प्लास्टिक प्रदूषण से मुक्ति की नई उम्मीद, भारत में हर साल 35 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट
By देवेंद्र | Updated: August 11, 2025 05:17 IST2025-08-11T05:17:03+5:302025-08-11T05:17:03+5:30
Indian Institute of Technology Madras: भारत में हर साल लगभग 35 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें धान का भूसा, चूरा और अन्य जैविक अवशेष शामिल हैं.

सांकेतिक फोटो
Indian Institute of Technology Madras:हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मद्रास के शोधकर्ताओं ने माइसीलियम आधारित एक नई जैव-निम्नीकरणीय पैकेजिंग तकनीक विकसित की है, जो प्लास्टिक प्रदूषण और कृषि अपशिष्ट दोनों की समस्याओं का स्थायी समाधान प्रस्तुत करती है. यह पैकेजिंग पारंपरिक प्लास्टिक की तुलना में पर्यावरण के लिए पूरी तरह सुरक्षित है क्योंकि यह मिट्टी में घुल जाती है और प्राकृतिक रूप से नष्ट हो जाती है. भारत में हर साल लगभग 35 करोड़ टन कृषि अपशिष्ट उत्पन्न होता है, जिसमें धान का भूसा, चूरा और अन्य जैविक अवशेष शामिल हैं.
अधिकांश कृषि कचरा खुले में जलाया जाता है, जिससे भारी वायु प्रदूषण होता है, इसलिए कृषि अपशिष्ट के उपयोग से वायु प्रदूषण कम करना आवश्यक हो गया है. शोधकर्ताओं ने कार्डबोर्ड, कागज, नारियल पीट, घास जैसे कृषि अपशिष्टों पर माइसीलियम की वृद्धि का अध्ययन किया और सबसे उपयुक्त संयोजन से एक मजबूत, हल्की, और ताप-ध्वनि इन्सुलेटिंग पैकेजिंग सामग्री विकसित की.
यह पारंपरिक प्लास्टिक फोम से बेहतर गुणों वाली और कम लागत वाली है. भारत में सालाना लगभग 6 करोड़ टन प्लास्टिक कचरा पैदा होता है, जिसका अधिकांश प्रबंधन सही ढंग से नहीं होता. प्लास्टिक कचरे के कारण भूमि, जल और वायु प्रदूषण बढ़ता है और माइक्रोप्लास्टिक के कारण जलीय जीव-जंतु तथा मानव स्वास्थ्य को खतरा होता है.
माइसीलियम आधारित बायोकम्पोजिट इन खतरों को कम कर लैंडफिल पर दबाव भी घटा सकते हैं. भारतीय पैकेजिंग उद्योग करीब 70 हजार करोड़ रुपए का है और तेजी से बढ़ रहा है. यदि इस बायोकम्पोजिट को व्यापक स्तर पर अपनाया जाए तो इससे न केवल कृषि अपशिष्ट का आर्थिक मूल्य बढ़ेगा, बल्कि रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे.
प्लास्टिक उत्पादन से हर साल करीब 400 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जित होती है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देती है. वहीं, माइसीलियम आधारित पैकेजिंग कृषि अवशेषों के पुनः उपयोग से कार्बन उत्सर्जन कम करती है. प्लास्टिक जलाने से निकलने वाली जहरीली गैसों से भी इससे बचाव होगा,
जो स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरा हैं. माइक्रोप्लास्टिक समुद्री और स्थलीय जीवन को नुकसान पहुंचाता है और खाद्य शृंखला में प्रवेश करता है, लेकिन जैविक रूप से विघटित माइसीलियम पैकेजिंग इस खतरे को खत्म कर सकती है.