प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: कारोबारी जगत की उम्मीदें
By Prakash Biyani | Updated: December 31, 2019 07:22 IST2019-12-31T07:22:57+5:302019-12-31T07:22:57+5:30
रघुराम राजन ने सख्ती से एनपीए की वास्तविक रिपोर्टिग करवाई तो पता चला कि यह राशि 9 लाख करोड़ रु. से ज्यादा है.

प्रकाश बियाणी का ब्लॉग: कारोबारी जगत की उम्मीदें
रघुराम राजन का धन्यवाद, जिन्होंने बैंकों की बैलेंस शीट्स क्लीन की. सितंबर 2013 में वे रिजर्व बैंक के गवर्नर बनाए गए थे. बैंकों के प्रमुख तब एक दशक से अपने कार्यकाल को बेदाग बनाए रखने के लिए बैड लोन्स की विंडो ड्रेसिंग कर रहे थे. मूलधन तो छोड़ दें, ब्याज तक जिनसे नहीं मिल रहा था उन खातों की सच्चाई वे रिपोर्ट नहीं करते थे. यह सिलसिला अभी तक नहीं था.
रघुराम राजन ने सख्ती से एनपीए की वास्तविक रिपोर्टिग करवाई तो पता चला कि यह राशि 9 लाख करोड़ रु. से ज्यादा है. रिजर्व बैंक ने बैंकों को निर्देश दिए कि यह राशि बट्टे खाते में डालें. इससे बैंकों का मुनाफा घटा और ऋण वितरण क्षमता घटी. 2016 में नरेंद्र मोदी की सरकार ने एनपीए की वसूली के लिए दिवालिया कानून बनाया, पर इसे भी डिफॉल्टर्स ने बार-बार कोर्ट में चुनौती दी.
इस बदले परिदृश्य में जवाबदेही के डर से बैंकर्स कर्ज देने से आनाकानी करने लगे जिससे मार्केट में नगदी की कमी हुई. यही नहीं, देश के फाइनेंशियल सेक्टर को भी कई दुर्घटनाओं का सामना करना पड़ा. डिफॉल्टर होने वालों की वजह से नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों पर से लोगों का भरोसा उठने लगा. जेट एयरवेज डूबी.
किंगफिशर एयरलाइंस के विजय माल्या बैंकों के 10 हजार करोड़ रुपए तो नीरव मोदी और मेहुल चोकसी 20 हजार करोड़ रुपए लूटकर विदेश भाग गए.
इतनी घटना-दुर्घटनाओं के बावजूद एचडीएफसी बैंक के मैनेजिंग डायरेक्टर आदित्य पुरी का कहना है कि देश का बैंकिंग सिस्टम सुरक्षित है. हमारे बैंक कई मामलों में विकसित और संपन्न देशों से बेहतर हैं. दुनिया में सबसे सस्ती बैंकिंग सेवाएं भारत में उपलब्ध हैं.
भारतीय स्टेट बैंक के चेयरमैन रजनीश कुमार कहते हैं कि बुरे दिन गए, अब अच्छे दिन आ रहे हैं. कारोबारी कर्ज मांगने लगे हैं. सरकार ने खर्च बढ़ा दिया है. स्टेट बैंक देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक है जो पात्न लोगों को कर्ज देने से मना नहीं कर सकता.
अब सबको बजट-2020 की प्रतीक्षा है. निर्मला सीतारमण ने सरकारी पर्स तो खोल दिया है. अब उन्हें हम सबके पर्स में पैसे पहुंचाना है ताकि हमारी क्रय शक्ति बढ़े और मार्केट में चहल-पहल.