Union Budget 2025: आम बजट की खुशियां सच्चाई में बदलें?, 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय का कर मुक्त...
By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: February 3, 2025 05:44 IST2025-02-03T05:44:55+5:302025-02-03T05:44:55+5:30
Union Budget 2025: माना जा रहा है कि बजट से ‘मिडिल क्लास’ राहत महसूस कर रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय का कर मुक्त होना है.

file photo
Union Budget 2025: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के केंद्रीय बजट पेश करने के बाद देश में खुश माहौल तैयार कर दिया गया है. सत्ताधारी दल बजट की प्रशंसा कर रहे हैं और हमेशा की तरह विपक्ष को उसमें कुछ दिखाई नहीं दे रहा है. हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बजट को हर भारतीय के सपने को पूरा करने वाला ‘जनता जनार्दन का बजट’ बताया है, मगर कुछ सवाल अपनी जगह बने हुए हैं. यह माना जा रहा है कि बजट से ‘मिडिल क्लास’ राहत महसूस कर रहा है, जिसका सबसे बड़ा कारण 12 लाख रुपए तक की वार्षिक आय का कर मुक्त होना है.
इससे सरकार को आशा है कि इस वर्ग की जेब में जब ज्यादा पैसा बचेगा तो वह खुलकर खर्च करेगा. कुछ हद तक बाजार को मध्यम वर्ग के सहारे ही गति पकड़ते देखा जाता है. यही आर्थिक स्थिति में सुधार और गति लाने के लिए आवश्यक होगा. अभी बजट की बात पूरी नहीं हुई है कि भारतीय रिजर्व बैंक अगले कुछ दिनों में रिजर्व बैंक की ‘मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी’ की बैठक में मध्यम वर्ग को और खुश करने से संबंधित निर्णय ले सकता है. यह तब हो रहा है, जब अमेरिका में बदली सत्ता दुनिया को अपने ढंग से चलाने का सपना देख रही है.
भारतीय मुद्रा डॉलर की तुलना में सबसे निचले स्तर पर है. शेयर बाजार कई दिनों से हिचकोले खा रहा है. नया बजट आने के बाद भी पूंजी बाजार में बड़ा परिवर्तन नहीं आया. अब नए सप्ताह पर नजर रहेगी. दरअसल देश में महंगाई और बेरोजगारी अपने चरम पर है. बजट तथा अन्य सरकारी योजनाएं उसका हल ढूंढ़ने में सक्षम नहीं नजर आ रहे हैं.
सरकार आंकड़ों के सहारे अपने प्रयासों को गिनाती है, लेकिन आंकड़ों की कहानी, आंकड़ों की जुबानी ही रह जाती है. बजट आयकर में बड़ी छूूट की बात कर रहा है, लेकिन उसे आयकर के नए ‘रिजीम’ के अनुसार ही लिया जा सकेगा. नए ‘रिजीम’ में लाभ निवेश के आधार पर होगा.
इसके अलावा यदि महंगाई के मोर्चे पर बात करें तो कहीं राहत नजर नहीं आती है, न ही इस दिशा में सरकार की ओर से कोई दावा किया गया है. बजट में रोजगार सृजन के नाम पर छोटे-बड़े उद्योग को अलग-अलग तरह से लाभ पहुंचाया गया है, मगर कृत्रित बुद्धिमत्ता (एआई) की दिशा में बढ़ रहा जगत आदमी के कौशल की कीमत कब तक करेगा, यह कहा नहीं जा सकता है.
कुल मिलाकर बजट में आय और रोजगार बढ़ाने की जरूरत को सीधे तौर पर कहीं छुआ नहीं गया है. इसी प्रकार महंगाई जैसा ज्वलंत विषय अपनी जगह गुम है. सरकार ने सीमित आमदनी में आम आदमी के लिए बचत के वाया आयकर कुछ रास्ते निकाल दिए हैं, जिनसे वह खुश हो सकता है. किंतु हमेशा प्रसन्न नहीं रह सकता है. इस बारे में अधिक प्रयासों की आवश्यकता है, जो वैश्विक परिदृश्य को देखकर किए जाने होंगे. केवल चुनाव देखकर परिस्थितियों में बदलाव नहीं लाया जा सकता है.