अंगदान और देहदान के लिए प्रेरित करने की प्रशंसनीय पहल
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: February 12, 2025 12:05 IST2025-02-12T12:05:51+5:302025-02-12T12:05:51+5:30
देश में अंगदान की कितनी सख्त जरूरत है, इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि भारत में हर साल 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है, जबकि मात्र 3 हजार किडनी ही मिल पाती हैं. लगभग 25 हजार नए लीवर की जरूरत पड़ती है लेकिन सिर्फ 800 ही मुहैया हो पाते हैं.

अंगदान और देहदान के लिए प्रेरित करने की प्रशंसनीय पहल
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव की यह घोषणा प्रशंसनीय है कि प्रदेश में अंगदान और देहदान करने वालों के परिवारों को सरकार अब गार्ड ऑफ ऑनर देगी, साथ ही 26 जनवरी और 15 अगस्त को सम्मानित भी किया जाएगा. मध्य प्रदेश ऐसा करने वाला संभवत: देश का पहला राज्य है और निश्चित रूप से देश के सभी राज्यों को इस पहल का अनुकरण करना चाहिए.
देश में अंगदान की कितनी सख्त जरूरत है, इसका अंदाजा इन आंकड़ों से लगाया जा सकता है कि भारत में हर साल 1.5 लाख लोगों को किडनी की जरूरत होती है, जबकि मात्र 3 हजार किडनी ही मिल पाती हैं. लगभग 25 हजार नए लीवर की जरूरत पड़ती है लेकिन सिर्फ 800 ही मुहैया हो पाते हैं.
यही कारण है कि अंगदान के इंतजार में प्रतिदिन कम से कम 20 व्यक्तियों की मृत्यु हो जाती है. जबकि एक व्यक्ति के अंगदान से आठ लोगों का जीवन बचाया जा सकता है. भारत में हर साल प्रति दस लाख लोगों में से केवल 0.5 लोग अर्थात लगभग 18000 लोग ही अंगदान करते हैं. जबकि दुनिया के कई देशों में यह दर हमारे यहां के मुकाबले बहुत ज्यादा है, जैसे स्पेन में हर साल दस लाख लोगों में से 36, क्रोएशिया में 35 और अमेरिका में 27 लोग अंगदान करते हैं.
2023 तक भारत में कुल 4,49,760 अंग दाता थे, जो कि कई देशों की तुलना में काफी कम है. भारत में देहदान की परंपरा बहुत प्राचीन है. पुराणों में ऋषि दधीचि का वर्णन है, जिन्होंने असुरों से देवताओं की रक्षा के लिए अपना शरीर दान कर दिया था. लेकिन वर्तमान में शायद जागरूकता के अभाव के कारण ‘ब्रेन डेड’ या ‘मानसिक मृत’ हो चुके लोगों के परिवार जन भी अंगदान करने से बचते हैं, जबकि यह निश्चित हो जाता है कि ऐसे लोगों का जीवनकाल बढ़ाना अब संभव नहीं है.
अंगदान में कमी का एक कारण शायद यह भी है कि देश के बहुत से अस्पतालों में अंग प्रत्यारोपण संबंधी उपकरणों की व्यवस्था नहीं है. हालांकि कानूनी तौर पर मानव अंगदान के लिए प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए मानव अंग प्रत्यारोपण (संशोधन) अधिनियम, 2011 बनाया गया था.
इसके अलावा अंगदान के कार्य को सहज, सरल और पारदर्शी बनाने तथा नियमों की गलत व्याख्या रोकने के लिए मानव अंग और ऊतक प्रत्यारोपण अधिनियम, 2014 भी मौजूद है. लेकिन जब तक अंगदान के बारे में गलत धारणाओं व मिथकों को दूर नहीं किया जाएगा तथा अंगदान के महत्व के प्रति लोगों को पर्याप्त जागरूक नहीं किया जाएगा, तब तक सिर्फ कानून बनाने से मदद नहीं मिल सकेगी.
एक रिपोर्ट के मुताबिक, यदि भारत में सड़क दुर्घटनाओं के कारण मरने वालों में से 5 प्रतिशत व्यक्तियों का भी अंगदान हो सके तो जीवित व्यक्तियों को अंगदान करने की कोई आवश्यकता नहीं होगी. इस दृष्टि से मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री की घोषणा निश्चित रूप से सराहनीय है और उम्मीद की जानी चाहिए कि अन्य राज्य भी अंगदान को बढ़ावा देने के लिए इसी तरह का कदम उठाएंगे ताकि अंगदान के इंतजार में लोगों को अपनी जान नहीं गंवानी पड़े.