भारत-नेपाल सीमाः रोटी-बेटी का संबंध, नेपाल की इन हरकतों के पीछे कौन है?

By लोकमत समाचार सम्पादकीय | Updated: August 23, 2025 05:16 IST2025-08-23T05:16:33+5:302025-08-23T05:16:33+5:30

India-Nepal Border: चीन और भारत के बीच 1954 से व्यापार होता रहा है लेकिन कोविड के बाद और अन्य घटनाओं के कारण व्यापार रुक गया.

India-Nepal Border Bread-Daughter relation who behind these actions Nepal Lipulekh but also Kalapani and Lipiyadhura area | भारत-नेपाल सीमाः रोटी-बेटी का संबंध, नेपाल की इन हरकतों के पीछे कौन है?

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Highlightsभारत और चीन ने इस मार्ग पर व्यापार फिर से प्रारंभ करने पर सहमति जाहिर की.नेपाल को भड़का कर भारत पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. दुर्भाग्य की बात है कि नेपाल में जो वामपंथी ताकतें हैं,

India-Nepal Border: भारत और नेपाल के बीच सदियों से अच्छे संबंध रहे हैं. भारत-नेपाल सीमा पर यदि जनजीवन को देखें तो ज्यादातर जगह ऐसा लगता है कि दो नहीं बल्कि एक ही देश हो! लोगों के बीच संबंध भी ऐसे ही रहे हैं और सामान्य भाषा में कहें तो रोटी-बेटी का संबंध रहा है. इसके बावजूद इन दिनों नेपाल के तेवर जरा तीखे होते जा रहे हैं. वह बात-बात पर नए विवाद खड़ा करने की कोशिश करता रहता है. ताजा मामला लिपुलेख नाम की जगह को लेकर है. इस मार्ग पर चीन और भारत के बीच 1954 से व्यापार होता रहा है लेकिन कोविड के बाद और अन्य घटनाओं के कारण व्यापार रुक गया.

नए समीकरणों के बीच चीन के साथ बातचीत के बाद भारत और चीन ने इस मार्ग पर व्यापार फिर से प्रारंभ करने पर सहमति जाहिर की लेकिन इस सहमति के अगले दिन ही नेपाल ने कह दिया कि लिपुलेख तो उसका है. इसके पहले 2020 में नेपाल ने अपने देश का नया नक्शा जारी करते हुए न केवल लिपुलेख बल्कि कालापानी और लिपियाधुरा क्षेत्र को भी अपना बता दिया था.

भारत ने उसी वक्त नेपाल के नए नक्शे को लेकर आपत्ति जताई थी. एक बार फिर भारत ने नेपाल के दावे को खारिज कर दिया है. ऐतिहासिक रूप से देखें तो ये सारे इलाके भारत के हैं. कालापानी क्षेत्र में तो भारत ने 1962 में चीन से जंग के तत्काल बाद भारतीय अर्धसैनिक बलों को तैनात कर रखा है. लिपुलेख इसी कालापानी दर्रे के पास है.

सवाल यह है कि नेपाल को पहले कभी इस क्षेत्र का ख्याल क्यों नहीं आया? दरअसल नेपाल के दावों के पीछे चीन का हाथ है. कालापानी करीब 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है और वहां से पूरे इलाके पर नजर रखी जा सकती है. यहां तक कि चीन पर भी नजर रहती है. चीन चाहता है कि विवाद खड़ा करके इस इलाके से भारत को किसी तरह से बाहर किया जाए.

हालांकि यह असंभव है लेकिन चीन को ऐसा लगता है कि ऐसा करके वह सामरिक तौर पर अपनी स्थिति मजबूत कर सकता है. चीन सीधे तौर पर कुछ नहीं कहता लेकिन धोखेबाजी जरूर करता है. एक तरफ तो वह लिपुलेख दर्रे से व्यापार पर सहमति जाहिर कर रहा है और दूसरी ओेर नेपाल को भड़का कर भारत पर दबाव डालने की कोशिश कर रहा है. दुर्भाग्य की बात है कि नेपाल में जो वामपंथी ताकतें हैं,

वे चीन के हाथों में खेल रही हैं. उन्हें इस बात का इल्म होना चाहिए कि चीन दुनिया के हर देश के साथ धोखेबाजी करता रहा है, वह नेपाल को भी नहीं छोड़ने वाला है. नेपाली सत्ता चीन के हाथों में खेलने लगी है इसलिए वहां के नागरिकों को यह बात समझनी होगी. भारत के साथ रिश्तों को बनाकर रखेंगे तो दोनों देशों का भला है. चीन तो दोनों को ही तबाह करना चाह रहा है. 

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