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ब्लॉग: रेपो रेट में वृद्धि से थमेगी महंगाई ?

By ललित गर्ग | Updated: February 17, 2023 11:15 IST

हमें महंगाई बढ़ने की वजहों पर ध्यान देना होगा. भारत में महंगाई बढ़ने की कई वजहें होती हैं. इसमें एक वजह तो मानसून भी है।

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महंगाई की रफ्तार थामने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) ने कई बार रेपो दरों में वृद्धि की है. पिछले करीब तीन सालों के दौरान कुछ अप्रत्याशित झटकों से उबरने के क्रम में अब अर्थव्यवस्था फिर से रफ्तार पकड़ने लगी है, लेकिन इसके समांतर साधारण लोगों के सामने आज भी आमदनी और क्रयशक्ति के बरक्स जरूरत की वस्तुओं की कीमतें एक चुनौती की तरह बनी हुई हैं. 

हालांकि सब्जियों के दाम फिलहाल नियंत्रण में हैं, लेकिन दूध, मसालों के अलावा ईंधन की कीमतों के इजाफे ने फिर मुश्किल पैदा की है. सवाल यह है कि महंगाई को नियंत्रित करने के लिए अपनाई गई मौद्रिक नीतियां किस स्तर तक कामयाब हो पाएंगी?

हमें महंगाई बढ़ने की वजहों पर ध्यान देना होगा. भारत में महंगाई बढ़ने की कई वजहें होती हैं. जिस साल मानसून अच्छा नहीं रहता या अनियंत्रित रहता है, उस साल कृषि उपज खराब होती है और खाने-पीने की चीजों की कीमतें एकदम से बढ़ जाती हैं. फसलें अच्छी होती हैं तो कीमतें नीचे आ जाती हैं. गत वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में महंगाई घटने के पीछे मुख्य वजह यही मानी गई. 

फिलहाल औद्योगिक क्षेत्र में अपेक्षित गति नहीं लौट पाई है. निर्यात का रुख नीचे की तरफ है. कई देशों के साथ व्यापार घाटा लगातार बढ़ रहा है. रोजगार के नए अवसर पैदा नहीं हो पा रहे, जिसकी वजह से लोगों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ पा रही. तेल की कीमतें अब भी ज्यादा हैं. ऐसे में महंगाई की दर लोगों की सहन क्षमता से अधिक है. 

फिर रेपो दरों में बढ़ोत्तरी का उपाय आजमाने से औद्योगिक और व्यापारिक गतिविधियों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसका सीधा असर देश की विकास दर पर पड़ता है. यानी इस तरह संतुलन बिठाना मुश्किल रहेगा.

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