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ब्लॉग: मलेरिया से आखिर कब मिलेगी मुक्ति?

By योगेश कुमार गोयल | Updated: April 25, 2023 13:18 IST

ऐसे में यह उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 तक मलेरिया का 80 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रभावशाली टीका विकसित कर लिया जाएगा लेकिन तब तक मलेरिया के उपचार में सावधानी को ही सबसे बड़ी सुरक्षा माना जा रहा है।

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ठळक मुद्देआज पूरी दुनिया में विश्व मलेरिया दिवस मनाया जा रहा है। इस साल इस दिवस की थीम ‘टाइम टू डिलीवर जीरो मलेरिया : इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट’ है।ऐसे में अगर विश्व स्वास्थ्य संगठन की माने तो केवल 30 फीसदी ही मलेरिया का वैक्सीन अभी तक कारगर साबित हो पाया है।

प्रतिवर्ष 25 अप्रैल को एक खास विषय के साथ विश्व मलेरिया दिवस मनाया जाता है. हर साल मलेरिया से होने वाली लाखों लोगों की मौत को देखते हुए ही लोगों में इस बीमारी के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से यूनिसेफ द्वारा 25 अप्रैल 2008 को ‘विश्व मलेरिया दिवस’ मनाने की शुरुआत की गई थी. 

दरअसल मच्छरों के काटने से होने वाली जानलेवा बीमारी मलेरिया के कारण प्रतिवर्ष लाखों लोग मौत के मुंह में समा जाते हैं. जागरूकता के अभाव में आज भी मलेरिया से मरने वालों की संख्या बहुत ज्यादा है. यूनिसेफ द्वारा मलेरिया दिवस की थीम तय करने का उद्देश्य किसी भी प्रकार से विश्व को मलेरिया से मुक्त करना है. 

2023 में विश्व मलेरिया दिवस का क्या है नया थीम

तय की जाने वाली थीम पर दुनियाभर के चिकित्सक, वैज्ञानिक और विशेषज्ञ वर्षभर कार्य करते हैं. वर्ष 2023 के लिए विश्व मलेरिया दिवस की थीम है ‘टाइम टू डिलीवर जीरो मलेरिया : इन्वेस्ट, इनोवेट, इम्प्लीमेंट’ जबकि 2022 के लिए मलेरिया दिवस की थीम थी ‘मलेरिया रोग के बोझ को कम करने और जीवन बचाने के लिए नवाचार का उपयोग करें.’ विगत दो दशकों में हुए तीव्र वैज्ञानिक विकास और मलेरिया उन्मूलन के लिए चलाए गए वैश्विक कार्यक्रमों के कारण मलेरिया के आंकड़ों में कमी तो आई है किंतु अभी भी इस पर पूर्ण रूप से नियंत्रण नहीं पाया जा सका है. 

दुनिया के केवल तीन देश में ही वैक्सीन के इस्तेमाल की दी गई थी मंजूरी

वैसे तो ब्रिटिश दवा कंपनी ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन द्वारा 1987 में ही मलेरिया वैक्सीन ‘मॉस्कीरिक्स’ का निर्माण शुरू कर दिया गया था, जिसे अफ्रीकी वैज्ञानिकों द्वारा विकसित किया गया था लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा इस वैक्सीन के विकसित किए जाने के करीब 34 वर्षों बाद 7 अक्तूबर 2021 को मलेरिया की इस पहली वैक्सीन के इस्तेमाल की मंजूरी दी गई और वह भी शुरुआती दौर में केवल तीन देशों केन्या, घाना और मलावी के लिए ही दी गई थी. 

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने मलेरिया के वैक्सीन को लेकर क्या बोला है

लेकिन दुनिया को दशकों से मलेरिया की वैक्सीन से जिस राहत का इंतजार था, इस वैक्सीन के इस्तेमाल के बाद भी मलेरिया की रोकथाम में कोई चमत्कारिक राहत नहीं मिली है. हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन स्वयं कह चुका है कि मलेरिया की वैक्सीन की सफलता दर केवल 30 प्रतिशत ही है लेकिन इतनी कम सफलता दर के बावजूद इसे मलेरिया की रोकथाम में बड़ी उपलब्धि माना गया है. उम्मीद जताई जा रही है कि 2025 तक मलेरिया का 80 प्रतिशत से भी ज्यादा प्रभावशाली टीका विकसित कर लिया जाएगा लेकिन तब तक मलेरिया के उपचार में सावधानी को ही सबसे बड़ी सुरक्षा माना जा रहा है. 

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