ब्लॉग: मादक पदार्थों की तस्करी है एक राष्ट्रीय मुद्दा, नशे के खिलाफ साथ मिलकर लड़ने की है जरूरत

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: December 23, 2022 14:19 IST2022-12-23T14:04:37+5:302022-12-23T14:19:30+5:30

सरकार द्वारा नशे के कारोबारियों पर तो कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन जो लोग नशे का सेवन करते हैं और इससे पीड़ित हैं उनके प्रति उनके परिवार और समाज को सहानुभूति रखनी चाहिए।

Drug trafficking national issue there need to fight together against drugs | ब्लॉग: मादक पदार्थों की तस्करी है एक राष्ट्रीय मुद्दा, नशे के खिलाफ साथ मिलकर लड़ने की है जरूरत

फोटो सोर्स: ANI (प्रतिकात्मक फोटो)

Highlightsपूरे देश के लिए मादक पदार्थों की तस्करी एक राष्ट्रीय मुद्दा है। ऐसे में इस मुद्दे पर केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कड़ा कदम उठाना चाहिए। नशीले पदार्थों की तस्करी में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ना एक बड़ी चिंता है।

नई दिल्ली: मादक पदार्थों की तस्करी केंद्र या राज्य का नहीं बल्कि एक राष्ट्रीय मुद्दा है और इससे निपटने के प्रयास भी राष्ट्रीय और एकीकृत होने चाहिए। मादक पदार्थों का संबंध अपराध से है और इसके लिए सीमाएं मायने नहीं रखती हैं। 

मादक पदार्थों की तस्करी पर क्या बोले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

सर्वविदित है कि मादक पदार्थों की बिक्री के लाभ का इस्तेमाल आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जाता है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा में दोहराया कि सभी राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को मिलकर नशे के खिलाफ लड़ाई लड़नी होगी।

हमें सीमाओं, बंदरगाहों और हवाई अड्डों के माध्यम से ड्रग्स के प्रवेश को रोकने की जरूरत है। चिंता की बात है कि देश के 472 जिलों में नशे का जाल फैला हुआ है। ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज स्टडी 2017’ के आंकड़ों के अनुसार दुनिया भर में लगभग 7.5 लाख लोगों की मौत अवैध ड्रग्स की वजह से हुई। इनमें से बीस हजार से अधिक मौतें भारत में हुईं।

देश में पारंपरिक नशे में हुई है तेजी से बढ़त, उठ रहे है कई सवाल

गंभीर बात यह है कि देश में पारंपरिक नशे जैसे कि तम्बाकू, शराब, अफीम के अलावा सिंथेटिक ड्रग्स स्मैक, हेरोइन, कोकीन, मारिजुआना आदि का उपयोग तेजी से बढ़ा है। नशीले पदार्थ का सेवन करना, रखना, बेचना या उसका आयात-निर्यात करना या फिर इस कारोबार में किसी की सहायता करना, सभी में गंभीर सजाओं के प्रावधान हैं। जुर्म के हिसाब से इसमें सजाएं तय हैं। इधर मादक पदार्थों की धरपकड़ के मामलों में भी तेजी आई है।

लेकिन मामला सिर्फ यह नहीं है कि निगरानी रखे जाने के कारण देश में मादक पदार्थों की भारी-भरकम खेपें पकड़ी जा रही हैं, बल्कि गंभीर पहलू यह भी है कि आखिर इस नेटवर्क में कौन लोग शामिल हैं, ये मादक पदार्थ कहां से आ रहे और कहां जा रहे हैं और इतनी भारी खपत हमारे देश के किन इलाकों व समाज के किन वर्गों के बीच हो रही है? कैसे ये मादक पदार्थ हमारे यहां पहुंच रहे हैं? 

क्या असली दोषियों को जानबूझकर छोड़ा जा रहा है?

कहीं ऐसा तो नहीं कि इस कारोबार में लगे लोगों को कहीं न कहीं राजनीतिक संरक्षण हासिल है और इसलिए पुलिस व केंद्रीय एजेंसियां अवैध कारोबार में लगे असली दोषियों को पकड़ने में हिचकिचाती हैं? नशीले पदार्थों की तस्करी में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल बढ़ना और चिंता पैदा कर रहा है। 

यह एक किस्म का नार्को आतंकवाद है जिस पर गंभीरता से ध्यान देने की जरूरत है। तस्कर आधुनिक तकनीकों का सहारा लेकर कानून-व्यवस्था की आंख में धूल झोंकने में कामयाब हो जाते हैं। ऐसे में सरकारी एजेंसियों को साइबर मोर्चे पर अंकुश लगाने के लिए उन्नत तकनीकों का इस्तेमाल करना होगा। 

नशे के कारोबारियों पर हो कठोर कार्रवाई, पीड़ित के प्रति उनके परिवार द्वारा रखनी चाहिए सहानुभूति

हालांकि यह समस्या तब तक नहीं सुलझेगी, जब तक कि समाज इसकी रोकथाम में अपनी सक्रियता नहीं दिखाएगा। नशीले पदार्थों का सेवन असल में एक सामाजिक समस्या भी है। इसका गंभीर पक्ष यह है कि परंपरागत पारिवारिक ढांचों के बिखराव, स्वच्छंद जीवनशैली, सामाजिक अलगाव आदि के हावी होने और नैतिक मूल्यों के पतन के साथ समस्या और बढ़ती जा रही है। 

नशे के कारोबारियों पर तो कठोर कार्रवाई होनी ही चाहिए, लेकिन जो लोग नशे का सेवन करते हैं, इससे पीड़ित हैं उनके प्रति परिवार और समाज को सहानुभूति रखनी चाहिए और उनकी नशामुक्ति के लिए प्रयास भी होना चाहिए।
 

Web Title: Drug trafficking national issue there need to fight together against drugs

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