अमेरिका के लिए ही गड्ढा खोद रहे हैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फोर्ड को टैरिफ के रूप में 800 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा

By विकास मिश्रा | Updated: August 19, 2025 05:24 IST2025-08-19T05:24:45+5:302025-08-19T05:24:45+5:30

डोनाल्ड ट्रम्प की सनक के कारण अमेरिका की मशहूर कार निर्माता कंपनी फोर्ड को टैरिफ के रूप में 800 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा है.

President Donald Trump digging hole America itself chaos in America too Ford had to pay $800 million in tariffs blog Vikas Mishra | अमेरिका के लिए ही गड्ढा खोद रहे हैं राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, फोर्ड को टैरिफ के रूप में 800 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा

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Highlights अब सोचिए कि फोर्ड ने ये जो बड़ा भुगतान किया है, उसकी वसूली किससे हुई होगी या भविष्य में होगी?ट्रम्प की यह बात अमेरिकी उद्योगपति मान भी लें तो सभी कलपुर्जों के निर्माण के लिए कारखाने लगाने होंगे. अमेरिका के अर्थशास्त्री यह बात समझ रहे हैं इसलिए वे खुले रूप से ट्रम्प की आलोचना करने लगे हैं.

डोनाल्ड ट्रम्प के सनकी टैरिफ से सबसे ज्यादा नुकसान किसे हो रहा है या किसे होने वाला है? इस वक्त पूरी दुनिया में सबसे महत्वपूर्ण सवाल यही है. एक भारतीय के रूप में हम सोच रहे हैं कि हम अपने कुल निर्यात का करीब 18 प्रतिशत हिस्सा अमेरिका को बेचते हैं. ट्रम्प के टैरिफ के कारण हमारा माल महंगा हो जाएगा और मांग प्रभावित होगी. यह हकीकत भी है लेकिन उससे बड़ी हकीकत यह है कि हमसे भी ज्यादा नुकसान अमेरिकी नागरिकों का होना है. इसका सहज अंदाजा आप इस बात से लगा सकते हैं कि ट्रम्प की सनक के कारण अमेरिका की मशहूर कार निर्माता कंपनी फोर्ड को टैरिफ के रूप में 800 मिलियन डॉलर का भुगतान करना पड़ा है. अब सोचिए कि फोर्ड ने ये जो बड़ा भुगतान किया है, उसकी वसूली किससे हुई होगी या भविष्य में होगी?

फोर्ड ने कहा है कि बाजार में बने रहने के लिए वह ग्राहकों को डिस्काउंट देने जा रही है लेकिन कितने दिनों तक? कोई कंपनी दिवालिया होकर तो ग्राहकों को डिस्काउंट देगी नहीं! फोर्ड का उदाहरण कई और कहानियां कहता है. फोर्ड अपनी 80 प्रतिशत कारें अमेरिका में बनाता है तब उसे इतना ज्यादा भुगतान करना पड़ा है.

जरा उन कार निर्माताओं के बारे में सोचिए जिनकी कारें दुनिया भर में बनती हैं. इसे इस तरह समझिए कि यदि कोई कार न्यूयॉर्क में बन रही है तो भी उसके कलपुर्जे दूसरी जगहों से आते हैं. कुछ कलपुर्जे चीन से आएंगे तो कुछ भारत से या फिर दुनिया के दूसरे देशों से. ट्रम्प ने तो 90 से ज्यादा देशों पर टैरिफ थोप दिया है.

ऐसी स्थिति में अमेरिका में बनने वाली कार भी महंगी होनी ही है. अब ट्रम्प कह रहे हैं कि पूरी कार अमेरिका में बनाओ! ट्रम्प की यह बात अमेरिकी उद्योगपति मान भी लें तो सभी कलपुर्जों के निर्माण के लिए कारखाने लगाने होंगे. इसके लिए समय भी चाहिए और बड़े पैमाने पर पूंजी की भी जरूरत पड़ेगी. ये तो अपन ने कार की बात की. दूसरी सभी चीजों के साथ यही बात लागू होती है.

यानी टैरिफ का असर सीधे-सीधे अमेरिकी नागरिकों पर ही पड़ना है. अमेरिका के अर्थशास्त्री यह बात समझ रहे हैं इसलिए वे खुले रूप से ट्रम्प की आलोचना करने लगे हैं. अपनी आलोचनाओं का जवाब देने के लिए ट्रम्प लगातार कह रहे हैं कि अमेरिकी ट्रेजरी में धन बरस रहा है. मगर यह नहीं बता रहे हैं कि यह धनराशि अमेरिकियों की जेब से आ रही है.

