World Economic Forum 2025: देवाभाऊ पर भरोसे का करार?, पौने 16 लाख करोड़ के नए निवेश करार...

By विजय दर्डा | Updated: January 28, 2025 06:01 IST2025-01-28T06:01:36+5:302025-01-28T06:01:36+5:30

World Economic Forum 2025: मगर देवेंद्र फडणवीस ने इसका जवाब दिया कि दावोस में दुनिया भर के दिग्गज जुटते हैं और जिन भारतीय कंपनियों से करार हुआ है.

World Economic Forum 2025 Agreement trust Devabhau blog Dr Vijay Darda Maharashtra investment Rs 16-25 lakh crore Chief Minister Devendra Fadnavis | World Economic Forum 2025: देवाभाऊ पर भरोसे का करार?, पौने 16 लाख करोड़ के नए निवेश करार...

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Highlightsविदेशी पूंजी निवेशक भी जुड़े हुए हैं. अमेजन वेब सर्विस ने भी महाराष्ट्र के साथ करार किया. इंतजार करो और देखो की नीति अपना रही हैं.

World Economic Forum 2025: दावोस में विश्व आर्थिक फोरम से महाराष्ट्र को लेकर आ रही खबरों के बीच मेरे मन में कई सवाल पैदा हो रहे थे. करीब पौने सोलह लाख करोड़ के नए निवेश का करार कोई मामूली बात नहीं है. देश के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए. निश्चय ही इतना बड़ा करार महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रति उद्योग जगत के भरोसे की वजह से हुआ है. उद्योग जगत के लिए भी वे भाऊ यानी भाई के रूप में स्वीकार किए जाने लगे हैं. जब बड़े निवेश की खबरें आ रही थीं तब कई लोग यह चर्चा कर रहे थे कि जिन कंपनियों से करार हुआ है, वे मूलत: देशी हैं और पहले से ही महाराष्ट्र से जुड़ी हैं. सवाल यह है कि विदेशी निवेश कितना आया? मगर देवेंद्र फडणवीस ने इसका जवाब दिया कि दावोस में दुनिया भर के दिग्गज जुटते हैं और जिन भारतीय कंपनियों से करार हुआ है.

उनके साथ विदेशी पूंजी निवेशक भी जुड़े हुए हैं. वैसे अमेजन वेब सर्विस ने भी महाराष्ट्र के साथ करार किया है और अगले पांच वर्षों में करीब 71 हजार 8 सौ करोड़ रुपए खर्च करेगी जिससे 81 हजार से ज्यादा नौकरियां पैदा होंगी. कई विदेशी कंपनियां भारत आने की इच्छुक हैं लेकिन ट्रम्प की वजह से संशय में हैं और इंतजार करो और देखो की नीति अपना रही हैं.

निश्चय ही महाराष्ट्र में विदेशी पूंजी निवेश की अपार संभावनाएं हैं. विदेशी कंपनियों के लिए महाराष्ट्र पसंदीदा जगह भी है लेकिन इसे और बेहतर बनाने की जरूरत है. देवेंद्र जी ऐसी कोशिश कर भी रहे हैं. उन्होंने राज्य में ‘ईज ऑफ डूइंग’ पर काफी ध्यान दिया है. लेकिन और भी कसावट तथा पारदर्शिता की जरूरत है.

अपने पहले कार्यकाल यानी 2014 से 2019 के दौरान वे तीन बार दावोस गए. दो बार मैग्नेटिक महाराष्ट्र का आयोजन भी हुआ था. दूसरे कार्यकाल में भी उनकी नजर विदेशी निवेश पर है. इसीलिए निवेशकों के लिए खास डेस्क बनाया गया है. निवेश नीति को वैश्विक मानकों पर लाने की कोशिश चल रही है. प्रमुख उद्योगों के संचालनकर्ताओं के साथ देवेंद्र जी मिलते-जुलते भी रहे हैं.

दूतावासों और व्यापार संगठनों से भी तालमेल जारी है लेकिन इतने सारे प्रयासों के बावजूद पिछले चार वर्षों में औसतन 1 लाख 19 हजार करोड़ रुपए का ही विदेशी पूंजी निवेश आ पा रहा है. आंकड़ों के हिसाब से हम अपनी पीठ थपथपा सकते हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश में महाराष्ट्र की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से ज्यादा है लेकिन मुझे लगता है कि इसमें और ज्यादा वृद्धि की संभावनाएं मौजूद हैं.

