जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में 28 नवंबर को सरकार की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष 2025-26 में जुलाई-सितंबर की तिमाही में 8.2 प्रतिशत बढ़ी है. पिछले वित्त वर्ष की समान तिमाही में यह 5.6 प्रतिशत थी. खास बात यह है कि भारतीय अर्थव्यवस्था ने विकास दर के मामले में दुनिया की सभी प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं को पीछे छोड़ दिया है. स्थिति यह है कि चालू वित्त वर्ष में चुनौतियों के बावजूद जीडीपी की वृद्धि दर उम्मीद से अधिक रहने की संभावना है.
निश्चित रूप से जब दुनिया के अधिकांश देशों में महंगाई तेजी से बढ़ रही है, वहीं भारत में महंगाई में तेज कमी देश की एक बड़ी आर्थिक ताकत बन गई है.
हाल ही में राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) की ओर से जारी रिपोर्ट में कहा गया है कि जहां अक्तूबर 2025 में खुदरा महंगाई घटकर पिछले 10 साल के न्यूनतम स्तर 0.25 प्रतिशत पर आ गई, वहीं थोक महंगाई 27 महीने के निचले स्तर शून्य से 1.21 प्रतिशत नीचे रही है. यह कोई छोटी बात नहीं है कि अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प द्वारा भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगाए जाने के बाद भारत ने रूस और चीन के साथ आर्थिक-वैश्विक कूटनीति और नए निर्यात बाजारों में आगे बढ़ने की जो रणनीति अपनाई, वह कारगर दिख रही है. इस नीति से ट्रम्प के टैरिफ के बीच पिछले अगस्त से अक्तूबर माह में अमेरिका को छोड़कर अन्य देशों में भारत के निर्यात बढ़े हैं. यह भी कोई छोटी बात नहीं है कि वैश्विक चुनौतियों के बीच रूस के राष्ट्रपति पुतिन ने 4 और 5 दिसंबर को शिखर वार्ता के लिए भारत आना सुनिश्चित किया है.
इस मौके पर भारत व रूस के बीच कारोबार सहित कई समझौते होंगे. इन सबके साथ-साथ विभिन्न देशों के साथ तेजी से आकार लेते हुए दिखाई दे रहे भारत के मुक्त व्यापार समझौते (एफटीए) देश के निर्यात के मद्देनजर मील का पत्थर बन रहे हैं.
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ पब्लिक फाइनेंस एंड पॉलिसी (एनआईपीएफपी) ने चालू वित्त वर्ष 2025-26 की मध्यवर्ती आर्थिक समीक्षा में कहा कि जीएसटी दर को युक्तिसंगत बनाए जाने और महंगाई में कमी का लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को मिला है. लेकिन अमेरिका की टैरिफ चुनौतियों सहित अन्य वैश्विक आर्थिक मुश्किलों के बीच भारत की अर्थव्यवस्था का क्षमता के मुताबिक प्रदर्शन बेहतर करने हेतु उद्योग-कारोबार को आर्थिक-वित्तीय सहारा जरूरी है. इसी प्रकार विश्व बैंक की वित्तीय क्षेत्र आकलन (एफएसए) रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विकास की डगर पर आगे बढ़ रहा है. लेकिन अब भारत को 2047 तक 30000 अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनने के लिए आर्थिक-वित्तीय क्षेत्र में सुधारों को और तेजी देने तथा उद्योग-कारोबार के लिए निजी पूंजी जुटाने को बढ़ावा देने की जरूरत है.
निश्चित रूप से देश को वर्ष 2027 तक दुनिया की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने और 2047 तक दुनिया का विकसित देश बनाने के मद्देनजर कई अहम बातों पर ध्यान देना होगा. जीएसटी के बाद अब ऊंची आर्थिक विकास दर के मद्देनजर नई पीढ़ी-अगली पीढ़ी के सुधारों के लिए आगे बढ़ने की जरूरत है.
इन सुधारों के तहत जीवन में आसानी, कारोबार सुगमता, बुनियादी ढांचा सुधार, प्रशासन को सशक्त बनाने और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने संबंधी सुधार शामिल हैं. साथ ही देश को कृषि, बैंकिंग, बीमा, परिवहन और दूरसंचार, बिजली, परमाणु ऊर्जा, अंतरिक्ष और रक्षा, पेट्रोलियम, कोयला और अन्य खनिज आदि सुधारों की डगर पर भी आगे बढ़ना होगा.