अर्थशास्त्री यही बात समझाने की कोशिश कर रहे हैं लेकिन ट्रम्प किसी की सुनते कहां हैं? इस टैरिफ के खिलाफ कई लोग कोर्ट गए हैं लेकिन ट्रम्प आम नागरिकों से लेकर अमेरिकी कोर्ट तक को डरा रहे हैं कि टैरिफ के खिलाफ यदि कोई फैसला आया तो अमेरिकियों की स्थिति 1929 जैसी हो जाएगी. दरअसल अमेरिका में 1929 में भयंकर मंदी आई थी जिसे महामंदी भी कहा जाता है.

करीब दस साल तक चली मंदी ने अमेरिका को झकझोर कर रख दिया था. उद्योग-धंधे बंद हो गए थे. पूरे देश में बेरोजगारी चरम पर थी. बैंकिंग क्षेत्र तबाह हो गया था. ट्रम्प के डरावने बयानों पर अर्थशास्त्रियों का कहना है कि ट्रम्प के उपद्रव को नहीं रोका गया तो जरूर 1929 जैसी स्थिति पैदा हो सकती है. इंटेल के मुख्य वित्तीय अधिकारी डेविड जिंसनर ने तो साफ कहा है कि जो हालात पैदा हो रहे हैं,

उससे आर्थिक मंदी की आशंकाएं प्रबल हो रही हैं. अमेरिकी अर्थशास्त्रियों की एक बड़ी चिंता भारत के साथ रिश्तों को लेकर है. चाहे रिपब्लिकन हों या फिर डेमोक्रेट, सभी का यह मानना है कि भारत और अमेरिका की दोस्ती बहुत जरूरी है क्योंकि चीन एक विकराल दैत्य के रूप में सामने खड़ा है. चीन हर क्षेत्र में अमेरिका को चुनौती दे रहा है.

आंख में आंख डालकर धमकी के बदले धमकी दे रहा है. चीन से निपटने के लिए अमेरिका को भारत का साथ चाहिए ही चाहिए अन्यथा चीन के सामने वह कमजोर पड़ेगा. यही कारण है कि अमेरिकी विशेषज्ञ लगातार कह रहे हैं कि व्यक्ति नहीं देश महत्वपूर्ण होता है इसलिए ट्रम्प के उपद्रव पर भारत तीखी प्रतिक्रिया देने से बचे.

भले ही ट्रम्प दोषी हों लेकिन रिश्ते उस मोड़ पर न पहुंच जाएं जहां से वापसी संभव ही न हो! दरअसल विशेषज्ञ यह कहना चाह रहे हैं कि ट्रम्प के ताश के महल बहुत जल्दी ढह जाएंगे. तब तक इंतजार करना चाहिए. शायद लोगों को उम्मीद है कि अमेरिका में ट्रम्प के खिलाफ बड़े पैमाने पर विद्रोह जल्दी ही शुरू हो सकता है क्योंकि अमेरिकी अपने देश को एक व्यक्ति की सनक के कारण गड्ढे में गिरते हुए नहीं देख सकते! अब मांग उठने लगी है कि अमेरिकी कांग्रेस को हस्तक्षेप करना चाहिए और ट्रम्प पर अंकुश लगाना चाहिए!

अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब अमेरिका अलग-थलग पड़ जाएगा. वैसे भी ट्रम्प की हरकतों के कारण अमेरिका के सामने इस वक्त  विश्वास का संकट पैदा हो गया है. अविश्वास किसी भी राष्ट्र के लिए बहुत खतरनाक होता है.

अमेरिका में भी उपद्रव मचा रहे हैं ट्रम्प...!

अमेरिकी लोग इस वक्त भारी चिंता में हैं क्योंकि ट्रम्प केवल दूसरे देशों के साथ ही उपद्रव नहीं कर रहे हैं बल्कि अपने देश में भी उनका रवैया एक तानाशाह जैसा हो गया है.  वाशिंगटन डीसी की सड़कों पर उन्होंने अमेरिकी नेशनल गार्ड के जवानों को तैनात कर दिया है. ट्रम्प कह रहे हैं कि अपराध बहुत बढ़ गए हैं लेकिन हकीकत यह है कि 2023 के बाद वहां अपराध कम हुए हैं. वाशिंगटन डीसी की मेयर म्यूरियल बोसर डेमोक्रेट हैं और उन्होंने ट्रम्प के इस कदम की खुली आलोचना की है.

चिंता की बात यह है कि ट्रम्प ने न्यूयॉर्क और शिकागो में भी नेशनल गार्ड तैनात करने की धमकी दी है. उन दोनों शहरों पर भी डेमोक्रेट का नियंत्रण है और रिपब्लिकन ट्रम्प को यह बात रास नहीं आ रही है. वे तानाशाह की तरह व्यवहार कर रहे हैं...हकीकत यही है कि इस वक्त ट्रम्प खंजर लेकर घूम रहे हैं...निशाने पर अमेरिका है!

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