लॉकडाउन के दौरान सड़क और रेल दुर्घटनाओं में कमी, साल 2018 में हुई थी 1,51,400 लोगों की मौत
By रजनीश | Published: May 1, 2020 10:55 AM2020-05-01T10:55:18+5:302020-05-01T10:56:05+5:30
असम के स्वास्थ मंत्री डॉ हेमंत बिस्व सर्मा ने कहा कि सड़क दुर्घटना के मामलों के साथ ही शराब या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले स्ट्रोक और हर्ट अटैक के मरीजों की भी संख्या कम हुई है।
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए देशभर में लॉकडाउन चल रहा है। इसके चलते बेवजह लोगों के घरों से बाहर निकलने पर रोक है। इस दौरान सड़क दुर्घटना के मामलों बहुत कम हुए। कोरोना वायरस से होने वाली मौतों को छोड़ दें तो सड़क यातायात से होने वाली दुर्घटनाओं और उससे होने वाली मौतों की संख्या कम हुई है।
रॉयटर्स की खबर के मुताबिक नगर निगम के आंकड़ों के मुताबिक सेंट्रल मुंबई जहां लगभग 1 करोड़ 20 लाख (12 मिलियन) लोग रहते हैं वहां साल 2019 के मार्च महीने की तुलना में मार्च 2020 में मृत्यु दर की संख्या में 21 परसेंट की गिरावट देखी गई है।
इस दौरान अधा दर्जन से अधिक ऐसी दुकानें जो अंतिम संस्करों और श्मशान से जुड़े व्यवसाय में लगी हैं उनके व्यापार में भी अप्रैल में मंदी की जानकारी मिली।
रॉयटर्स से बात करते हुए पबल्कि हेल्थ फाउंडेशन ऑफ इंडिया के महामारी विज्ञान के प्रोफेसर गिरिधर बाबू ने कहा कि इस दौरान कोरोना वायरस के चलते होने वाली मौतों में वृद्धि को अनदेखा नहीं किया जा सकता। ऐसा करने के घातक परिणाम हो सकते हैं। हालांकि डॉक्टरों, अधिकारियों और श्मशान से जुड़े कर्मचारियों के मुताबिक रोड और रेल दुर्घटनाओं में कमी आई है।
असम के स्वास्थ मंत्री डॉ हेमंत बिस्व सर्मा ने कहा कि सड़क दुर्घटना के मामलों के साथ ही शराब या अन्य नशीले पदार्थों के सेवन से होने वाले स्ट्रोक और हर्ट अटैक के मरीजों की भी संख्या कम हुई है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 में सड़क दुर्घटनाओं में 1,51,400 से अधिक लोग मारे गए। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय के डायरेक्टर परेश कुमार गोयल ने कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन जो कि 3 मई तक है इशके चलते 2018 की तुलना में इस साल सड़क दुर्घटना में होने वाली मौतों में कम से कम 15 परसेंट की कमी होगी।
ट्रेनों से भी कई दुर्घटनाएं होती रहती हैं जिनमें अब तक कई लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले मुंबई में आमतौर पर हर दिन लगभग आधा दर्जन से अधिक लोग रेल दुर्घटनाओं में मर जाते हैं।
उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के तट पर श्मशान के प्रभारी नीरज कुमार ने कहा कि उनके पास हर दिन कम से कम दुर्घटना से जुड़े 10 शव आते थे। इनमें से कई हत्या के मामलों से जुड़े होते थे। लॉकडाउन के बाद उनके केवल प्राकृतिक मौते के मामले ही आ रहे हैं। यहां एक दिन 30 शवों का दाह संस्कार किया जाता था लेकिन 22 मार्च से अब तक केवल 43 लोगों का अंतिम संस्कार किया गया।
अधिकारियों का कहना है कि पहली बात तो लॉकडाउन में अपराधी घरों में बंद हैं इसके अलावा मौतों की संख्या कम इसलिए भी हो सकती है क्योंकि इस समय डेथ को रिपोर्ट करने में भी कठिनाई है।