अयाज मेमन का कॉलम: टेस्ट रैंकिंग में गिरावट भारत के लिए झटका
By अयाज मेमन | Published: May 3, 2020 10:13 AM2020-05-03T10:13:40+5:302020-05-03T10:13:40+5:30
इस समय लॉकडाउन के चलते दुनिया के किसी भी हिस्से में क्रिकेट नहीं हो रहे हैं. इसके बावजूद भारत की रैंकिंग में गिरावट? सवाल उठना लाजिमी है. लेकिन याद कीजिए भारत की न्यूजीलैंड यात्रा में टीम के प्रदर्शन को
टेस्ट क्रिकेट की आईसीसी रैंकिंग में गिरावट भारतीय क्रिकेट के लिए बड़ा झटका है. शुक्रवार को जारी नई रैंकिंग सूची में ऑस्ट्रेलिया ने भारत को पीछे छोड़ते हुए शीर्ष स्थान हासिल किया है. नतीजतन, भारत अब तीसरे स्थान पर खिसक गया है. दूसरे स्थान पर न्यूजीलैंड है. मजे की बात यह है कि टेस्ट चैंपियनशिप की अंक तालिका में भारतीय टीम टॉप पर है जबकि ऑस्ट्रेलियाई टीम दूसरे स्थान पर.
लेकिन आईसीसी टेस्ट रैंकिंग और टेस्ट चैंपियनशिप में वरीयता सूची अलग-अलग आधार पर तय की जाती है. लिहाजा, इसकी तरफ देखने का नजरिया भी बदलना होगा. आईसीसी टेस्ट रैंकिंग में शीर्ष तीन टीमों में ज्यादा अंतर नहीं है. ऑस्ट्रेलियाई टीम 116 अंक लेकर टॉप पर है तो न्यूजीलैंड टीम के 1115 अंक हैं. तीसरे स्थान पर खिसकी भारतीय टीम के 114 अंक हैं. लेकिन भारत और बाद की टीमों में काफी बड़ा अंतर है. वर्ष 2018 में ऑस्ट्रेलियाई टीम पांचवें स्थान पर थी तो न्यूजीलैंड ने निरंतर अच्छे प्रदर्शन के साथ अपनी स्थिति को मजबूत किया है.
इस समय लॉकडाउन के चलते दुनिया के किसी भी हिस्से में क्रिकेट नहीं हो रहे हैं. इसके बावजूद भारत की रैंकिंग में गिरावट? सवाल उठना लाजिमी है. लेकिन याद कीजिए भारत की न्यूजीलैंड यात्रा में टीम के प्रदर्शन को. मार्च में आयोजित टेस्ट मैचों की सीरीज में भारत को 0-2 से करारी हार का सामना करना पड़ा था. इसी दौरान आईसीसी ने अपनी पद्धति को सुधारने का काम शुरू किया था. यही वजह है कि नई रैंकिंग पद्धति के अनुसार अपनी श्रेष्ठता गंवानी पड़ी.
मई 2016 से अप्रैल 2017 तक भारत ने 12 टेस्ट मैच खेले थे. इस दौरान भारत को महज एक टेस्ट में ही हार का सामना करना पड़ा. लिहजा, विराट एंड कंपनी ने लगातार 42 सप्ताह तक अपना वर्चस्व बनाए रखा. लेकिन रैंकिंग पद्धति में सुधार के बाद वर्ष 2017 से अप्रैल 2019 के दौरान भारत की जीत-हार का अनुपात 11-7 रहा. फलस्वरूप भारत के 50 फीसदी अंक कम हो गए.
इसी दौरान ऑस्ट्रेलिया की जीत-हार का अनुपात 9-7 रह गया. तीसरे चरण की शुरुआत विश्व कप के उपरांत हुई. इस दौरान दोनों टीमों ने प्रत्येक 9-9 मुकाबले खेले. इस समय दोनों टीमों की जीत-हार का अनुपात 7-2 ही रहा. लेकिन ऑस्ट्रेलिया ने कोई भी टेस्ट सीरीज नहीं गंवाई. इसी का उसे लाभ मिला. लेकिन भारत को इसी दौरान न्यूजीलैंड में मेजबान टीम से हार स्वीकारनी पड़ी. यदि यह सीरीज बराबरी में छूटती तो भारत की श्रेष्ठता कायम रहती.
इससे ऑस्ट्रेलियाई टीम की टेस्ट क्रिकेट के प्रति गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है. वहीं, भारत ने टी-20 विश्व कप को देखते हुए टेस्ट क्रिकेट को नजरअंदाज किया. इसी का खामियाजा भारतीय टीम को भुगतना पड़ा. भारतीय क्रिकेट की थिंक टैंक को यह एक नसीहत है. हालांकि अब बीते कल के बारे में सोचने के बजाय भविष्य पर गौर करने की जरूरत है.
सितंबर-अक्तूबर में भारत को ऑस्ट्रेलिया में टेस्ट सीरीज खेलने का मौका मिल सकता है. भारत ने ऑस्ट्रेलिया को 2018 में 2-1 से मात देकर अपनी ताकत का परिचय दिया था. लेकिन डेविड वार्नर, स्टीवन स्मिथ और लाबुशेन की मौजूदगी में ऑस्ट्रेलियाई टीम मजबूत हुई है. इन तीनों की मौजूदगी में मात देकर कोहली की टीम को अपनी श्रेष्ठता साबित करने का मौका मिलने जा रहा है. इसके लिए कप्तान और कोच को साथ में अभी से रणनीति बनानी होगी.