अयाज मेमन का कॉलम: रवि शास्त्री, सपोर्ट स्टाफ की सूझबूझ से मिली सीरीज जीत
By अयाज मेमन | Published: January 24, 2021 09:20 AM2021-01-24T09:20:17+5:302021-01-24T09:22:53+5:30
भारत ने गाबा में पहली टेस्ट जीत हासिल कर ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज 2-1 से अपने नाम की है...
भारतीय टीम की ऐतिहासिक कामयाबी पर देश में खुशी का माहौल है. जीत के नायकों की जितनी सराहना की जाए, कम ही है. ऑस्ट्रेलिया में 2-1 से मिली यह जीत भारतीय क्रिकेट के स्वर्णिम इतिहास का हिस्सा बन चुकी है. ऑस्ट्रेलिया को उसी को घर में परास्त करना सबसे बड़ी चुनौती होती है. इसके बावजूद तमाम विपरीत परिस्थितियों पर मात करते हुए अजिंक्य एंड कंपनी ने यादगार सफलता अर्जित की.
इस ऐतिहासिक सफलता में खिलाडि़यों के शारीरिक और मानसिक मजबूती की परीक्षा थी. खासतौर से अनुभवी खिलाडि़यों की गैरमौजूदगी में देश के युवा खिलाडि़यों ने कमाल का प्रदर्शन किया. भारतीय टीम की इस कामयाबी में जो बातें उभरकर सामने आईं उनमें नियोजन, रणनीति, उचित समय पर लिए गए फैसले एवं खिलाडि़यों के बीच आपसी तालमेल अहम रहे. इसका श्रेय टीम के कोच रवि शास्त्री को जाता है.
इसके अलावा सपोर्ट स्टाफ के सदस्य भारत अरुण, विक्रम राठौर, आर. श्रीधर की मेहनत भी रंग लाई. शास्त्री की प्रेरणा का प्रभाव आर. अश्विन एवं क्षेत्ररक्षण कोच श्रीधर के संवाद से महसूस किया गया. अश्विन ने इसे सोशल मीडिया पर साझा किया तो शुक्रवार को भारत अरुण ने प्रेस कांफ्रेंस के दौरान बनाई गई रणनीति का खुलासा किया.
अश्विन-श्रीधर के संवाद और अरुण की प्रेस वार्ता से शास्त्री की रणनीति का महत्व समझा सकता है.
1. स्मिथ-लाबुशेन के खिलाफ गेंदबाजी को लेकर योजना जुलाई में ही तय हो गई थी. लॉकडाउन के दौर में ही ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाजों पर फोकस किया गया. ऑन साइड में क्षेत्ररक्षण का जाल बिछाकर स्मिथ को ऑफ साइड पर रोकने की योजना सफल रही.
मेलबोर्न में टॉस जीतकर ऑस्ट्रेलिया ने जब पहले बल्लेबाजी की तो शास्त्री ने रहाणे को अश्विन को पहले दस ओवर गेंदबाजी कराने की सलाह दी जो सफल रही.
2. एडिलेड में 36 के छोटे स्कोर पर सिमटने के बाद नकारात्मक प्रभाव से टीम को बचाया गया. श्रीधर के अनुसार- शास्त्री ने खिलाडि़यों का हौसला बढ़ाया और गलतियों से सबक लेने की बात कही.
3. पहले टेस्ट के बाद (कोहली के स्वदेश लौटने से पूर्व) रणनीति बदली गई और कार्यवाहक कप्तान रहाणे ने भी पांच गेंदबाजों को उतारने की तैयारी दिखाकर आक्रामकता पर बल दिया.
4. वन-डे और टी-20 के नेट गेंदबाजों- शार्दुल, वाशिंगटन और नटराजन को टीम के साथ बनाए रखने का फैसला सही साबित हुआ.
5. प्रत्येक खिलाड़ी के साथ संवाद साधा गया. संवाद की जरूरत पड़ने पर कड़े शब्दों का इस्तेमाल कर अच्छा प्रदर्शन निकाला गया. शास्त्री को आक्रामक शैली के चलते आलोचनाओं का सामना करना होता है लेकिन खिलाडि़यों के चयन के दौरान इसे नजरअंदाज किया जाता है.
आलोचना के बाद बुमराह को टेस्ट में डेब्यू करने का मौका दिया गया. शास्त्री ने रहाणे, पुजारा, अश्विन को जरूरत पड़ने पर बाहर करने का साहस दिखाया.