बिहारः राजभवन और नीतीश सरकार के बीच टकाराव तेज!, विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर विवाद, जानें क्या है पूरा मामला

By एस पी सिन्हा | Updated: August 23, 2023 14:53 IST2023-08-23T14:52:29+5:302023-08-23T14:53:32+5:30

राजभवन ने पहले ही कुलपतियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाल रखा है। इस बीच बिहार सरकार ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर को किनारे लगा कर खुद नियुक्ति का विज्ञापन निकाल दिया है। 

Bihar Raj Bhavan and Nitish government Confrontation Rajendra Vishwanath Arlekar vs cm nitish kumar Controversy appointment Vice Chancellor in universities | बिहारः राजभवन और नीतीश सरकार के बीच टकाराव तेज!, विश्वविद्यालयों में कुलपति नियुक्ति को लेकर विवाद, जानें क्या है पूरा मामला

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Highlightsइतिहास में पहली दफे सरकार ने विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खुद आवेदन मांग लिया है।कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल ही करते रहे हैं।सरकार राज्यपाल को नजरअंदाज करते हुए खुद ही कुलपतियों को नियुक्त करना चाहती है।

पटनाः केंद्र सरकार से सियासी लड़ाई लड़ रहे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने क्या अब राजभवन से टकराव के मूड में हैं? ऐसा इसलिए कहा जाने लगा है क्योंकि नीतीश सरकार और राजभवन के बीच टकराव बढ़ता जा रहा है। बिहार के इतिहास में पहली दफे सरकार ने विश्वविद्यालयों में कुलपतियों की नियुक्ति के लिए खुद आवेदन मांग लिया है।

जबकि राजभवन ने पहले ही कुलपतियों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकाल रखा है। इसबीच बिहार सरकार ने राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर को किनारे लगा कर खुद नियुक्ति का विज्ञापन निकाल दिया है। बता दें कि राज्यपाल ही बिहार के विश्वविद्यालयों के चांसलर यानि कुलाधिपति होते हैं। कुलपतियों की नियुक्ति राज्यपाल ही करते रहे हैं।

लेकिन सरकार राज्यपाल को नजरअंदाज करते हुए खुद ही कुलपतियों को नियुक्त करना चाहती है। इस तरह राजभवन और सरकार के बीच टकराव की स्थिति और गंभीर होती दिख रही है। पहले शिक्षा विभाग ने एक कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोका। राजभवन ने इस रोक पर रोक लगाई तो शिक्षा विभाग ने राजभवन द्वारा लगाई रोक को मानने से इनकार कर दिया।

राज्य सरकार पर विश्वविद्यालयों से राजभवन का नियंत्रण समाप्त करने के आरोप इसलिए लगे हैं क्योंकि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग के राज्य के सात विश्वविद्यालयों में कुलपति पद के लिए आवेदन मांगे हैं। आवेदन के लिए 13 सितंबर की तिथि भी तय कर दी गई है।

आवेदक ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से आवेदन कर सकते हैं, लेकिन विवाद इस बात को लेकर है कि आखिर शिक्षा विभाग ने आवेदन मांगे ही क्यों? क्योंकि अब तक आवेदन की प्रक्रिया राजभवन द्वारा मांगी जाती थी। इस बार भी राजभवन ने अगस्त माह में आवेदन पहले ही जारी कर दिया है तो शिक्षा विभाग अलग से आवेदन क्यों मांग रहा है?

अब बिहार सरकार का नया फरमान उस दिशा की ओर बढ़ रहा है, जो अगर सफल होता है कि राज्य के विश्वविद्यालय राजभवन के नियंत्रण से बाहर हो सकते हैं। वैसे यह प्रयास बिहार में पहली बार नहीं हुआ है। पहले ही राज्य सरकार तीन विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति का पद मुख्यमंत्री को दे चुकी है।

अब नई तैयारी अन्य विश्वविद्यालयों को भी राजभवन के नियंत्रण से बाहर करने की है। बिहार में नियमावली यह रही है कि राज्य सरकार की सलाह के साथ कुलाधिपति कुलपतियों और प्रतिकुलपतियों की नियुक्ति करते हैं। इसके लिए सर्च कमेटी होती है, जो नामों का पैनल तैयार करती है। वैसे शिक्षा विभाग ने जो आवेदन मंगाए हैं, उसमें भी सर्च कमेटी की बात कही गई है।

जिन विश्वविद्यालय के कुलपति के लिए आवेदन मांगे गे हैं उनमें पटना विश्वविद्यालय, पटना, जयप्रकाश विश्वविद्यालय, छपरा, बीआरए बिहार विश्वविद्यालय, मुजफ्फरपुर, एलएन मिथिला विश्वविद्यालय, दरभंगा, केएसडीएस संस्कृत विश्वविद्यालय, दरभंगा, बीएनमंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा, आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय, पटना है। अब देखना होगा कि शिक्षा विभाग और राज्यपाल के बीच टकराव का क्या हल निकलता है।

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