अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के ‘टैरिफ टेरर’ पर भारत की दो-टूक, कहा-स्वतंत्र और व्यावहारिक निर्णय आगे भी लेते रहेंगे

By शोभना जैन | Updated: August 6, 2025 05:22 IST2025-08-06T05:22:50+5:302025-08-06T05:22:50+5:30

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ ने गलत तरीके से निशाना बनाया है.

India sharp reply US President Donald Trump's tariff terror continue to take independent and pragmatic decisions blog Shobhana Jain | अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प के ‘टैरिफ टेरर’ पर भारत की दो-टूक, कहा-स्वतंत्र और व्यावहारिक निर्णय आगे भी लेते रहेंगे

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Highlightsभारत ने रूस से तेल इसलिए खरीदना शुरू किया.भारतीय लोगों को सस्ती और स्थिर ऊर्जा देना है. अंतरराष्ट्रीय हालात के कारण उठाया गया जरूरी कदम है.

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  के पहले कार्यकाल में  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से उनकी  घनिष्ठता रही, लेकिन वही नजदीकियां ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल में दुःस्वप्न साबित होती जा रही हैं. ट्रम्प  व्यापार पर  भारत के खिलाफ निरंतर टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं. उन्होंने भारत के रूस से कच्चा तेल खरीदने को लेकर आर्थिक मुनाफ कमाने से लेकर  इस खरीद के बदले रूस के हाथ यूक्रेन से लड़ने के लिए मजबूत करने जैसे आरोप मढ़ डाले. लेकिन भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत को अमेरिका और यूरोपीय संघ ने गलत तरीके से निशाना बनाया है.

असल में, भारत ने रूस से तेल इसलिए खरीदना शुरू किया क्योंकि उस समय भारत को मिलने वाली पुरानी आपूर्ति यूरोप को देना शुरू कर दिया गया था. भारत ने साफ तौर पर कहा कि वह अपनी ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए स्वतंत्र और व्यावहारिक निर्णय आगे भी लेता रहेगा. उल्लेखनीय है कि रूस दुनिया भर में कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है.

भारत और चीन इसके सबसे बड़े खरीददारों में से एक हैं. विशेषज्ञों का मत है कि  अगर कच्चे तेल का निर्यात बंद हो जाता है तो भारत सहित दुनियाभर में तेल की कीमतें काफी बढ़ सकती हैं. कुल मिला कर कहा जा सकता है कि इससे अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतों पर काफी अंकुश लगा है. विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत रूस से जो तेल खरीदता है,

उसका मकसद भारतीय लोगों को सस्ती और स्थिर ऊर्जा देना है. यह कोई पसंद का मामला नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय हालात के कारण उठाया गया जरूरी कदम है. हैरानी की बात यह है कि जो देश भारत की आलोचना कर रहे हैं, वे खुद भी रूस से व्यापार कर रहे हैं. ऐसे में सवाल है कि  ट्रम्प ‘टैरिफ  टेरर’ के जरिये संप्रभुता सम्पन्न देशों से इस तरह के एकपक्षीय व्यापार समझौते से क्या हासिल करना चाहते हैं,

जो कदम उनके अपने देश की अर्थव्यवस्था के लिए भी कोई खास फायदेमंद होने वाला नहीं है. भारत ने चूंकि साफ तौर पर कहा है कि वह अपने राष्ट्रीय हितों से कोई समझौता नहीं करेगा, ऐसे में आत्मनिर्भरता और स्वदेशी पर फिर से जोर बढ़ गया है. जरूरी है कि भारत अपने निर्यात बढ़ाए, अन्य देशों में  निर्यात के लिए बाजार देखे और अपने कृषि क्षेत्र में सुधार लाए.

भारत की  अर्थव्यवस्था दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के कगार पर है. दूसरी तरफ अनेक जानेमाने अर्थशास्त्रियों का यह भी मत है कि टैरिफ बढ़ोत्तरी का भार अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी झेलना होगा. इससे पहले भी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता साफ तौर पर कह चुके हैं कि भारत के रूस के साथ रिश्ते समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं, इन द्विपक्षीय रिश्तों को कोई भी देश अन्य नजरिये से न देखे.  

बहरहाल, मामला बेहद पेचीदा होता जा रहा है. उम्मीद की जानी चाहिए कि  ट्रम्प स्वतंत्र देशों की संप्रभुता का सम्मान करेंगे, लेकिन अगर वे ऐसा न करके धौंस से काम लेना चाहते हैं तो भारत के पास भी उनकी ही भाषा में जवाब देने का हक है.

Web Title: India sharp reply US President Donald Trump's tariff terror continue to take independent and pragmatic decisions blog Shobhana Jain

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