अवधेश कुमार का ब्लॉग: वैश्विक मंदी के बीच बेहतर होगी भारत की अर्थव्यवस्था

By अवधेश कुमार | Published: May 15, 2020 09:19 AM2020-05-15T09:19:16+5:302020-05-15T09:19:16+5:30

मुद्राकोष ने कहा है कि केवल दो बड़े देश 2020 में सकारात्मक विकास हासिल कर पाएंगे. भारत के अलावा चीन की अर्थव्यवस्था 1.2 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है. अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, रूस, ब्राजील तथा स्पेन की विकास दर ऋणात्मक रह सकती है. इसलिए भारत 1.9 प्रतिशत की विकास दर हासिल करता है तो बड़ी बात होगी.

Awadhesh Kumar blog: India's economy will improve amid global recession | अवधेश कुमार का ब्लॉग: वैश्विक मंदी के बीच बेहतर होगी भारत की अर्थव्यवस्था

तस्वीर का इस्तेमाल केवल प्रतीकात्मक तौर पर किया गया है। (फाइल फोटो)

कोविड-19 प्रकोप के कारण पूरी दुनिया की गति ठहर गई है. दुनिया में हर 5 में से 4 लोग लॉकडाउन से प्रभावित हैं. इसका असर अर्थव्यवस्था पर भयावह होगा यह तो कोई अदना व्यक्ति भी समझ सकता है. हालांकि इसका निश्चयात्मक आकलन कठिन है कि कितना होगा. अलग-अलग संस्थाएं अपना आकलन दे रही हैं जिसमें अंतर है, लेकिन अर्थव्यवस्था शून्य या उससे नीचे भी चली जाएगी इस पर लगभग एक राय है.

अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष प्रमुख ने कहा है कि इस बार की मंदी 2008 से काफी बदतर हो सकती है. सबसे बुरा असर रोजगार पर पड़ रहा है. अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन ने पहले चेतावनी दी थी कि अगर वायरस को सही समय पर नियंत्नण में नहीं लाया जाता है तो इससे 2.5 करोड़ लोगों को नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है. रोजगार पर यह प्रहार 1930 की आर्थिक महामंदी से भी भयंकर हो सकता है. अब चूंकि बेरोजगारी इस आंकड़े को कब का पार कर चुकी है इसलिए अभी आप अनुमान भी नहीं लगा सकते कि कितने बेरोजगार होंगे. अकेले अमेरिका में दो करोड़ से ज्यादा बेरोजगार हुए हैं तो ब्रिटेन जैसे छोटे देश में एक करोड़ से ज्यादा.

अगर भारत की बात करें तो अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में करीब 90 प्रतिशत लोग असंगठित क्षेत्न में काम करते हैं. ऐसे में करीब 40 करोड़ कामगारों के रोजगार पर असर पड़ने की आशंका है. रिपोर्ट के अनुसार, संकट के कारण 2020 की दूसरी तिमाही (अप्रैल-जून) में 6.7 प्रतिशत कामकाजी घंटे खत्म होने की आशंका है. यानी दूसरी तिमाही में ही 19.5 करोड़ पूर्णकालिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं. शहरी इलाकों में कोरोना वायरस की वजह से बेरोजगारी दर बढ़कर 30.9 प्रतिशत हो जाएगी.

भारत के पूर्व मुख्य सांख्यिकीविद प्रणब सेन ने एक आकलन जारी किया है. इसके अनुसार लॉकडाउन के पिछले दो हफ्तों में करीब 50 मिलियन यानी 5 करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं. लॉकडाउन के खत्म होने के बाद बेरोजगारी दर के सटीक आंकड़ों का पता लग सकेगा. ये सारे आंकड़े और अनुमान संगठनांे और व्यक्तियों की अपनी समझ और विश्लेषण के अनुसार हैं.

अब आएं समग्र अर्थव्यवस्था की ओर. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष ने कहा है कि कोरोना वायरस की वजह से दुनिया में 1930 की महामंदी के बाद सबसे बड़ी मंदी आ रही है. अंतर्राष्ट्रीय मुद्राकोष ने भारत की सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि दर 2020 में 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया है. ध्यान रखने की बात है कि भारत की यह रफ्तार दुनिया में सबसे तेज है. अमेरिका सहित अधिकतर देशों की अर्थव्यवस्था की दर नकारात्मक हो जाएगी.

मुद्राकोष ने कहा है कि केवल दो बड़े देश 2020 में सकारात्मक विकास हासिल कर पाएंगे. भारत के अलावा चीन की अर्थव्यवस्था 1.2 प्रतिशत की गति से बढ़ सकती है. अमेरिका, जापान, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, रूस, ब्राजील तथा स्पेन की विकास दर ऋणात्मक रह सकती है. इसलिए भारत 1.9 प्रतिशत की विकास दर हासिल करता है तो बड़ी बात होगी.  

इसलिए भारत की बेहतरी को लेकर आत्मविश्वास होना चाहिए. अंकटाड यानी यूनाइटेड नेशंस कान्फ्रेंस ऑन ट्रेड एंड डेवलपमेंट की रिपोर्ट में भारत और चीन के लिए बेहतर आकलन है. विश्व की अर्थव्यवस्था में मंदी के बीच इस रिपोर्ट के अनुसार भारत और चीन बचे रहेंगे. रिपोर्ट में यह नहीं बताया गया है कि आखिर भयावह मंदी में भारत और चीन कैसे बचे रहेंगे, पर संयुक्त राष्ट्र की इस विश्वसनीय संस्था के आकलन को हम खारिज नहीं कर सकते. मूडीज ने भी कहा है कि 2021-22 में भारत की विकास दर 6.6 प्रतिशत हो जाएगी.

हालांकि चीन के खिलाफ जिस तरह का वातावरण बन रहा है उसकी उम्मीद पहले आकलन करने वाली संस्थाओं को नहीं रही होगी. दुनिया के सारे प्रमुख देश उससे नाराज हैं और क्षतिपूर्ति तक का दावा कर रहे हैं. ज्यादातर देश अपनी कंपनियों को वहां से हटाना चाहते हैं. इसमें उनके लिए पहला विकल्प भारत ही है. तो चीन की अर्थव्यवस्था पर ज्यादा खतरा है और भारत के लिए इसमें सुखद संकेत है.

Web Title: Awadhesh Kumar blog: India's economy will improve amid global recession

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