उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण की दिशा में नया कदम, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: December 24, 2020 12:27 IST2020-12-24T12:25:43+5:302020-12-24T12:27:15+5:30
उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को निरस्त करके 9 अगस्त, 2019 को नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 प्रतिस्थापित किया गया तथा इसे 20 जुलाई, 2020 से लागू किया गया है.

भारतीय उपभोक्ता बाजार में जहां नए उपभोक्ता कानून से भारतीय उपभोक्ताओं की संतुष्टि बढ़ेगी. (file photo)
24 दिसंबर भारत में राष्ट्रीय उपभोक्ता दिवस के रूप में मनाया जाने वाला एक ऐतिहासिक दिन है. इस दिन 1986 में उपभोक्ता संरक्षण कानून लागू किया गया था.
लेकिन पिछले एक-डेढ़ दशक से उपभोक्ता अधिकारों के संरक्षण हेतु एक नए प्रभावी कानून की जरूरत अनुभव की जाने लगी थी. इसी परिप्रेक्ष्य में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 को निरस्त करके 9 अगस्त, 2019 को नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 प्रतिस्थापित किया गया तथा इसे 20 जुलाई, 2020 से लागू किया गया है.
कोविड-19 के कारण देश में उपभोक्ता बाजार के बदलते स्वरूप, ई-कॉमर्स तथा डिजिटलीकरण के नए दौर में नए उपभोक्ता संरक्षण कानून का कारगर क्रियान्वयन लाभप्रद दिखाई दे रहा है. यदि हम नए उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की तस्वीर देखें तो पाते हैं कि इसके तहत उपभोक्ताओं के हितों से जुड़े विभिन्न प्रावधानों को प्रभावी बनाने के लिए कई नियमों को प्रभावी किया गया है.
इनमें उपभोक्ता संरक्षण (सामान्य) नियम 2020, उपभोक्ता संरक्षण (उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग) नियम 2020, उपभोक्ता संरक्षण (मध्यस्थता) नियम 2020, उपभोक्ता संरक्षण (केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद) नियम 2020 और उपभोक्ता संरक्षण (ई-कॉमर्स) नियम 2020 शामिल हैं.
नि:संदेह नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम न केवल पिछले 1986 के अधिनियम की तुलना में अधिक व्यापक है, वरन् इसमें उपभोक्ता अधिकारों का बेहतर संरक्षण भी किया गया है. नए उपभोक्ता अधिनियम के तहत केंद्रीय स्तर पर एक सेंट्रल कंजुमर प्रोटेक्शन अथॉरिटी (सीसीपीए) का गठन 24 जुलाई, 2020 को किया गया है.
इसके तहत उपभोक्ता के अधिकारों की रक्षा के लिए सीसीपीए को शिकायतों की जांच करने, असुरक्षित वस्तुओं तथा सेवाओं को वापस लेने के आदेश देने, अनुचित व्यापार व्यवस्थाओं और भ्रामक विज्ञापनों को रोकने के आदेश देने तथा भ्रामक विज्ञापनों के प्रकाशकों पर जुर्माना लगाने के अधिकार प्रदान किए गए हैं. पहली बार उपभोक्ता संरक्षण कानून के दायरे में ई-कॉमर्स, ऑनलाइन, डायरेक्ट सेलिंग और टेलीशॉपिंग कंपनियों को भी लिया गया है.
खास बात यह है कि नए उपभोक्ता अधिनियम से जहां अब एक करोड़ रुपए तक के मामले जिला विवाद निवारण आयोग में दर्ज कराए जा सकेंगे, वहीं एक करोड़ रु. से अधिक किंतु 10 करोड़ तक राशि के उपभोक्ता विवाद राज्यस्तरीय आयोग में दर्ज कराए जा सकेंगे. राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में 10 करोड़ रु. से अधिक मूल्य वाले उपभोक्ता विवादों की सुनवाई होगी.
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि नए अधिनियम में जिला आयोग के निर्णय की अपील राज्य आयोग में करने की समयावधि को 30 दिन से बढ़ाकर 45 दिन किया गया है. इसी तरह किसी उत्पादक तथा विक्रे ता के विरुद्ध शिकायत अभी तक उसके क्षेत्न में ही दर्ज कराई जा सकती थी. लेकिन अब नए अधिनियम के तहत उपभोक्ता के आवास एवं कार्यक्षेत्न से भी शिकायत दर्ज कराई जा सकेगी. नए उपभोक्ता कानून में अब उपभोक्ता अदालत में ही दावा किया जा सकेगा.
यद्यपि देश में नया उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 20 जुलाई 2020 से लागू हो चुका है, लेकिन अभी भी देश के करोड़ों उपभोक्ताओं को किसी भी प्रकार की ठगी से बचाने और उनके हितों के संरक्षण की चुनौतियां मुंह बाए खड़ी हैं. यह चुनौती ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्नों में ज्यादा है.
हम आशा करें कि नए उपभोक्ता संरक्षण कानून में उपभोक्ताओं के अधिकारों के संवर्धन और संरक्षण करने पर जिस तरह जोर दिया गया है, उससे अनुचित व्यापार व्यवहारों से उपभोक्ताओं को नुकसान से बचाने में मदद मिलेगी.
निश्चित रूप से कोविड-19 के बाद छलांगे लगाकर बढ़ते हुए भारतीय उपभोक्ता बाजार में जहां नए उपभोक्ता कानून से भारतीय उपभोक्ताओं की संतुष्टि बढ़ेगी, वहीं देश के करोड़ों उपभोक्ता भ्रामक विज्ञापनों, टेली मार्केटिंग, ई-कॉमर्स के तहत अनुचित व्यापार व्यवहारों से बच पाएंगे.