विदेशी मुद्रा के लिए बने एनआरआई डिपॉजिट स्कीम

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: September 13, 2018 02:45 PM2018-09-13T14:45:33+5:302018-09-13T14:45:33+5:30

हाल ही में 11 सितंबर को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का आकार 400 अरब डॉलर के स्तर से भी कम हो गया और इसमें आने वाले दिनों में और अधिक तेजी से कमी आने की आशंका है।

NRI Deposit Scheme for Foreign Currency | विदेशी मुद्रा के लिए बने एनआरआई डिपॉजिट स्कीम

फाइल फोटो

(जयंतीलाल भंडारी-प्रख्यात अर्थशास्त्री)

हाल ही में 11 सितंबर को भारत के विदेशी मुद्रा भंडार का आकार 400 अरब डॉलर के स्तर से भी कम हो गया और इसमें आने वाले दिनों में और अधिक तेजी से कमी आने की आशंका है। इसके साथ ही 10 सितंबर को रुपया डॉलर के मुकाबले 72।45 के निम्नतम स्तर पर आ गया है तथा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमत 77 डॉलर प्रति बैरल पहुंच गई है। इसके साथ-साथ अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर की आशंका बढ़ने के कारण दुनिया के शेयर बाजारों में बिकवाली बढ़ गई। अमेरिका ने कहा है कि वह चीन के उत्पादों पर अतिरिक्त 267 अरब डॉलर का टैरिफ लगाने की तैयारी कर रहा है।

 गौरतलब है  कि हाल ही में बैंक आॅफ अमेरिका मेरिल लिंच ने अपनी नवीनतम रिपोर्ट में अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध के और गहराने की संभावना को रेखांकित किया है। कहा गया है कि इन दोनों देशों के बीच व्यापार युद्ध के कारण डॉलर  लगातार मजबूत हो रहा है और दुनिया के अधिकांश देशों की मुद्राएं कमजोर हो रही हैं। इससे दुनियाभर में शेयर बाजार, मुद्रा बाजार और सोयाबीन तथा कोयले सहित जिंस बाजारों में लगातार गिरावट आ रही है। चूंकि भारत की तुलनात्मक रूप से डॉलर पर ऋण निर्भरता कम है, इसलिए डॉलर की मजबूती का अन्य देशों की तुलना में भारत पर असर कम पड़ा है। लेकिन अब जैसे-जैसे डॉलर और मजबूत होता जा रहा है, वैसे-वैसे रुपए की कीमत में तेज गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था की चिंताएं बढ़ा रही है। 

यदि हम मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिदृश्य को देखें तो पाते हैं कि डॉलर की लगातार मजबूती से वैश्विक परिदृश्य पर आर्थिक एवं वित्तीय चिंताएं उभरकर दिखाई दे रही हैं। भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी डॉलर का संकट चिंता का कारण बना हुआ दिखाई दे रहा है।  दुनिया के बाजारों पर डॉलर की मजबूती का भारी दबाव दिखाई दे रहा है। डॉलर की मजबूती से दुनिया के कई देशों के शेयर बाजार लगातार गिरावट दिखा रहे हंै और कई देशों की मुद्राओं में डॉलर के मुकाबले लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है।

 हम आशा करें कि सरकार डॉलर की लगातार मजबूती से भारतीय अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रतिकूल प्रभावों को कम करने के लिए सुनिश्चित कदम उठाएगी। वैश्विक संरक्षणवाद की नई चुनौतियों के बीच सरकार को निर्यात प्रोत्साहन के लिए और अधिक कारगर कदम उठाने होंगे। देश से निर्यात बढ़ाने के लिए कम-से-कम कुछ ऐसे देशों के बाजार भी जोड़े जाने होंगे, जहां गिरावट अधिक नहीं है। सरकार के द्वारा भारतीय उत्पादों को प्रतिस्पर्द्धी बनाने वाले सूक्ष्म आर्थिक सुधारों को लागू किया जाना होगा। सरकार रुपए की कीमत में गिरावट को निर्यात बढ़ाने के एक अवसर के रूप में परिवर्तित करेगी। खासतौर से अमेरिका एवं चीन के बीच व्यापार युद्ध के कारण इन दोनों देशों में जो निर्यात संभावनाएं उभरकर सामने आई हैं, उन्हें मुठ्ठियों में करने के लिए शीघ्रतापूर्वक आगे बढ़ना होगा। सरकार और सेबी के द्वारा शेयर बाजार पर सतर्क निगाहें रखी 
जानी होगी

Web Title: NRI Deposit Scheme for Foreign Currency

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