तीसरे आर्थिक पैकेज के नतीजों का इंतजार, जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग
By डॉ जयंती लाल भण्डारी | Updated: December 4, 2020 13:02 IST2020-12-04T13:01:25+5:302020-12-04T13:02:51+5:30
मूडीज ने अब भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.6 फीसदी गिरावट आने का अनुमान जताया है, जबकि पहले उसने 11.5 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया था.

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि यद्यपि 2020-21 में भारत की जीडीपी दर में 10.3 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है. (file photo)
इन दिनों दुनिया की प्रसिद्ध रेटिंग एजेंसियों के द्वारा अपनी अध्ययन रिपोर्टों में आत्मनिर्भर भारत अभियान के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी से सुधार होने के जोरदार संकेत दिए जा रहे हैं. इन रिपोर्टो में यह भी कहा जा रहा है कि तीसरे आर्थिक पैकेज से भारतीय अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकी जा सकती है.
हाल ही में रेटिंग एजेंसी मूडीज ने भारत में सरकार के द्वारा घोषित विनिर्माण और रोजगार सृजन के ताजा उपायों के कारण भारत के लिए वित्तीय वर्ष 2020-21 के दौरान आर्थिक गतिविधियों में आने वाली कमी के अनुमान को संशोधित किया है. मूडीज ने अब भारतीय अर्थव्यवस्था में 10.6 फीसदी गिरावट आने का अनुमान जताया है, जबकि पहले उसने 11.5 फीसदी गिरावट आने का अनुमान लगाया था.
इसी तरह ग्लोबल रिसर्च फर्म और रेटिंग एजेंसी गोल्डमैन सैक्स ने भी वित्त वर्ष 2020-21 के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था में गिरावट का अनुमान घटाया है. कहा है कि अर्थव्यवस्था में 10.3 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है, पहले यह अनुमान 14.8 प्रतिशत की गिरावट का था.
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान है कि यद्यपि 2020-21 में भारत की जीडीपी दर में 10.3 फीसदी तक की गिरावट आ सकती है, लेकिन भारत ने कोरोना संकट से निपटने के लिए जिस तेजी से सुधार के कदम उठाए हैं, उससे आगामी वित्त वर्ष 2021-22 में विकास दर 8.8 फीसदी तक रह सकती है और भारत दुनिया की सर्वाधिक विकास दर वाला देश दिखाई दे सकता है.
गौरतलब है कि विगत 12 नवंबर को वित्त मंत्नी निर्मला सीतारमण ने आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत तीसरे आर्थिक पैकेज में अर्थव्यवस्था की सेहत सुधारने के लिए 2.65 लाख करोड़ रु पए की धनराशि खर्च करने का ऐलान किया है. वस्तुत: कोविड-19 की चुनौतियों का मुकाबला करते हुए पटरी पर लौटती भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए यह तीसरा आर्थिक पैकेज नई जान फूंकने वाला सिद्ध हो सकता है.
इस नए तीसरे आर्थिक पैकेज में दो तरह की राहतें शामिल हैं. एक, 10 उद्योग क्षेत्नों के लिए 1.46 लाख करोड़ रुपए की उत्पादन संबद्ध प्रोत्साहन (पीएलआई) स्कीम और दो, अर्थव्यवस्था को गतिशील करने के लिए रोजगार सृजन, ऋण गारंटी समर्थन, स्वास्थ्य क्षेत्न के विकास, रियल एस्टेट कंपनियों को कर राहत, ढांचागत क्षेत्न में पूंजी निवेश की सरलता, किसानों के लिए उवर्रक सब्सिडी, ग्रामीण विकास तथा निर्यात सेक्टर को राहत देने के 1.19 लाख करोड़ रुपए के प्रावधान.
उल्लेखनीय है कि कोविड-19 की चुनौतियों का सामना कर रही अर्थव्यवस्था को मुश्किलों से उबारने के लिए प्रधानमंत्नी नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत अभियान का विजन सामने रखा है. इस अभियान के तहत इस वर्ष 2020 में मार्च से लेकर अब तक सरकार 29.87 लाख करोड़ की राहतों का ऐलान कर चुकी है.
इन राहतों के तहत आत्मनिर्भर भारत अभियान-एक के तहत 11,02,650 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण पैकेज के तहत 1,92,800 करोड़ रुपए, प्रधानमंत्नी गरीब कल्याण अन्न योजना के तहत 82911 करोड़ रुपए, आत्मनिर्भर भारत अभियान-दो के तहत 73,000 करोड़ रु पए, आरबीआई के उपायों से राहत के तहत 12,71,200 करोड़ रुपए तथा आत्मनिर्भर भारत अभियान-तीन के तहत 2.65 लाख करोड़ की राहत शामिल है.
नि:संदेह कोविड-19 की चुनौतियों के बीच आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई राहतों के बाद इस समय देश की अर्थव्यवस्था में नई मांग के निर्माण और निवेश के लिए एक और आर्थिक पैकेज आवश्यक दिखाई दे रहा था.
ऐसे में वित्त मंत्नी सीतारमण ने अर्थव्यवस्था की मदद के लिए नए उपायों की घोषणा ऐसे समय पर की है जब अर्थव्यवस्था में आर्थिक सुधार के जोरदार संकेत मिल रहे हैं और अर्थव्यवस्था के गतिशील होने की संभावनाएं दिखाई दे रही हैं. इसमें कोई दो मत नहीं है कि मार्च से अक्तूबर 2020 तक सरकार के द्वारा आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत दी गई विभिन्न राहतों से तेजी से गिरती हुई अर्थव्यवस्था को बड़ा सहारा मिला है.
नए तीसरे आर्थिक पैकेज में उद्योगों को संकट से उबारने के लिए नई ऋण गारंटी योजना लाई गई है. इमरजेंसी क्रेडिट लाइन गारंटी स्कीम (ईसीजीएलएस) को 31 मार्च, 2021 तक बढ़ने का काम किया गया है जिसके तहत 20 फीसदी कार्यशील पूंजी देने का प्रावधान है. नए आर्थिक पैकेज के तहत रियल एस्टेट और डेवलपरों को प्रोत्साहन दिए गए हैं.
हम उम्मीद करें कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत घोषित किए गए तीसरे आर्थिक पैकेज से अर्थव्यवस्था के सभी सेक्टर को प्रोत्साहन मिलेगा. खासतौर से अनौपचारिक क्षेत्न में नौकरियों के सृजन को प्रोत्साहन मिलेगा. बगैर बिके मकानों की बिक्री बढ़ने से रियल एस्टेट को फायदा मिलेगा. बुनियादी ढांचा क्षेत्न का विकास बढ़ेगा. नई ऋण गारंटी योजना से संकटग्रस्त उद्योग लाभान्वित होंगे. किसानों के साथ-साथ ग्रामीण विकास, एमएसएमई सेक्टर और निर्यात सेक्टर को भी लाभ होगा.
हम उम्मीद करें कि आत्मनिर्भर भारत अभियान से देश की अर्थव्यवस्था में नई जान फूंककर अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) की उस नई रिपोर्ट को साकार किया जा सकेगा, जिसमें कहा गया है कि आगामी वित्तीय वर्ष 2021-22 में भारत 8.8 फीसदी की विकास दर हासिल करने की संभावनाओं को मुट्ठियों में लेते हुए दुनिया की सर्वाधिक विकास दर वाला देश दिखाई दे सकेगा. वहीं दूसरी ओर विश्व अर्थव्यवस्था में आत्मनिर्भर भारत की अहमियत भी बढ़ती हुई दिखाई दे सकेगी.