ब्लॉग: वायु प्रदूषण भी बन रहा कैंसर का कारण
By रमेश ठाकुर | Published: November 7, 2023 12:36 PM2023-11-07T12:36:22+5:302023-11-07T12:36:29+5:30
प्रदूषण भरी धुंध की मोटी चादर इस वक्त कई शहरों पर चढ़ी हुई है जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सबसे अव्वल है जहां का एक्यूआई लेवल गंभीर स्थिति से भी ऊपर जा चुका है।
वायु प्रदूषण से सिर्फ अस्थमा, हृदय संबंधी रोग, स्किन एलर्जी या आंखों की बीमारियां ही नहीं होतीं बल्कि जानलेवा कैंसर का भी यह कारण बनने लगा है इसलिए जरूरी हो जाता है कि वायु प्रदूषण से फैलने वाले कैंसर के प्रति ज्यादा से ज्यादा देशवासियों को जागरूक किया जाए।
इस काम में सरकारों के साथ-साथ आमजन को भी भागीदारी निभानी होगी। प्रदूषण भरी धुंध की मोटी चादर इस वक्त कई शहरों पर चढ़ी हुई है जिसमें दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र सबसे अव्वल है जहां का एक्यूआई लेवल गंभीर स्थिति से भी ऊपर जा चुका है।
कैंसर अब नए-नए रूप में उभर रहा है जिसमें वायु प्रदूषण की भी भूमिका है।
स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो प्रदूषण जब शरीर में घुसता है, तो वो डीएनए पर प्रहार करके उन्हें क्षतिग्रस्त करता है जो आगे चलकर कैंसर का कारण बनता है। इसके अलावा प्रदूषण शरीर के इम्यून सिस्टम को बिगाड़ता है।
डब्ल्यूएचओ की पिछले साल की रिपोर्ट में बताया गया था कि वायु प्रदूषण से पूरी दुनिया में प्रतिवर्ष लगभग 70 लाख मौतें होती हैं जिसमें भारत को दूसरे स्थान पर रखा गया था. स्थिति इस वर्ष भी भयंकर है। भारत में पिछले तीन वर्षों में कैंसर से अपनी जान गंवाने वालों की संख्या पर नजर डालें तो केंद्र सरकार द्वारा लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार सन् 2020 में 7,70,230 मौतें हुई थीं, जो 2021 में बढ़कर 7,89,202 हो गईं।
वहीं 2022 में यानी पिछले साल भारत में कैंसर से मरने वालों की संख्या बढ़कर 8,08,558 पर पहुंच गई। भारत में राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस की शुरुआत पहली बार सितंबर 2014 में तत्कालीन केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉक्टर हर्षवर्धन द्वारा हुई।
उन्होंने एक समिति का गठन किया और निर्णय लिया कि विभिन्न किस्म के होने वाले कैंसरों की गंभीरता, उनके लक्षणों और उपचार के बारे में जागरूकता फैलाई जाएगी और प्रत्येक वर्ष नवंबर की 7 तारीख को ‘राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस’ मनाया जाएगा।