बिहार: शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की बढ़ी मुश्किलें, कार्य प्रणाली पर राज्यपाल ने उठाया सवाल
By एस पी सिन्हा | Published: September 5, 2023 03:50 PM2023-09-05T15:50:30+5:302023-09-05T15:52:46+5:30
राज्यपाल ने कहा कि राजभवन और सरकार के बीच किसी भी तरह का कोई टकराव या तनातनी नहीं है। विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर सवाल उठाने को लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया।
पटना: शिक्षक दिवस के मौके पर पटना विश्वविद्यालय में आयोजित एक कार्यक्रम में बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर ने सभा को संबोधित करते हुए शिक्षा विभाग से जारी टकराव का जिक्र किया।
उन्होंने बगैर नाम लिए शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक की कार्य प्रणाली और हाल में शिक्षा विभाग द्वारा राज भवन को लिखे गए पत्रों पर कड़ी आपत्ति जाहिर की।
राज्यपाल ने कहा कि राजभवन और सरकार के बीच किसी भी तरह का कोई टकराव या तनातनी नहीं है। विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता पर सवाल उठाने को लेकर उन्होंने शिक्षा विभाग को कटघरे में खड़ा किया।
राज्यपाल ने कहा कि विभाग जब कुलाधिपति की सहायता पर ऐसे सवाल उठा सकता है, वह कुलपति और शिक्षकों का क्या सम्मान करेगा? उन्होंने यह भी कहा कि उनके और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच कोई विवाद नहीं है।
राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की तारीफ करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वयं एक दृष्टि से शिक्षक भी हैं। लेकिन मेरे और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच कोई तनाव नहीं है। हम दोनों इकट्ठा बैठकर विचार कर सकते हैं और इस विषय पर समाधान निकाल भी सकते हैं, ये मेरा विश्वास है।
राज्यपाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय को अपना मानकर पूरे देश के मानचित्र पर फिर से वापस लाने की अपेक्षा कर रहे हैं। इसका कारण यह है कि यहां के शिक्षकों ने समर्पित भाव से योगदान दिया है। शिक्षकों का समर्पण भाव बहुत ही आवश्यक होता है।
राज्यपाल ने कहा कि यह सोचने की जरूरत है कि हमारे पास इतने आयोग और संसाधन है तो फिर शिक्षकों को आंदोलन क्यों करना पड़ रहा है? उन्हें सड़क पर क्यों उतरना पड़ रहा है? उन्होंने कहा कि शिक्षकों को हमेशा ऊपर रखने की जरूरत होती है। जब प्रशासन के लोग कुलपति हों या किसी अन्य शिक्षकों को अपने यहां बुलाकर अपमानित करने लगते हैं, तब पीड़ा होती है।
शिक्षक का सम्मान करने की आवश्यकता होती है। शिक्षक दिवस मनाने से कुछ नहीं होगा, अपनी मानसिकता बदलनी होगी। लिहाजा किसी भी अधिकारी को शिक्षकों से अधिक ढंग से पेश होना होगा।
हमारे यहां शिक्षकों की कमी है, उसकी ओर ध्यान देने की जरूरत है। इसे काफी गंभीरता से लेने की जरूरत है। ये समस्या का हल तब होगा, जब प्रशासन में बैठे अधिकारी शिक्षकों के प्रति ठीक ढंग का भाव रखेंगे, तब कोई समस्या नहीं होगी। मुझे कई मेल और पत्र आते हैं कि आखिर ऐसा क्यों व्यवहार हो रहा है? इसपर हम सभी को विचार करने की जरूरत है।