मशहूर और अमीर होना मुश्किल है, राजू श्रीवास्तव जैसा होना उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है
By रंगनाथ सिंह | Published: September 22, 2022 01:45 PM2022-09-22T13:45:39+5:302022-09-22T18:37:40+5:30
मशहूर कॉमेडियन राजू श्रीवास्तव का 21 सितम्बर को 58 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। राजू श्रीवास्तव के निधन पर उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए याद कर रहे हैं पत्रकार रंगनाथ सिंह।
राजू श्रीवास्तव नहीं रहे। हॉफ इंग्लिश हॉफ हिन्दी वल्गर स्लैंग भरी स्टैण्ड-अप कॉमेडी के अपमार्केट बनने से पहले राजू श्रीवास्तव पर्दे पर हमारे पूरे परिवार को खड़े-खड़े हँसाते थे। किसी को सपरिवार हँसाना बड़ी बात है। किसी क्लब में जाकर ऐसे जोक्स पर हँसना जिसे हम अपने माता-पिता या भाई-बहन या बेटे-बेटी के सामने न हँस सके गर्हित क्षेत्र के चुटकुले होते हैं, पारिवारिक क्षेत्र के नहीं।
मशहूर फिल्मकार एल्फर्ड हिचकॉक ने एक बार कहा था कि वो पारिवारिक फिल्में बनाते हैं क्योंकि जिन फिल्मों को पूरा परिवार एक साथ देख सके उनके दर्शक ज्यादा होते हैं। राजू श्रीवास्तव के निधन पर परिवार और परिवारिक को याद करने की वजह यह है कि हमारा पूरा परिवार राजू श्रीवास्तव के निधन की खबर सुनकर दुखी हो जाएगा। राजू श्रीवास्तव का देहावसान भारत की एक बड़ी आबादी के लिए पारिवारिक दुख होगा। अगर आप आजकल की चर्चित कॉमेडी सुनें तो राजू श्रीवास्तव या जसपाल भट्टी जैसे कॉमेडियन होने की अहमियत और ज्यादा खुलती जाती है।
राजू श्रीवास्तव के निधन पर सोशलमीडिया पर आ रही प्रतिक्रियाओं में साफ-सुथरी कॉमेडी करने वाले स्टार वाली बात बार-बार देखने को मिल रही है। लोग उन्हें इसलिए याद कर रहे हैं कि वो लोगों को हँसाने के लिए 'कमरे के नीचे' के नहीं उतरते थे। वह आम जनजीवन से विद्रूप और विडम्बनाओं की बारीक दरारों से हास्यरस निचोड़ते थे जो कई बार दारुण सत्य को उघाड़ने का भी काम करती थी।
राजू श्रीवास्तव को करीब से जानने वालों ने उनके आरम्भिक संघर्ष को याद किया है। उनके कानपुर, लखनऊ और मुम्बई के जीवन को याद किया है। संयोगवश मेरी उनसे एक मुलाकात हुई थी। हमारे बीच नम्बर का आदान-प्रदान हुआ। कुछेक बार फोन पर बातचीत भी हुई थी। राजू श्रीवास्तव जिस विनम्रता से पेश आते थे उसके सामने मैं बहुत असहज महसूस करता था। बातचीत में वो भाईसाहब कहकर सम्बोधित करते थे। मैंने उनका टोका भी कि आप बड़े हैं तो भी उन्होंने वही जारी रखा। मुझे लगा शायद वो पत्रकारों से इसी लहजे में बात करते होंगे।
पत्रकार के तौर पर किसी से मिलते या बातचीत करते समय हमें अपनी भावनाओं को नियंत्रित रखना होता है क्योंकि इमोशन के प्रोफेशन की राह में आने का डर रहता है। कई बार उनसे कहना चाहा कि मैं और हमारा पूरा परिवार आपका फैन रहा है लेकिन कह नहीं पाया इसका अफसोस है।
राजू श्रीवास्तव के निधन के बाद उनकी कॉमेडी को दुनिया याद कर रही है। मैं पर्सनली उनके हुनर के साथ-साथ उनकी शख्सियत को याद रखना चाहूँगा। शोहरत और दौलत मिलने के बाद सहज और सभ्य रह पाना दुर्लभ गुण है। राजू श्रीवास्तव जितने या उनसे ज्यादा लोकप्रिय और धनी कॉमेडियन कई होंगे लेकिन उनके जैसी तबीयत वाले मुम्बई से लेकर दिल्ली के बीच कितने हैं! अंगुली पर गिने जा सकें, इतने भी नहीं। मशहूर और अमीर होना मुश्किल है, राजू श्रीवास्तव जैसा होना उससे कहीं ज्यादा मुश्किल है।
पत्रकार होने के नाते आप अक्सर मशहूर, अमीर और सत्ताधारी लोगों से मिलते हैं लेकिन ऐसे लोगों की दुनिया में राजू श्रीवास्तव जैसे लोग बहुत कम मिलते हैं।
आज इतना ही। शेष, फिर कभी। प्रेम एवं आदरपूर्ण नमन राजू श्रीवास्तव