टाटा मोटर्स की बढ़ी मुसीबत, कार के माइलेज को लेकर किया झूठा वादा, फोरम ने ग्राहक को दिलवाया इतने लाख का हर्जाना
By रजनीश | Updated: March 6, 2020 17:58 IST2020-03-06T17:58:46+5:302020-03-06T17:58:46+5:30
नए नियमों के मुताबिक वाहन निर्माता कंपनियों स्पष्ट तौर पर बताने के लिए कहा गया है कि कंपनी की तरफ से ग्राहकों से माइलेज को लेकर किया गया दावा वास्तविक परिस्थितियों में अलग हो सकता है। इससे पारदर्शिता आएगी और खरीदार झूठे दावों में नहीं फंसेगा। क्योंकि कई मामलों में कंपनियां खरीदारों को आकर्षित करने के लिए ऐसा करती हैं।

प्रतीकात्मक फोटो
दो-पहिया या चार पहिया वाहन खरीदते समय जिस बारे में लोग सबसे ज्यादा बात करते हैं वह उसके माइलेज के बारे में। कार कंपनियां भी लोगों की इस भावना को देखते हुए माइलेज को काफी ज्यादा प्रचारित करती हैं। कई बार कंपनियां ज्यादा से ज्यादा माइलेज बताकर ग्राहकों को किसी खास वाहन को खरीदने के लिए लुभाते भी हैं। लेकिन ऐसा ही एक मामला एक वाहन निर्माता कंपनी के लिए भारी पड़ गया।
देश की बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स को 3.5 लाख रुपये जुर्माना देने का आदेश हुआ है। टाटा मोटर्स पर यह जुर्माना गलत और भ्रामक जानकारी देने के चलते लगाया गया है। आपको बताते हैं क्या है पूरा मामला...
कोलकाता के रहने वाले प्रदीप्ता कुंडु ने साल 2011 में टाटा की इंडिगो कार खरीदी थी। इस कार को खरीदने के पीछे का कारण उन्होंने इसके माइलेज को बताया। उन्होंने कहा कि अखबार में उन्हें एक विज्ञापन दिखा जिसमें दावा किया गया था कि यह कार 25 किमी प्रति लीटर का माइलेज देती है। विज्ञापन में टाटा मोटर्स ने इंडिगो कार को देश की सबसे फ्यूल एफिशियंट कार होने का दावा किया था।
माइलेज से हुए परेशान
पीटीआई की रिपोर्ट के मुताबिक कुंडु ने कार खरीद ली और लेकिन वे कम माइलेज से परेशान हो गए। जिसके बाद उन्होंने कंपनी से संपर्क किया और कार बदलने का अनुरोध किया। कंपनी ने कार मालिक के अनुरोध को ठुकरा दिया। इस पर कार मालिक ने कंपनी के खिलाफ कंज्यूमर फोरम में शिकायत कर दिया।
इस पूरे मामले की सुनवाई के दौरान नेशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट्स रिड्रेसल कमीशन (NCDRC) ने कंपनी को दोषी मानते हुए पाया कि वाहन निर्माता कंपनी ने भ्रामक प्रचार का सहारा लिया और विज्ञापन में झूठे दावे किए। उन्होंने टाटा मोटर्स को उस कार की पूरी कीमत (4.8 लाख रुपये) और साथ ही अलग से 2 लाख रुपये हर्जाना देने का भी आदेश दिया। इसके अलावा राज्य उपभोक्ता कल्याण निधि में क्षतिमूल्य के तौर पर 1.5 लाख रुपये जमा कराने का आदेश भी दिया।
हालांकि इस पूरे मामले में टाटा मोटर्स ने भी डिस्ट्रिक्ट फोरम के आदेश के खिलाफ स्टेट कंज्यूमर फोरम का रुख किया। टाटा मोटर्स को स्टेट कंज्यूमर फोरम से कोई राहत नहीं मिली। NCDRC ने टाटा मोटर्स की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया और डिस्ट्रिक्ट और स्टेट कंज्यूमर फोरम के फैसले को बरकरार रखा। डिस्ट्रिक्ट कंज्यूमर फोरम ने टाटा मोटर्स के वाहन की कीमत 4.8 लाख रुपये और पांच लाख रुपये का मुआवजा और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
नए नियमों के मुताबिक वाहन निर्माता कंपनियों स्पष्ट तौर पर बताएं कि कंपनी से दावा किया गया माइलेज वास्तविक परिस्थितियों में अलग हो सकता है। इससे पारदर्शिता आएगी और खरीदार झूठे दावों में नहीं फंसेगा। क्योंकि कई मामलों में कंपनियां खरीदारों को आकर्षित करने के लिए ऐसा करती हैं।