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डिस्काउंट के चक्कर में कार, बाइक खरीद कर फंस गए हजारों लोग, एक गलती से रुका गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन

By रजनीश | Published: July 10, 2020 6:13 PM

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2018 में कहा था कि एक अप्रैल, 2020 से भारत में बीएस-IV मानक वाले वाहनों की बिक्री और पंजीकरण नहीं होगा। केन्द्र ने 2016 में घोषणा की थी कि भारत बीएस-V मानक की बजाय 2020 से बीएस-VI मानक अपनायेगा। 

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ठळक मुद्देबीएस-4 वाहनों की खरीदारी के लिए जो टेंपरेरी नंबर लिए गए थे, वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बदले जा रहे हैं। पीठ ने कहा कि भारत सरकार के ई-वाहन पोर्टल पर 17,000 से अधिक वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया गया है पीठ ने कहा कि वह सरकार से कहेगी कि ई-वाहनों के आंकड़ों की जांच करे। 

कई बार डिस्काउंट में ग्राहकों का फायदा हो जाता है और कई बार यही डिस्काउंट लोगों को मुश्किल में भी डाल देते हैं। ऐसी ही मुश्किल में बीएस-4 वाहन खरीदने वाले कुछ लोग फंस गए हैं। दरअसल सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक यह साफ हो गया था कि देशभर में 1 अप्रैल 2020 से बीएस-4 नॉर्म्स इंजन वाले वाहनों की बिक्री बंद हो जाएगी। 

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को देखते हुए वाहन निर्माता कंपनियों ने अपने वाहनों को काफी पहले से ही बीएस-6 में अपग्रेड करना भी शुरू कर दिया था। लेकिन कंपनियों के पास बीएस-4 कार औऱ बाइक्स के काफी स्टॉक बचे हुए भी थे। 

अपने इस बीएस-4 स्टॉक को क्लियर करने के लिए कंपनियों ने ग्राहकों को कई तरह के डिस्काउंट भी दिए। लेकिन अब लोगों के लिए यही ऑफर मुसीबत बन गया है। 

दिल्ली से बाहर कराना चाहते थे रजिस्ट्रेशनडिस्काउंट के चक्कर में कई ग्राहकों ने बीएस-4 वाहन खरीद लिए और दिल्ली-एनसीआर से बाहर रजिस्ट्रेशन कराने की तैयारी में थे। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों की दी गई छूट को अचानक से वापस ले लिया, जिसके चलते कई ग्राहकों मुसीबत में आ गए। यह बात पहले ही साफ कर दी गई थी कि दिल्ली-एनसीआर में 31 मार्च के बाद से बीएस-4 वाहनों की बिक्री पर रोक है। इस कारण लोग एनसीआर के बाहर से वाहन खरीद रहे थे।

ग्राहकों की परेशानीइस पूरे मामले में मुसीबत में फंसे ग्राहकों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर के बाहर रजिस्ट्रेशन करवाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने पहले 10 दिनों का समय दिया था। अब कोर्ट ने अचानक से फैसला बदल दिया। ऐसे में वाहन खरीद चुके ग्राहकों के लिए रजिस्ट्रेशन करवाना मुश्किल हो गया है। इस मामले में अधिकारियों का कहना है कि दिल्ली-एनसीआर में 31 मार्च के बाद खरीदे गए किसी भी वाहन का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा।

शुरू हुई दलालों की एंट्रीदिल्ली-एनसीआर से बाहर जिन ग्राहकों ने बीएस-4 वाहन खरीदे हैं, अब वे रजिस्ट्रेशन के लिए दलालों से संपर्क साध रहे हैं। दलालों की तरफ से बैक डेट में रजिस्ट्रेशन करवाया जा रहा है। इसके बदले दलाल ग्राहकों से मोटी रकम भी ले रहे हैं।

रजिस्ट्रेशन के नाम पर हो रहा है ये खेलबीएस-4 वाहनों की खरीदारी के लिए जो टेंपरेरी नंबर लिए गए थे, वो सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद बदले जा रहे हैं। इसको लेकर दलालों की तरफ से कई जिलों में सेटिंग का खेल भी जारी है। दलाल टेंपरेरी नंबर के लिए डीलर से लेकर आरटीओ ऑफिस से संपर्क में बने हुए हैं। ऐसे में जहां की सेटिंग हो रही है, उस जिले का टेंपरेरी नंबर दिया जा रहा है।

साल 2018 में ही पारित कर दिया गया था आदेशपीठ ने कहा कि मार्च के अंतिम सप्ताह और 31 मार्च के बाद भी बेचे गये बीएस-4 मानक वाले वाहनों के पंजीकरण के लिये अब आदेश का अनुरोध किया जा रहा है जबकि वह आदेश 2018 में पारित किया गया था। 

एसोसिएशन के वकील ने न्यायालय के पहले के आदेश का हवाला देते हुये कहा कि शीर्ष अदालत ने कहा था कि अगर बीएस-IV मानक वाले वाहनों की बिक्री 31 मार्च से पहले होती है तो उनका पंजीकरण किया जायेगा। इस पर पीठ ने पूछा कि डीलरों ने मार्च में लॉकडाउन के दौरान ये वाहन कैसे बेचे। 

पीठ ने कहा कि भारत सरकार के ई-वाहन पोर्टल पर 17,000 से अधिक वाहनों का विवरण अपलोड नहीं किया गया है पीठ ने कहा कि वह सरकार से कहेगी कि ई-वाहनों के आंकड़ों की जांच करे। 

23 जुलाई को होगी अगली सुनवाईइस मामले में एक सुनवाई में पीठ ने कहा कि वह सिर्फ उन्हीं वाहनों के पंजीकरण की अनुमति देगी जिनका विवरण 31 मार्च तक ई-वाहन पोर्टल पर अपलोड किया जा चुका था। इसके साथ ही न्यायालय ने आटोमोबाइल डीलर्स एसोसिएशन से कहा कि वह बेचे गये वाहनों का विवरण सरकार को मुहैया कराये। न्यायलाय इस मामले में अब 23 जुलाई को आगे सुनवाई करेगा। 

शीर्ष अदालत ने अक्टूबर, 2018 में कहा था कि एक अप्रैल, 2020 से भारत में बीएस-4 मानक वाले वाहनों की बिक्री और पंजीकरण नहीं होगा। केन्द्र ने 2016 में घोषणा की थी कि भारत बीएस-5 मानक की बजाय 2020 से बीएस-6 मानक अपनायेगा। 

इस साल मार्च मे न्यायालय को सूचित किया गया था कि स्टाक में इस समय बीएस-IV मानक वाले बचे हुये वाहनों में करीब सात लाख दुपहिया, 15,000 कारें और 12,000 वाणिज्यिक वाहन शामिल है। इसी तरह न्यायालय को यह भी बताया गया था कि 1,05,000 दुपहिया, 2,250 यात्री कारें और 2000 वाणिज्यिक वाहनों की बिक्री हुयी थी लेकिन उनका पंजीकरण नहीं हुआ था।

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