं बल्कि उन्हें पूरी सुरक्षा और मदद भी दी जा रही है. ऐसे में भारत के सामने सिवाय और कोई चारा भी नहीं था. भारत के मिराज 2000 विमानों ने 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर जो दमखम दिखाया था उसे ठीक एक महीने बाद 26 फरवरी को पीओके में घुसकर कर 12 विमानों ने सच कर दिखाया और बालाकोट, चिकोटी तथा मुजफ्फराबाद में आतंकियों के लांच पैड्स पर 1000 किलो बम गिराकर जैश के कंट्रोल रूम को तबाह कर दिया. बालाकोट में आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने को ध्वस्त कर दिया गया.
दुनिया जानती है कि पाकिस्तान की आर्थिक हालत खस्ताहाल है. लेकिन उसकी लंबी जुबान अभी भी कैंची के जैसे चल रही है. जिस बालाकोट को भारतीय वायुसेना ने निशाना बनाया है, वह पाकिस्तान के खैबर-पख्तूनख्वा प्रांत के मानसेहरा जिले में है. बालाकोट लंबे वक्त से आतंकी और जिहादी गतिविधियों का केंद्र है. बंटवारे के बाद से ही जनरल जिया उल हक के जमाने में यह आतंकी गतिविधियों का केंद्र बन गया था और इसी कारण अमेरिका की रडार पर भी है. मानसेहरा, ङोलम सहित कुछ और इलाकों में पाक समर्थित आतंकी संगठनों को बसाने का काम पाकिस्तानी आर्मी कर रही है.
इधर अमेरिका ने भी अपने सैनिक सीरिया और अफगानिस्तान से हटा लिए हैं. सीरिया और यमन गृहयुद्ध में सऊदी, यूएई एक तरफ रूस और ईरान एक तरफ थे. जबकि अमेरिका सऊदी की तरफ था जिसकी रु चि अब घट गई है. वहीं अमेरिका का झुकाव भारत की तरफ साफ है जबकि इजराइल हमारे साथ रहेगा क्योंकि वह मुस्लिम आतंकवाद का कट्टर विरोधी है. ऐसे में अलग-थलग पड़े पाकिस्तान पर क्या गुजर रही होगी समझा जा सकता है. यह सच है कि युद्ध कोई विकल्प नहीं है लेकिन आतंक को पनाह देना भी कोई समझदारी नहीं.