झारखंड के दुमका में एक विदेशी महिला से सामूहिक बलात्कार की घटना के बाद सैलानियों की सुरक्षा पर एक बार फिर सवाल खड़े हुए हैं। यह पहली घटना नहीं है और किसी क्षेत्र विशेष की समस्या नहीं है। इस तरह की घटनाओं का सिलसिला लगातार चल रहा है। स्थितियां यहां तक हैं कि विभिन्न देशों के दूतावास अपने नागरिकों को भारत में सख्त एहतियात बरतने की सलाह दे रहे हैं। मगर नई-नई घटनाएं चौंकाने पर मजबूर कर रही हैं, क्योंकि कुछ समय पहले आगरा में ब्रिटेन की महिला सैलानी खिड़की से कूद गई, क्योंकि उन्हें डर था कि होटल का मालिक उनके साथ दुष्कर्म करने की कोशिश कर रहा है।
वहीं दुमका की तरह ही मध्यप्रदेश के ओरछा से आगरा तक साइकिल पर निकली स्विस महिला के साथ उसके पति के सामने ही कबायली पुरुषों ने बलात्कार किया था। मध्यप्रदेश में ही एक दक्षिण कोरियाई महिला, दिल्ली में चीनी युवती, गोवा में एक रूसी बच्ची और दिल्ली में स्थित स्विट्जरलैंड के दूतावास में काम करने वाली एक महिला कर्मचारी तक दुष्कर्म का शिकार हो चुकी हैं। विदेशी पर्यटकों का भारत आना और उनकी सुरक्षा के प्रति गंभीरता नई चुनौती बन चुकी है।
सैलानियों का अनजान और सुनसान इलाकों में सतर्कता बरतने की आवश्यकता से अवगत होना जरूरी हो चुका है। यदि मध्यप्रदेश और ताजा झारखंड के मामले को देखा जाए तो स्पष्ट है कि उन्हें सुरक्षा को लेकर अधिक जानकारी नहीं थी। दूसरी ओर प्रशासन भी विदेशी पर्यटकों की आवाजाही को लेकर अधिक गंभीर नहीं था। देश में बलात्कार की घटनाएं तो अपने आप में एक सवाल हैं, लेकिन अब विदेशी सैलानियों का भी शिकार बनना शर्मनाक है. यदि देश में ‘अतिथि देवो भव’ के सिद्धांत का अस्तित्व है तो उसका प्रभाव दिखना चाहिए।
लेकिन यह सामान्य व्यक्ति से सहज अपेक्षित भाव है, अपराधियों और सामाजिक तत्वों से इसकी अपेक्षा नहीं की जा सकती है। इसलिए विदेशी सैलानियों के आवागमन और उनकी सुरक्षा के लिए एक तंत्र बनाया जाना चाहिए, जिस पर उन्हें सुरक्षा की दृष्टि से आवश्यक जानकारी मिल सके। देश में आम आदमी अघोषित रूप से असुरक्षित स्थानों की जानकारी रखता है। यदि किसी नए व्यक्ति को सुरक्षा के लिए आम आदमी की तरह ही जानकारी उपलब्ध करा दी जाती है तो उसे लाभ ही मिलेगा।
आश्चर्यजनक रूप से राज्यों के पर्यटन विभाग या स्थानीय सुरक्षा तंत्र विदेशी सैलानियों को लेकर अधिक गंभीर नहीं होते हैं, जिसके चलते असामाजिक तत्वों के हौसले बुलंद होते हैं। अपराधियों को पर्यटकों की भाषा और क्षेत्रीय अज्ञानता का लाभ मिलता है। ऐसे में आवश्यक यह है कि विदेशी पर्यटकों की सुरक्षा के लिए एक मजबूत तंत्र विकसित किया जाए जो सिर्फ अपने स्थान से नहीं, बल्कि आधुनिक तकनीकी व्यवस्थाओं से पर्यटकों की सूचनाओं को एकत्र कर उन्हें सुरक्षा प्रदान कराए। अन्यथा सुरक्षा के प्रति अविश्वास देश के मान को तो ठेस पहुंचाएगा ही, पर्यटन से जुड़ी अर्थव्यवस्था को भी क्षति पहुंचाएगा।