Delhi airport: बार-बार हवाई यातायात में सामने आती गड़बड़ियां, 800 से अधिक उड़ानें विलंबित और 100 उड़ानें रद्द
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: November 10, 2025 05:19 IST2025-11-10T05:19:42+5:302025-11-10T05:19:42+5:30
Delhi airport: देश के सबसे व्यस्त दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसी) के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (एएमएसएस) में गड़बड़ी आने से हवाई संचालन घंटों तक बाधित रहा.

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Delhi airport: पिछले दो दशक से देश के घरेलू हवाई यातायात में काफी वृद्धि हुई है. जिसका कारण बढ़ती विमान सेवाएं और हवाई अड्डे हैं. विमानन कंपनियों ने भी एक सीमा तक यात्रियों के लिए लुभावनी योजनाएं तैयार की हैं. वहीं दूसरी ओर हवाई सेवा का लाभ लेने के लिए बढ़ते आकर्षण के बावजूद तकनीकी स्तर पर संकट के बादल कम नहीं हो रहे हैं. अभी बीते गुरुवार और शुक्रवार को ही देश के सबसे व्यस्त दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स (एटीसी) के ऑटोमैटिक मैसेज स्विच सिस्टम (एएमएसएस) में गड़बड़ी आने से हवाई संचालन घंटों तक बाधित रहा.
जिसके कारण आठ सौ से अधिक उड़ानें विलंबित और करीब 100 उड़ानें रद्द हुईं. बताया गया कि तकनीकी खराबी की वजह से एटीसी को उड़ानों का समय नहीं मिल पा रहा था, जिससे सभी विमानों को रोकना पड़ा. इसके बाद स्टाफ को खुद उड़ानों का समय तय करना पड़ा, जो काफी धीमा रहा. कहा जा रहा है कि हवाई यातायात प्रणाली में यह दिक्कत पिछले दो दिनों से रही थी.
पहले रुक-रुक कर समस्या आ रही थी. शुक्रवार को सुबह उसने गंभीर रूप धारण कर लिया. परेशानी एक ऐसे स्थान दिल्ली हवाई अड्डे पर हुई, जो रोजाना 1,500 से अधिक उड़ानें संभालता है. उसकी समस्या का असर पूरे देश के हवाई नेटवर्क पर आ जाता है. लिहाजा इंडिगो, एयर इंडिया, स्पाइसजेट और अकासा एयर जैसी लगभग सभी हवाई सेवाओं की उड़ानें प्रभावित हुईं.
प्रस्थान में औसतन 50 मिनट से एक घंटे से अधिक की देरी हुई. आगमन में भी बड़े पैमाने पर समस्याएं पैदा हुईं. यह पूरा प्रकरण एक हवाई अड्डे की अपनी समस्या से जुड़ा है, जो देश की उड़ानों का महत्वपूर्ण केंद्र है. वैसे तो वर्ष भर में अनेक स्थानों पर तकनीकी दिक्कतों से हवाई यातायात प्रभावित होना सामान्य है.
कभी प्रवेश संबंधी समस्या, कभी उड़ानों की अपनी गड़बड़ियां और कभी मौसमी अव्यवस्था हवाई सेवाओं के प्रति प्रश्न उठाती हैं. यह सब जानते हैं कि उड़ानों का लाभ हमेशा ही समय की बचत के लिए किया जाता है, लेकिन इस तरह की दिक्कतें भरोसा कम करती हैं. हवाई जहाजों की समस्याओं के लिए विमानन कंपनियों पर दोष मढ़ा जा सकता है,
लेकिन हवाई यातायात की जिम्मेदारी तो सरकारी व्यवस्था को लेनी होगी. लगातार बढ़ती उड़ानों के बीच अचानक पंगु होती व्यवस्था कहीं न कहीं तकनीकी स्तर पर लापरवाही की ओर संकेत देती है. काम चलाऊ ढंग से चलने की मानसिकता यात्रियों के लिए परेशानी का कारण बनाता है. देश में तेजी से बन रहे नए-नए हवाई अड्डे दिखाने के लिए अच्छे हैं,
किंतु उनके भीतर आधुनिक तकनीक का सही प्रकार से काम करने का प्रमाण तो परिचालन के बाद ही समझ में आता है. इसलिए आवश्यक यह है कि हवाई सेवा जगत का आवरण केवल हवाई अड्डों की खूबसूरती से न बनाया जाए, उन्हें सुदृढ़ व्यवस्था से भी सुसज्जित किया जाए. तभी अंदर-बाहर की सुंदरता यात्रियों के लिए लाभकारी होगी.