ब्लॉग: चुनौतियों के बीच विदेश व्यापार की बढ़ती अनुकूलताएं, नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति से भी भारत को फायदा

By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: June 23, 2022 14:52 IST2022-06-23T14:49:00+5:302022-06-23T14:52:45+5:30

साल 2021-22 में अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर हो गया, जो इसके पूर्ववर्ती वर्ष में 29 अरब डॉलर था. अमेरिका में 200 भारतीय कंपनियां मौजूद हैं और भारत में 2000 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां सक्रिय हैं.

Jayantilal Bhandari blog: Growing adaptability of foreign trade amidst challenges | ब्लॉग: चुनौतियों के बीच विदेश व्यापार की बढ़ती अनुकूलताएं, नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति से भी भारत को फायदा

ब्लॉग: चुनौतियों के बीच विदेश व्यापार की बढ़ती अनुकूलताएं, नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति से भी भारत को फायदा

यद्यपि इस समय वैश्विक मंदी की लहर का भारत की अर्थव्यवस्था पर भी असर हो रहा है, सेंसेक्स और डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत में बड़ी गिरावट और ब्याज की बढ़ती दरों व पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों के कारण महंगाई का बढ़ा हुआ ग्राफ दिखाई दे रहा है, किंतु इन आर्थिक और वित्तीय चुनौतियों के बीच भी भारत के लिए विदेश व्यापार का अनुकूल परिदृश्य उभरकर दिखाई दे रहा है. 

इस समय विकसित, विकासशील और पड़ोसी देशों के साथ भारत के विदेश व्यापार के नए समझौतों और व्यापार वार्ताओं का नया अध्याय लिखा जा रहा है. हाल ही में 17 जून को दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के संगठन आसियान के विदेश मंत्रियों ने नई दिल्ली में भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के साथ विशेष बैठक में विदेश व्यापार में वृद्धि का बड़ा एजेंडा तैयार किया है.

गौरतलब है कि अमेरिका की अगुवाई में 24 मई को बनाए गए भारत सहित 14 देशों के संगठन हिंद-प्रशांत आर्थिक फ्रेमवर्क (आईपीईएफ) के सदस्य देशों की 11 जून को पेरिस में आयोजित हुई अनौपचारिक बैठक के बाद इसके सदस्य देशों के साथ भारत से निर्यात बढ़ने और विदेश व्यापार को नई गतिशीलता मिलने की संभावनाएं उभरकर दिखाई दी हैं. 

वस्तुतः आईपीईएफ पहला बहुपक्षीय करार है जिसमें भारत शामिल हुआ है. इसमें अमेरिका, भारत, जापान, ऑस्ट्रेलिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया, मलेशिया, न्यूजीलैंड, फिलिपींस, सिंगापुर, थाईलैंड, वियतनाम और फिजी शामिल हैं.

यह भी उल्लेखनीय है कि 10 जून को अमेरिका में भारत के राजदूत तरनजीत सिंह संधू ने कहा कि अब भारत-अमेरिका व्यापार और आर्थिक संबंधों का नया दौर शुरू हुआ है. दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी तेजी से बढ़ती जा रही है. संधू ने कहा कि अमेरिका में 200 भारतीय कंपनियां मौजूद हैं और भारत में 2000 से ज्यादा अमेरिकी कंपनियां सक्रिय हैं. अब दोनों देशों के बीच आर्थिक साझेदारी तेजी से बढ़ेगी.

ज्ञातव्य है कि विगत 29 मई को वाणिज्य मंत्रालय के द्वारा प्रकाशित आंकड़ों के अनुसार पिछले वित्त वर्ष 2021-22 में अमेरिका और भारत के बीच 119.42 अरब डाॅलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ, जो 2020-21 में 80.51 अरब डॉलर था. भारत से अमेरिका को निर्यात 2021-22 में बढ़कर 76.11 अरब डॉलर हो गया. यह 2020-21 में 51.62 अरब डॉलर था. 

वर्ष 2021-22 में अमेरिका से भारत का आयात बढ़कर 43.31 अरब डॉलर हो गया, जो इसके पूर्ववर्ती वर्ष में 29 अरब डॉलर था. खास बात यह है कि अमेरिका उन गिने-चुने देशों में है जिनके साथ भारत व्यापार अधिशेष (ट्रेड सरप्लस) की स्थिति में है और अब अमेरिका चीन को पीछे करते हुए भारत का सबसे बड़ा ट्रेडिंग पार्टनर बन गया है.

उल्लेखनीय है कि इस समय भारत के द्वारा नेबर फर्स्ट और एक्ट ईस्ट नीति के साथ आर्थिक और कारोबारी संबंधों का नया अध्याय लिखा जा रहा है. पिछले माह 16 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउबा के साथ बहुआयामी द्विपक्षीय संबंधों के सभी पहलुओं पर चर्चा की और सांस्कृतिक संबंधों को मजबूत बनाने, शिक्षा क्षेत्र में सहयोग एवं पनबिजली क्षेत्र से जुड़ी परियोजनाओं को लेकर छह समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए. 

इसी तरह पिछले माह 12 मई को रानिल विक्रमसिंघे ने श्रीलंका के नए प्रधानमंत्री बनने के बाद भारत के साथ तेजी से आर्थिक सहयोग बढ़ाने के संकेत दिए हैं. भारत ने मार्च-अप्रैल 2022 में श्रीलंका को कर्ज डिफाल्ट से बचने के लिए 2.4 अरब डॉलर की मदद, दवाओं, डीजल की आपूर्ति तथा अन्य जरूरी आयात के लिए एक अरब डॉलर की क्रेडिट लाइन जैसी मदद भी की है. इन सबके साथ-साथ 19 मई को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने श्रीलंका के साथ रुपए में व्यापार लेन-देन की अनुमति भी दी है.

अब भारत के द्वारा पाकिस्तान के भारत विरोधी और आतंकी रवैये के कारण भारत दक्षेस के भीतर क्षेत्रीय उपसमूह बीबीआईएन (बांग्लादेश, भूटान, भारत और नेपाल) की एकसूत्रता पर जोर देकर इन देशों के साथ क्षेत्रीय व्यापार बढ़ाने की रणनीति पर तेजी से कदम आगे बढ़ाए जा रहे हैं.

Web Title: Jayantilal Bhandari blog: Growing adaptability of foreign trade amidst challenges

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