RBI Rate Cut: महंगाई के डर पर विकास के संकल्प की जीत?, पहली बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती...

By अश्विनी महाजन | Updated: February 11, 2025 05:52 IST2025-02-11T05:52:47+5:302025-02-11T05:52:47+5:30

RBI Rate Cut: हाउसिंग और उपभोक्ता मांग को बल मिलेगा. साथ ही साथ बिजनेस के लिए भी उधार सस्ता हो सकेगा, जिससे ग्रोथ को गति मिल सकेगी.

RBI Rate Cut 2025 determination development wins over fear inflation blog Ashwini Mahajan cut 0-25 percent first time | RBI Rate Cut: महंगाई के डर पर विकास के संकल्प की जीत?, पहली बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती...

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Highlightsसदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने एमपीसी में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की है. नए सदस्यों के साथ-साथ कुछ पुराने सदस्यों ने भी रेपो रेट में कटौती का समर्थन किया है.एमपीसी में नए सदस्यों के आने से रेट घटाने का रास्ता साफ हो गया.

RBI Rate Cut: लंबे समय (लगभग पांच साल) तक भारतीय रिजर्व बैंक ने रेपो रेट को लगातार बढ़ाने के बाद पहली बार रेपो दर में 0.25 प्रतिशत की कटौती करते हुए उसे 6.5 प्रतिशत से घटा कर 6.25 किया है. यह फैसला हाल ही में संपन्न मौद्रिक नीति समिति की बैठक में किया गया. जानकारों का मानना है कि इससे उधार सस्ता हो जाएगा, जिससे हाउसिंग और अन्य प्रकार के उधारों पर ईएमआई कम हो जाएगी, जिससे हाउसिंग और उपभोक्ता मांग को बल मिलेगा. साथ ही साथ बिजनेस के लिए भी उधार सस्ता हो सकेगा, जिससे ग्रोथ को गति मिल सकेगी.

हाल ही में मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के तीन सदस्यों का कार्यकाल पूरा होने के बाद सरकार ने एमपीसी में तीन नए सदस्यों की नियुक्ति की है. हालांकि यह पता नहीं चल पाया है कि किसने क्या कहा, लेकिन ऐसा लगता है कि नए सदस्यों के साथ-साथ कुछ पुराने सदस्यों ने भी रेपो रेट में कटौती का समर्थन किया है.

उल्लेखनीय है कि पिछली दो एमपीसी बैठकों में, बाह्य सदस्यों अशिमा गोयल और जयंत वर्मा ने दरों में कटौती के पक्ष में मतदान किया था, तथा तर्क दिया था कि आरबीआई द्वारा दरें ऊंची रखने पर जोर देने से विकास को नुकसान हो रहा है. जबकि अन्य चार सदस्य इसके खिलाफ थे. स्पष्ट है कि एमपीसी में नए सदस्यों के आने से रेट घटाने का रास्ता साफ हो गया.

इस बार महंगाई के थोड़ा कम होने से रेपो दर में 0.25 प्रतिशत बिंदु की कमी की गई है. भविष्य में महंगाई दर कम रहने के संकेत और अनुमान के साथ हम रेपो रेट में और कटौती की उम्मीद कर सकते हैं; जिससे मांग में विस्तार से अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा. ब्याज दरों में बदलाव या ठहराव देश की मौद्रिक नीति का एक मुख्य आयाम होता है.

इन्हें देश का केंद्रीय बैंक यानी भारतीय रिजर्व बैंक निर्धारित करता है. दुनिया भर में नीतिगत ब्याज दरें अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करती हैं. इसमें बैंक दर, रेपो दर, रिवर्स रेपो दर आदि शामिल होते हैं. 2016 में सरकार ने निर्णय लिया कि ब्याज दर का निर्धारण मौद्रिक नीति समिति करेगी, जिसमें रिजर्व बैंक के गर्वनर के अलावा 6 सदस्य होते हैं.

बराबर के वोट होने पर रिजर्व बैंक के गवर्नर का वोट निर्णायक होता है. मौद्रिक नीति समिति 27 जून 2016 को पहली बार अस्तित्व में आई. मौद्रिक नीति समिति के लिए यह निर्धारित किया गया कि वो देश में महंगाई की दर को ध्यान में रखते हुए ही ब्याज दर का निर्धारण करेगी. यह तय किया गया कि महंगाई दर को 4 प्रतिशत, जमा-घटा 2 प्रतिशत की सीमा में रखने का लक्ष्य रखा जाए. इसे तकनीकी भाषा में महंगाई लक्ष्य यानी ‘इनफ्लेशन टारगेटिंग’ कहा जाता है.

Web Title: RBI Rate Cut 2025 determination development wins over fear inflation blog Ashwini Mahajan cut 0-25 percent first time

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