लाइव न्यूज़ :

ब्लॉग: अब तेज आर्थिक विकास के सामने चुनौती

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: June 10, 2024 09:51 IST

पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध धन बढ़ने से निश्चित रूप से राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को बल मिलेगा।

Open in App

जयंतीलाल भंडारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व  वाली एनडीए के तीसरे कार्यकाल की नई सरकार देश को आर्थिक विकास की डगर पर तेजी से आगे बढ़ाने का स्पष्ट संकेत देते हुए दिखाई दे रही है। लेकिन गठबंधन सरकार होने के कारण तेज आर्थिक विकास के सामने चुनौतियां भी हैं।

निश्चित रूप से  नई गठबंधन सरकार को एक बेहतर आर्थिक परिवेश के साथ बेहतर मानसून की सौगातें विरासत में मिलते हुए दिखाई दे रही हैं। स्थिति यह है कि देश की बेहतर आर्थिक स्थिति के परिप्रेक्ष्य में दुनिया की क्रेडिट रेटिंग एजेंसियां यह कहते हुए दिखाई दे रही हैं कि भारत में कोई भी सरकार बने, अब आर्थिकी तेज गति से मजबूत होगी।

खास बात यह भी है कि एनडीए गठबंधन के समर्थक नेताओं के द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जिस तरह सराहना की गई है और उनके द्वारा विकसित भारत के लिए हर तरह का योगदान देने का संकल्प दोहराया गया है, उससे निश्चित ही देश की अर्थव्यवस्था तेज गति से आगे बढ़ेगी।

उल्लेखनीय है कि हाल ही में केंद्रीय सांख्यिकी संगठन ने वर्ष 2023-24 में देश की विकास दर 8.2 फीसदी रहने संबंधी रिपोर्ट जारी की है। वैश्विक क्रेडिट रेटिंग एजेंसियों के मुताबिक आर्थिक व वित्तीय बाजार मजबूत हो रहे हैं। भारत के वित्तीय और गैर वित्तीय क्षेत्रों के दमदार बही-खाते भारत की आर्थिक ताकत बढ़ा रहे हैं।

रिजर्व बैंक के द्वारा भारत सरकार को दिया गया रिकॉर्ड लाभांश, वैश्विक आर्थिक संगठनों के द्वारा भारत के विकास के नए-नए प्रभावी विश्लेषण प्रस्तुत किए जा रहे हैं। इन सबके साथ-साथ नई सरकार से देश की अर्थव्यवस्था को नई शक्ति मिलने की संभावनाओं से देश की अर्थव्यवस्था मजबूती के साथ आगे बढ़ने के शुभ संकेत देते हुए दिखाई दे रही है।

निश्चित रूप से वर्ष 2023-24 में भारत की विकास दर के 8.2 प्रतिशत रहने, शेयर बाजार के बढ़ने, रिजर्व बैंक द्वारा सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपए का बंपर लाभांश दिए जाने से नई सरकार को व्यय प्रबंधन में खासी मदद मिलेगी। यह बात भी महत्वपूर्ण है कि फरवरी 2024 में संसद में पेश किए वित्त वर्ष 2024-25 के अंतरिम बजट में सरकार ने 5.1 प्रतिशत राजकोषीय घाटे का लक्ष्य रखा है।

केंद्र सरकार अपने राजकोषीय मार्ग के तहत वित्त वर्ष 2025-26 तक राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 4.5 प्रतिशत पर लाना चाहती है। पूंजीगत व्यय के लिए उपलब्ध धन बढ़ने से निश्चित रूप से राजकोषीय घाटे की गुणवत्ता को बल मिलेगा। इन सबके साथ-साथ नई  गठबंधन सरकार के सामने तेज गति से विकास की चुनौती दिखाई दे रही है। 

टॅग्स :इकॉनोमीबिजनेसभारत
Open in App

संबंधित खबरें

क्रिकेट"मैं बिहार से हूँ": यूएई के खिलाड़ियों की स्लेजिंग पर वैभव सूर्यवंशी का ज़बरदस्त जवाब

अन्य खेलLionel Messi's India Tour 2025: कोलकाता, हैदराबाद, मुंबई और दिल्ली इवेंट के लिए पूरा शहर-वार शेड्यूल चेक करें

कारोबारRupee vs Dollar: भारतीय रुपया गिरा धड़ाम, 24 पैसे टूटकर डॉलर के मुकाबले अब तक के सबसे निचले स्तर पर

भारतAadhaar Update Rules: बिना किसी डॉक्यूमेंट्स के आधार कार्ड में बदले ये चीजें, जानें यहां

विश्वडोनाल्ड ट्रंप ने लॉन्च किया 'गोल्ड कार्ड' वीजा प्रोग्राम, अमेरिकी नागरिकता पाने के लिए देने होंगे 10 लाख; जानें क्या है ये

कारोबार अधिक खबरें

कारोबार445 रुपये बढ़ाकर 12,027 रुपये प्रति क्विंटल, कोपरा किसान को खुशखबरी, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने दिया तोहफा

कारोबारविकास और सेवा के 2 साल, 42 दिन में 42 नक्सलवादियों ने किया सरेंडर, सीएम मोहन यादव बोले-नदी जोड़ो अभियान तेज, मुख्य बातें

कारोबारकौन हैं अमन जैन?, मेटा इंडिया ने इस पद पर नियुक्त किया

कारोबारPetrol-Diesel Price Today: पेट्रोल पंप पर जाने से पहले चेक करें ईंधन के दाम, जानें आज जेब पर कितना होगा असर

कारोबारब्याज दर घटाकर ग्राहकों को लाभ दें बैंक, मौद्रिक नीति समीक्षा बैठक