नवीन जैन का ब्लॉगः बच्चों के विकास में भूमिका निभाते खेल
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: August 29, 2019 06:31 IST2019-08-29T06:31:31+5:302019-08-29T06:31:31+5:30
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों का मन प्राय: किसी खेल में नहीं लगता. मेजर ध्यानचंद के बारे में भी यही कहा जाता है मगर उनके एक साथी ने उन्हें इतना उत्साहित किया कि वे एक तरह से हॉकी से प्यार ही करने लगे. यही जज्बा मोदी सरकार की ‘खेलो इंडिया’ योजना की भी है जिसमें 16 विविध खेल शामिल हैं जिनका प्रशिक्षण स्कूली स्तर से दिया जाने लगेगा.

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नवीन जैन
हॉकी के जादूगर तथा कालजयी खिलाड़ी कहे जाने वाले मेजर ध्यानचंद के जन्म दिवस 29 अगस्त को खेल दिवस के रूप में मनाया जाता है. हमारा राष्ट्रीय खेल भी हॉकी ही है. शायद ऐसा इसलिए कि ध्यानचंद ने ही चार बार भारत को ओलंपिक में हॉकी का स्वर्णपदक दिलाया था. यह खेल दिवस राष्ट्रपति भवन में हर साल मनाया जाता है, जिसमें राष्ट्रपति विभिन्न खिलाड़ियों को उनके खेलों के लिए सम्मानित करते हैं.
यह देखते हुए कि बचपन से ही बच्चों में उनके पसंदीदा या अन्य खेलों के प्रति जागरूकता लाई जानी चाहिए, एक योजना ‘खेलो इंडिया’ बनाई गई है जिसके तहत सन 2020 तक केंद्र सरकार 1755 करोड़ रु. खर्च करेगी. इस योजना के अंतर्गत देश के हरेक हिस्से से हर साल 10 बच्चों को चुना जाएगा. उन्हें वजीफा मिलेगा ही, अन्य संबंधित सामग्री भी उपलब्ध कराई जाएगी.
कई बार ऐसा भी देखा गया है कि बच्चों का मन प्राय: किसी खेल में नहीं लगता. मेजर ध्यानचंद के बारे में भी यही कहा जाता है मगर उनके एक साथी ने उन्हें इतना उत्साहित किया कि वे एक तरह से हॉकी से प्यार ही करने लगे. यही जज्बा मोदी सरकार की ‘खेलो इंडिया’ योजना की भी है जिसमें 16 विविध खेल शामिल हैं जिनका प्रशिक्षण स्कूली स्तर से दिया जाने लगेगा.
आज किशोर तथा युवा वर्ग में कई तरह के नशे की लत बढ़ती ही जा रही है जिसे धीरे-धीरे समाप्त करने की दिशा में विभिन्न खेल सकारात्मक और बड़ी भूमिका अदा कर सकते हैं. विभिन्न शोधों में पाया गया है कि यदि बचपन से ही किसी भी खेल में कुछ समय के लिए अपने को नियमित रूप से सक्रिय किया जाए तो न्यूरोट्रांसमीटर एंडोकीन नाम का एक स्राव होता है जिससे मन और दिमाग सही दिशा में बचपन से ही काम करने लगता है.
खेलों से चिंता तथा उदासी भी काफी हद तक दूर हो जाती है. हमारे बच्चे खासकर अवसाद से सबसे ज्यादा घिरते जा रहे हैं. यदि उन्हें खेलों की ओर आगे बढ़ाया जाए तो पूरी संभावना है कि अवसाद तो दूर होगा ही, उनमें आत्मविश्वास भी बना रहेगा जिससे उन्हें अपना लक्ष्य हासिल करने में ज्यादा आसानी हो जाएगी.