सारंग थत्ते का ब्लॉगः भारतीय सेना में वीरता और विवेक का अद्वितीय संगम
By सारंग थत्ते | Updated: January 15, 2019 05:47 IST2019-01-15T05:47:41+5:302019-01-15T05:47:41+5:30
इस वर्ष भारतीय थल सेना के सम्मुख कई चुनौतियां हैं जिससे दो - दो हाथ करने ही होंगे. अहम मुद्दों में प्रमुखता से सेना प्रमुख ने थल सेना की संख्या में कटौती के संकेत दिए हैं.

सारंग थत्ते का ब्लॉगः भारतीय सेना में वीरता और विवेक का अद्वितीय संगम
आज 71 वें सेना दिवस पर भारतीय सेना एक बार फिर नमन कर रही है उन वीर सैनिकों को, जिनकी बदौलत इस देश की सीमाएं महफूज हैं. हम देश के भीतर और सीमा पार से हो रहे छद्म युद्ध से जूझते रहे हैं. एक सैनिक को सैन्य जीवन में हर पल नए आयाम घेरे रहते हैं. इस सबसे निबटने के लिए ही हम अपने सैनिकों को बेहतर सैन्य साजोसामान, आधुनिक हथियार, ऊंचे दर्जे का प्रशिक्षण और परिवार की जीवन शैली को सेना में रहते हुए और सेवा उपरांत बेहतर बनाने में कार्यरत रहते हैं.
इस वर्ष भारतीय थल सेना के सम्मुख कई चुनौतियां हैं जिससे दो - दो हाथ करने ही होंगे. अहम मुद्दों में प्रमुखता से सेना प्रमुख ने थल सेना की संख्या में कटौती के संकेत दिए हैं. इसको जमीन पर अमल में लाना और उसकी वजह से होने वाले असर का मंथन करना बेहद जरूरी होगा. लगभग एक लाख सैनिकों की छंटनी की जाएगी.
चीन ने भी अपनी सेना को कम करने की बात कही है और कम से कम तीन लाख सैनिकों की कमी करते हुए चीनी सेना को दस लाख सैनिकों तक लाने की कवायद शुरू की है. 12 लाख सैनिकों की हमारी सेना की अहमियत और जरूरत के मुताबिक पुनर्गठन अपने आप में कठिन कार्य होगा. सवाल यह भी है कि एक लाख सैनिकों की कटौती से हमें कितना लाभ मिलेगा. ताजा अपेक्षित आंकड़ों के मुताबिक, प्रथम चरण में यदि 50,000 सैनिकों की कटौती की जाती है तब बचत राशि की संख्या महज 6000 करोड़ आंकी गई है जो रक्षा बजट के राजस्व व्यय का महज 4 प्रतिशत होगा.
दूसरी अहम बात है सरकार के सामने ज्यादा देनदारी के चलते बजट में पूंजीगत व्यय का आवंटन बढ़ाने की लड़ाई लड़नी होगी. थल सेना ने पिछले वित्त वर्ष में 37122 करोड़ की जरूरत पेश की थी, लेकिन 2018 - 19 के बजट में इसमें 43 फीसदी की कटौती करते हुए सेना को 21338 करोड़ रुपए दिए गए थे. रक्षा विश्लेषकों के अनुसार हमारे बजट से दिए गए आवंटन का 85 प्रतिशत हिस्सा पुरानी देनदारी के लिए इस्तेमाल हो रहा है. अर्थात पिछले वर्षो में जो खरीद फरोख्त हुई है, उसका निपटारा करना जरूरी है. इस तरह हम नए प्रोजेक्ट्स को आगे बढ़ाने में कुछ हद तक पिछड़ जाते हैं. इस वर्ष देश के कुल बजट का 16 प्रतिशत रक्षा क्षेत्न की जरूरतों के लिए उपलब्ध कराया गया था.
अप्रैल 2018 में सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के दायरे में नई सुरक्षा योजना समिति का गठन किया था. अब यह उम्मीद की जानी चाहिए कि इस समिति ने अपने होमवर्क को पूरा कर लिया होगा एवं वित्त मंत्नालय को वाजिब और जरूरी खरीद का सामंजस्य बिठाते हुए नई खरीद के लिए अतिरिक्त आवंटन का प्रावधान काफी विचार-विमर्श के बाद किया होगा.