पति, पत्नी और वो का ये कैसा रिश्ता जो हत्या में बदल जाए
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: March 22, 2025 07:10 IST2025-03-22T07:09:40+5:302025-03-22T07:10:07+5:30
मनोविज्ञान कहता है कि पति या पत्नी एक दूसरे से यदि संतुष्ट नहीं हैं तो वे अपनी उम्मीदों को दूसरी जगह तलाशते हैं.

पति, पत्नी और वो का ये कैसा रिश्ता जो हत्या में बदल जाए
मुंबई से एक खौफनाक खबर आई है. गोरेगांव के बनजारीपाड़ा में 36 साल के चंद्रशेखर चौहान अपने घर में मृत पाए गए. पुलिस ने जब पड़ताल शुरू की तो जो कहानी सामने आई उसने सबको चौंका दिया. पत्नी रंजू ने पति की गला घोंटकर हत्या कर दी. इस हत्याकांड में एक ‘वो’ शामिल था जिसकी पहचान शाहरुख नामक व्यक्ति के रूप में हुई है. हत्या की रात रंजू ने काफी देर तक शाहरुख से फोन पर बात की थी.
पुलिस ने रंजू और उसके प्रेमी सहित चार लोगों को गिरफ्तार कर लिया है. हाल ही में ऐसी ही एक खबर उत्तरप्रदेश के मेरठ से आई थी. वहां मुस्कान रस्तोगी नाम की महिला ने अपने प्रेमी के साथ मिलकर पति को मार डाला, उसके शव के टुकड़े किए और उसे ड्रम में डाल कर उसमें सीमेंट का घोल डाल दिया. लेकिन उसकी चाल काम न आई और पुलिस ने हत्या की पूरी कहानी सामने ला दी.
इसके पहले भी इस तरह के कई हत्याकांड सामने आ चुके हैं जहां पति, पत्नी और वो के त्रिकोण में मामला इतना संगीन हो जाता है कि अक्सर पति की हत्या कर दी जाती है और उसमें पत्नी के साथ उसका प्रेमी भी शामिल होता है. इसी तरह कई बार पति भी किसी अन्य महिला के साथ संबंधों में आ जाता है और फिर पत्नी को रास्ते से हटा देता है.
सवाल यह है कि पति-पत्नी के बीच के रिश्ते में आखिर ऐसी खटास क्यों आ जाती है कि किसी तीसरे की उसमें एंट्री हो जाती है? हमारी सामाजिक परंपरा ऐसे रिश्तों को अवैध संबंध मानती है क्योंकि विवाह नामक पवित्र संस्था में पति और पत्नी के बीच कोई दूसरा आ जाए तो संबंधों का गंभीर खतरे में पड़ जाना स्वाभाविक है. मनोविज्ञान कहता है कि पति या पत्नी एक दूसरे से यदि संतुष्ट नहीं हैं तो वे अपनी उम्मीदों को दूसरी जगह तलाशते हैं.
संतुष्टि का यह अधूरापन शारीरिक, मानसिक या आर्थिक कुछ भी हो सकता है. तीनों ही कारणों से या तीनों में से किसी एक कारण से भी किसी अन्य के प्रति आकर्षण पैदा हो सकता है. जो लोग विवेकशील होते हैं, जिन्हें अपने वैवाहिक जीवन की फिक्र होती है, परिवार की फिक्र होती है वे ऐसे आकर्षण को रोकने में सफल हो जाते हैं लेकिन जिनका आकर्षण मतांधता की श्रेणी में जा पहुंचता है वे फिर कुछ भी याद नहीं रखते कि उनका भविष्य क्या होगा.
वे यह सोचते हैं कि अपने वर्तमान साथी को यदि बीच से हटा दें तो उनका प्रेमी या उनकी प्रेमिका उनके साथ हो जाएगी और वे अपनी चाहत वाली जिंदगी जी सकेंगे. यही सोच उन्हें हत्या करने की स्थिति में पहुंचा देती है. मतांधता उन्हें कई तिकड़म सिखाती है कि हत्याकांड को ऐसे छिपा लेंगे, वैसे छिपा लेंगे लेकिन उन्हें क्या पता कि हर अपराधी कोई न कोई सुराग छोड़ता है और पुलिस उस तक पहुंचती जरूर है.
ऐसे लोगों को यह समझना चाहिए कि यदि आप एक-दूसरे के साथ नहीं रह सकते तो अलग हो जाइए! कानूनी रूप से संबंध विच्छेद कर लीजिए और जिसके साथ मर्जी हो रहिए. मजबूत कारण होने पर तलाक कोई कठिन चीज नहीं है. और सबसे बड़ी बात कि ऐसी सभी हत्याओं के पीछे प्रेम की बात करना, प्रेम शब्द के प्रति बहुत नाइंसाफी है.
यदि आप किसी से भी प्रेम करते हैं या करती हैं तो किसी दूसरे की भी जान लेने का भाव आपके मन में आने का सवाल ही पैदा नहीं होता है. जिस जेहन में प्रेम पलता है वहां किसी का खून कर देने का खयाल कैसे आ सकता है? इसलिए प्रेम को बदनाम मत कीजिए.