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ब्लॉग: कैंसर को खत्म करने की दिशा में महत्वपूर्ण सफलता

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: December 19, 2024 06:51 IST

भारत में कैंसर की रोकथाम के लिए सरकारी तथा सामाजिक स्तर पर समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं.

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नया वर्ष 2025 कैंसर रोगियों के साथ-साथ कैंसर से बचाव के लिए उम्मीद की नई किरण लेकर आ सकता है. हृदय राेग तथा मधुमेह की तरह ही कैंसर भी तेजी से महामारी का रूप लेता जा रहा है. उसे जड़ से खत्म करने में अभी तक वैज्ञानिकों को पूरी सफलता नहीं मिल सकी है. लेकिन रूस का दावा है कि इस जानलेवा बीमारी को रोकने की वैक्सीन उसने बना ली है और 2025 से यह इस्तेमाल के लिए उपलब्ध हो जाएगी. रूस की सरकारी संवाद एजेंसी ‘तास’ ने बुधवार को खबर दी कि रूस के वैज्ञानिकों ने एमआरएनए वैक्सीन तैयार की है जो दुनिया को कैंसर के अभिशाप से बचाने में कारगर साबित होगी. यह वैक्सीन नए साल की शुरुआत से ही सार्वजनिक उपयोग के लिए उपलब्ध हो जाएगी. इस वर्ष की शुरुआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने घोषणा की थी कि उनका देश कैंसर को मात देने के करीब पहुंच गया है. यह टीका एक विशिष्ट प्रकार का प्रोटीन हमारे शरीर में तैयार करता है और कैंसर कोशिकाओं को पहचान कर उन्हें नष्ट करने का काम करेगा.

रूसी वैज्ञानिकों के मुताबिक यह टीका शरीर में कैंसर को उभरने से रोकने के लिए एक मजबूत प्रतिरक्षा कवच तैयार करेगा. एक जमाना था जब टीबी, चेचक और पोलियो जैसी बीमारियां लाइलाज समझी जाती थीं. हर वर्ष इन बीमारियों से दुनिया में लाखों लोगों की मृत्यु हुआ करती थी. इन बीमारियों का इलाज ढूंढ़ने में वैज्ञानिकों ने दशकों तक अथक परिश्रम किया और अंतत: उन्हें अपने उद्देश्य में सफलता मिली. वैज्ञानिकों ने चेचक और पोलियो को पनपने से पहले ही रोकने के लिए टीका बनाया और आज पाकिस्तान जैसे एकाध अपवाद को छोड़ दें तो पूरी दुनिया को चेचक तथा पोलियो से मुक्ति मिल गई है.

बचपन में ही पोलियो तथा चेचक की रोकथाम के लिए टीके लगा दिए जाते हैं. इससे कभी असाध्य समझी जानेवाली दोनों बीमारियों का लगभग सफाया हो गया है. इसी तरह क्षयरोग या टीबी भी लाइलाज बीमारी थी. उसका भी इलाज अब  संभव हो गया है. यही स्थिति कुष्ठ रोग को लेकर थी. भारत में 50-60 साल पहले कुष्ठ के 12 लाख से ज्यादा मरीज थे. अब कुष्ठ रोग को भी रोकने की वैक्सीन उपलब्ध हैं. आज भारत इस खतरनाक तथा मरीज को घर-परिवार एवं समाज से बहिष्कृत कर देनेवाले रोग से मुक्ति पा गया है.

कैंसर के इलाज की दिशा में भी पिछले कुछ दशकों में उल्लेखनीय प्रगति हुई है. आज दुनिया में लाखों ऐसे लोग हैं जिन्होंने नियमित चिकित्सा, जीवनशैली में बदलाव, पौष्टिक खानपान तथा मजबूत इच्छाशक्ति के दम पर कैंसर को हराने में सफलता पाई है. अब शुरुआती दौर में ही कैंसर पर विजय पाई जा सकती है. चौथे स्टेज के कैंसर के मरीज भी लंबे समय तक इलाज के बल पर जीवित रहने में सफल रहते हैं. एक बात चिंता जरूर पैदा करती है कि कैंसर के इलाज की दिशा में पिछले कुछ दशकों में जिस तेजी से प्रगति हुई है, इस अवधि में कैंसर का प्रसार भी उतनी ही तेजी से हुआ है. धूम्रपान, खानपान में अनियमितता, शराब तथा तंबाकू एवं फास्टफूड का सेवन, पौष्टिक आहार के सेवन में कमी, व्यायाम से बचना, जीवनशैली में बदलाव, रासायनिक तत्वयुक्त खाद्यपदार्थों का सेवन कैंसर को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है.

लोग कैंसर के लक्षणों के प्रति भी ज्यादा जागरूक नहीं हैं. इससे कैंसर का निदान करने में बहुत देरी हो जाती है और तब तक मरीज को बचाना असंभव हो जाता है. भारत में कैंसर की भयावहता का अंदाज इसी बात से लगाया जा सकता है कि इस वक्त देश में हर एक लाख में से 70 से 80 व्यक्ति कैंसर से ग्रस्त हैं. 1964 से 2023 के बीच कैंसर के मामलों में चार गुना तथा उससे होनेवाली मौतों की संख्या में ढाई गुना वृद्धि हुई है. कैंसर किसी उम्र का लिहाज नहीं करता. छोटे बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक इस जानलेवा बीमारी की चपेट में आ रहे हैं.

इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च ने हाल ही में आगाह किया है कि 2025 में भारत में कैंसर के मामलों में 12 प्रतिशत से ज्यादा की वृद्धि हो सकती है. भारत में कैंसर की रोकथाम के लिए सरकारी तथा सामाजिक स्तर पर समन्वित प्रयास किए जा रहे हैं.

शालेय स्तर पर ही कैंसर के खतरों एवं उसकी रोकथाम के प्रति विद्यार्थियों को सचेत किया जा रहा है. गर्भाशय का कैंसर रोकने के लिए टीके का आविष्कार हो चुका है और हमारे देश में युवतियों को उसे नि:शुल्क उपलब्ध करवाया जा रहा है. रूसी चिकित्सा वैज्ञानिकों की खोज से कैंसर को जड़ से खत्म करने की उम्मीद पैदा हुई है और निश्चित रूप से एक दिन पाेलिया तथा चेचक की तरह कैंसर भी इतिहास के पन्नों में दफन हो जाएगा.

टॅग्स :कैंसरकैंसर डाइट चार्टHealth and Family Welfare ServicesHealth Department
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