मंदी पर भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: दूरगामी कदम उठाए सरकार

By भरत झुनझुनवाला | Published: November 21, 2019 07:22 AM2019-11-21T07:22:51+5:302019-11-21T07:22:51+5:30

 छोटे उद्योगों को सहारा देने के लिए सरकार ने बीते दिनों में कुछ सार्थक कदम उठाए हैं. जीएसटी में छोटे उद्योगों को रिटर्न फाइल करने में छूट दी गई है और सरकारी बैंकों पर दबाव डाला गया है कि वे छोटे उद्योगों को भारी मात्रा में ऋण दें. फिर भी छोटे उद्योग पनप नहीं रहे हैं.

Bharat Jhunjhunwala's blog on recession: Government takes far-reaching steps | मंदी पर भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: दूरगामी कदम उठाए सरकार

मंदी पर भरत झुनझुनवाला का ब्लॉग: दूरगामी कदम उठाए सरकार

भारतीय अर्थव्यवस्था पर संकट के बादल छंटते नहीं दिख रहे हैं. तमाम संस्थाओं का अनुमान है कि वर्तमान आर्थिक विकास दर चार से पांच प्रतिशत के बीच रहेगी जो कि पूर्व के सात प्रतिशत से बहुत नीचे है. इस परिस्थिति में कुछ मौलिक कदम उठाने पड़ेंगे अन्यथा परिस्थिति बिगड़ती जाएगी. पहला कदम सरकारी बैंकों की स्थिति को लेकर है. सरकार ने हाल में कुछ छोटे सरकारी बैंकों का बड़े बैंकों में विलय किया है.

 साथ-साथ सरकार ने पिछले तीन वर्षों में सरकारी बैंकों की पूंजी में 250 हजार करोड़ रुपए का निवेश किया है. इस निवेश के बावजूद समस्त सरकारी बैंकों के शेयरों की बाजार में कीमत, जिसे ‘मार्केट कैपिटलाइजेशन’ कहते हैं, कुल 230 हजार करोड़ रुपए है. इसका अर्थ हुआ कि सरकार ने जो 250 हजार करोड़ रुपए इनमें निवेश किए उसमें से केवल 230 हजार करोड़ रुपए
बचे हैं.

 छोटे उद्योगों को सहारा देने के लिए सरकार ने बीते दिनों में कुछ सार्थक कदम उठाए हैं. जीएसटी में छोटे उद्योगों को रिटर्न फाइल करने में छूट दी गई है और सरकारी बैंकों पर दबाव डाला गया है कि वे छोटे उद्योगों को भारी मात्रा में ऋण दें. फिर भी छोटे उद्योग पनप नहीं रहे हैं.

मूल कारण यह है कि चीन से भारी मात्रा में माल का आयात हो रहा है और उसके सामने हमारे उद्योग खड़े नहीं हो पा रहे हैं. चीन में श्रमिकों की उत्पादकता अधिक है. चीन के श्रमिकों को भारत की तुलना में ढाई गुना वेतन मिलता है लेकिन वे ढाई गुना से ज्यादा उत्पादन करते हैं.  

चीन में माल सस्ता होने का दूसरा कारण भ्रष्टाचार का स्वरूप है. चीन में भी नौकरशाही उतनी ही भ्रष्ट है जितनी की अपने देश में. चीन से व्यापार करने वाले एक उद्यमी ने बताया कि किसी चीनी उद्यमी को नोटिस दिया गया कि उसकी जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा क्योंकि वहां से सड़क बननी है. इसके बाद चीनी सरकार के अधिकारी उद्यमी के दफ्तर पहुंचे और उससे साफ-साफ बातचीत हुई.  मामला आंतरिक वार्तालाप से तय हो गया. सड़क भी शीघ्र बन गई और उद्यमी भी परेशान नहीं हुआ.

Web Title: Bharat Jhunjhunwala's blog on recession: Government takes far-reaching steps

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