नीतीश कुमार की चुप्पी के क्या हैं निहितार्थ, सियासी गलियारे में बना चर्चा का विषय, एनडीए के पाले में जाने की चर्चा तेज

By एस पी सिन्हा | Published: July 9, 2023 06:21 PM2023-07-09T18:21:39+5:302023-07-09T18:23:01+5:30

चर्चा तेज होने के साथ राजनीतिक गलियारों में यही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ फिर एनडीए के पाले में जा सकते हैं? लगातार कहा जा रहा है कि बिहार की राजनीति में कभी भी ‘खेला’ हो सकता है, यानी नीतीश कुमार कभी भी पाला बदल सकते हैं।

What are the implications of Nitish Kumar's silence topic of discussion in the political corridor bihar | नीतीश कुमार की चुप्पी के क्या हैं निहितार्थ, सियासी गलियारे में बना चर्चा का विषय, एनडीए के पाले में जाने की चर्चा तेज

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)

Highlights नीतीश कुमार की चुप्पी के मायने निकाले जा रहे हैंसवाल पूछा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ फिर एनडीए के पाले में जा सकते हैं?हरिवंश नारायण सिंह से मुलाकात के बाद से ही लग रही हैं अटकलें

पटना: बिहार की सियासत में आए उबाल के बावजूद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की चुप्पी के मायने निकाले जा रहे हैं। उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर जमीन के बदले नौकरी मामले में चार्जशीट दायर होने के साथ-साथ शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर और विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक के बीच जारी जंग पर भी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की रहस्यमयी चुप्पी से लोग अचंभित हैं। ऐसे में सवाल यह भी उठने लगे हैं कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से पलटी मारने की तैयारी कर रहे हैं? क्या महाराष्ट्र की तरह बिहार में भी जदयू में बड़ी टूट होने वाली है? क्या बिहार मध्यावधि चुनाव की ओर बढ़ रहा है? क्या राजद में जदयू का विलय हो जाएगा? ऐसे कई सवाल इन दिनों बिहार में चर्चा का विषय बने हुए हैं।

सीएम नीतीश कुमार पूरी तरह खामोश हैं। बस पिछले एक सप्ताह से वे लगातार अपने विधायकों, सांसदों और नेताओं से वन-टू-वन मुलाकात कर रहे हैं। ऐसे में सबके मन में यही सवाल है कि आखिर नीतीश के मन में चल क्या रहा है? ये समझना बेहद कठिन है। लेकिन नीतीश की मन की बात उनके पहले के फैसलों के आधार पर कुछ हद तक टटोला जा सकता है। बिहार की सियासत में तब से कयासबाजियों का दौर और तेज हो गया है जब से राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मिलकर दिल्ली वापस लौटे हैं। 

चर्चा तेज होने के साथ राजनीतिक गलियारों में यही सवाल पूछा जा रहा है कि क्या नीतीश कुमार महागठबंधन को छोड़ फिर एनडीए के पाले में जा सकते हैं? लगातार कहा जा रहा है कि बिहार की राजनीति में कभी भी ‘खेला’ हो सकता है, यानी नीतीश कुमार कभी भी पाला बदल सकते हैं। जानकारों का कहना है कि नीतीश कुमार जब-जब पूरी तरह खामोश हो जाते हैं, तबतब कुछ नया गुल खिल जाता है। वह किसी तरह का कोई बयान नहीं देते हैं। अपने नेताओं से अकेले में मुलाकात करते हैं और ज्यादा होने पर वे पटना से बाहर चले जाते हैं। फिलहाल इनमें दो स्थितियां बन गई हैं। वे खामोश हैं और नेताओं से मिल रहे हैं।

इस सियासी उथल-पुथल के बीच नीतीश कुमार ने पहले अपने नेताओं से मिलकर उनका विश्वास जीत लिया। उन्हें यकीन दिलाया कि उनके नेता उनके साथ हैं। इस बैठक में वे अपने नेताओं से इस बात का फीडबैक ले रहे हैं कि ग्राउंड पर विपक्षी एकता की उनकी पहल पर लोग क्या बातें कर रहे हैं? नरेंद्र मोदी के बारे में लोगों की क्या राय है? भाजपा के बारे में लोग क्या बात कर रहे हैं? इसके बाद उन्होंने नेताओं को चुनाव की तैयारी का संदेश भी दे दिया। यहीं से महागठबंधन को भी साइलेंट मैसेज दे दिया कि वे कभी भी साथ छोड़ सकते हैं। इसके बाद से ही राजद बैकफुट पर आ गई। सूत्रों के मुताबिक, तेजस्वी यादव को मुख्यमंत्री बनाने का जो दबाव उन पर बनाया जा रहा था वो इन बैठकों के बाद कम हुआ है। बाकी का दबाव उनके खिलाफ दायर सीबीआई की चार्जशीट के बाद कम हो गया।

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