हाल के वर्षों में महाराष्ट्र में प्रस्तावित कई परियोजनाएं दूसरे राज्यों में चले जाना चिंता का कारण रहा है. इस पर भी ध्यान देना जरूरी है. पूंजी निवेश के साथ ही सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण बात यह है कि इस निवेश का राज्य में भौगोलिक रूप से वितरण कैसे होता है? मैं देवेंद्र जी को इस बात के लिए बधाई दूंगा कि उन्होंने पिछले दस सालों में नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरोली पर खास ध्यान दिया है.

नागरिक सुविधाओं को बेहतर बनाया, अच्छे अधिकारी वहां भेजे और प्रशासन को चुस्त बनाया. अब तो वे खुद वहां के पालकमंत्री हैं गढ़चिरोली को स्टील हब के रूप में विकसित करने के लिए कृतसंकल्पित नजर आ रहे हैं. कंपनियां वहां रुचि ले रही हैं. जब दोनों हाथों को रोजगार मिलता है तो कोई भी युवा भटकाव की राह पर नहीं जाएगा.

जिस तरह देवेंद्र जी ने गढ़चिरोली पर ध्यान केंद्रित किया है, उसी तरह उन्हें राज्य के उन तमाम जिलों पर ध्यान देना होगा जहां रोजगार के साधन मौजूद नहीं हैं. विदर्भ, मराठवाड़ा, उत्तर महाराष्ट्र, कोंकण के औद्योगिक रूप से पिछड़े इलाकों में किन उद्योगों की स्थापना होनी चाहिए, इसके लिए अध्ययन करके योजना बनानी होगी.

राज्य का समान विकास होना चाहिए. कुछ जिले ऐसे हैं जहां आवश्यकता से अधिक उद्योग हैं जबकि दूसरे जिले इंतजार ही कर रहे हैं. आज समृद्धि महामार्ग के कारण कई जगह बेहतर संभावनाएं बनी हैं. वर्धा जिले के केलझर में ऑटोमोबाइल इंडस्ट्री लग सकती है. जरूरत है कंपनियों को सहूलियत देकर आकर्षित करने की.

कुछ और बातों पर भी देवेंद्र जी को ध्यान केंद्रित करना होगा. मेरे बाबूजी वरिष्ठ स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जवाहरलालजी दर्डा जब महाराष्ट्र के उद्योग मंत्री थे तब हिंदुजा समूह ने लीलैंड की फैक्टरी डालने के लिए जमीन ली थी. उस जमीन को उन्होंने स्टोर रूम बनाकर रख दिया है. वहां फैक्टरी डालने की कोई बात ही नहीं कर रहा है.

ये एक उदाहरण है. दूसरी जगहों पर भी इस तरह के कई उदाहरण मौजूद हैं. मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को इस पर ध्यान देना चाहिए कि किसी को जमीन मिली है और करार का पालन नहीं हो रहा है तो जमीन छीन ली जाए और अन्य उद्योगपति को दे दी जाए जो फैक्टरी  लगाए और रोजगार का सृजन करे.

कोई पचास साल पहले धुलिया में रेमंड्स की फैक्टरी लगी थी लेकिन किन्हीं कारणों से वह बंद हो गई. कंपनियों के बंद हो जाने की बीमारी से भी देवेंद्रजी को लड़ना होगा. और हां, राज्य के समग्र विकास के लिए जितना उद्योगों को बढ़ावा देना जरूरी है, उतना ही जरूरी है पर्यावरण की सुरक्षा का ध्यान रखना.

सरकारी से लेकर कई निजी उद्योग भी पर्यावरण को बर्बाद कर रहे हैं. इन पर नकेल कसना बहुत जरूरी है. बहरहाल मैं रिलायंस इंडस्ट्रीज, अदानी, जेएसडब्ल्यू, लॉयड्स मेटल एंड एनर्जी लिमिटेड से लेकर निवेश का करार करने वाले सभी 54 उद्योगों को और मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को बधाई देता हूं और उम्मीद करता हूं कि जो करार उन्होंने किया है, वे उसे शत-प्रतिशत फलीभूत भी करेंगे.

Web Title: World Economic Forum 2025 Agreement trust Devabhau blog Dr Vijay Darda Maharashtra investment Rs 16-25 lakh crore Chief Minister Devendra Fadnavis

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