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जयंतीलाल भंडारी का ब्लॉग: अर्थव्यवस्था को संभालेगी घरेलू बचत 

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: October 12, 2018 18:26 IST

विगत एक अक्तूबर से केंद्र सरकार ने अक्तूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 0.40 फीसदी तक का इजाफा लागू कर दिया है।

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जयंतीलाल भंडारीइन दिनों देश और दुनिया के अर्थविशेषज्ञ यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि जब दुनिया के  अधिकांश देशों की अर्थव्यवस्थाएं डॉलर की मजबूती, कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों और अमेरिका -चीन के बीच बढ़ते ट्रेड वॉर के दुष्परिणामों से ढहते हुए दिखाई दे रही हैं, तब भारतीय अर्थव्यवस्था घरेलू बचत और रिकार्ड खाद्यान्न उत्पादन के कारण मजबूती से टिकी हुई है। 

जिस तरह 2008 में वैश्विक मंदी के बीच घरेलू बचत और कृषि उत्पादन के चलते भारत पर मंदी का बहुत कम असर हुआ था, उसी तरह वर्ष 2018-19 में एक बार फिर घरेलू बचत और भरपूर खाद्यान्न उत्पादन भारतीय अर्थव्यवस्था की शक्ति बनते हुए दिखाई दे रहे हैं।  ऐसे में जरूरी है कि छोटी बचत योजनाओं के माध्यम से घरेलू बचत को संग्रहित करके अर्थव्यवस्था के अधिक काम में लिया जाए व  कृषि निर्यात की नई रणनीति बनाई जाए।

विगत एक अक्तूबर से केंद्र सरकार ने अक्तूबर-दिसंबर 2018 तिमाही के लिए छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में 0.40 फीसदी तक का इजाफा लागू कर दिया है। यह इजाफा आम आदमी से लेकर अर्थव्यवस्था तक के लिए लाभप्रद है। पिछले छह वर्षो में छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरों में कमी के बाद अब छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दर में वृद्धि की गई है। उसके पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं। पिछले महीनों में बैंकों द्वारा छोटी बचत योजनाओं पर ब्याज दरें बढ़ाने, बढ़ते बॉन्ड प्रतिफल और आरबीआई द्वारा दो बार रेपो दर बढ़ाने के बाद सरकार ने जमा दरों में वृद्धि की है। 

खासतौर से विगत अगस्त 2018 में रिजर्व बैंक ने ऋण पर ब्याज दर बढ़ा दी है। अतएव अब छोटी बचत योजनाओं पर भी ब्याज दर बढ़ाकर छोटी बचत योजनाओं पर मिलने वाले रिटर्न को लाभप्रद बनाया गया है। इन योजनाओं में पीपीएफ, राष्ट्रीय बचत पत्र (एनएससी) और किसान विकास पत्र शामिल हैं। पीपीएफ और एनएससी पर सालाना ब्याज दर मौजूदा 7.6 फीसदी की तुलना में 8 फीसदी जबकि 112 महीने की परिपक्वता वाले केवीपी के लिए 7.7 फीसदी होगी। सुकन्या समृद्धि योजना पर ब्याज दर बढ़ाकर 8.5 फीसदी और वरिष्ठ नागरिक बचत योजना पर ब्याज दर 8.3 फीसदी से बढ़ाकर 8.7 फीसदी कर दी गई है। 2012 के बाद पहली बार इन योजनाओं पर ब्याज दर बढ़ी है। हालांकि बचत जमाओं पर ब्याज दर सालाना 4 प्रतिशत पर ही बनी है।

निश्चित रूप से छोटी बचत योजनाओं की ब्याज दरों में वृद्धि से सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ेगा, लेकिन महंगाई और अपनी  सामाजिक सुरक्षा से चिंतित करोड़ों छोटे बचतकर्ताओं को फायदा मिलेगा। हम आशा करें कि छोटी बचत योजनाओं पर छह वर्ष बाद एक अक्तूबर 2018 से बढ़ गई ब्याज दर बचत की प्रवृत्ति को बढ़ावा देगी। इससे बचत बढ़ेगी। इसी तरह वर्ष 2018 में देश में 6.8 करोड़ टन गेहूं और चावल का जो भंडार है वह जरूरी बफर स्टॉक से करीब दोगुना है। ऐसे अतिशय खाद्यान्न उत्पादन के मद्देनजर खाद्यान्न निर्यात से डॉलर की कमाई बढ़ाई जा सकती है। ऐसे में निश्चित रूप से वैश्विक अर्थव्यवस्था में मंदी की आहट के बीच भी भारत का बचत और कृषि आधार भारत की विकास दर को संभाले रख सकेगा। 

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