फेल होता दिखा FASTag, सहूलियत की जगह बढ़ी लोगों की मुसीबतें
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: December 17, 2019 12:44 PM2019-12-17T12:44:56+5:302019-12-17T12:44:56+5:30
फास्टैग लागू हुए आज तीसरा दिन है और अब इससे जुड़ी खामियां भी सामने आने लगी हैं। फिलहाल शुरुआती दौर में जहां इसका इस्तेमाल समय बचाने, ट्रैफिक से राहत पाने के लिये बताया जा रहा था टेक्निकल प्रॉब्लम के चलते इसका उल्टा हो रहा है।
फास्टैग काफी समय से चर्चा में है। पहले यह 1 दिसंबर से लागू होना था जिसकी समयसीमा बढ़ाकर 15 दिसंबर कर दिया गया था। 15 दिसंबर से यह लागू तो हो गया लेकिन इसके लागू होने के 1 दिन के भीतर ही इसकी खामियां भी सामने आने लगी। फास्टैग को कार या अन्य वाहनों की विंडस्क्रीन पर लगाया जाता है जिसके जरिये टोल गेट पर ऑटोमैटिक तरीके से चार्ज कट जाता है। इसका उद्देश्य कैशलेस तरीके से टोल वसूलना और लोगों को टोल के समय लगने वाले जाम से राहत दिलाने का था।
फास्टैग लागू होने के एक दिन बाद इसके उद्देश्य पूरे होते तो नहीं दिखे बल्कि पहले से ज्यादा ही परेशानी बढ़ती दिखी। TOI की खबर के मुताबिक लोगों ने इस सिस्टम में तकनीकी खामी की महसूस की। फास्टैग रीड करने वाले सिस्टम जिसे RFID रीडर्स कहते हैं वह सही से काम नहीं कर रहा था, कुछ जगहों का काम कर भी रहा था तो स्पीड बहुत धीमी थी। नया सिस्टम होने की वजह से टोल कर्मियों को भी इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं थी।
नेशनल हाईवे (NH)-24, NH-24B, NH-25 और NH-27 के टोल प्लाजा से गुजरने वाले लोगों को भी परेशानियों का सामना करना पड़ा। लखनऊ और बाराबंकी को जोड़ने वाले नेशनल हाईवे-27 के अहमदपुर टोल प्लाजा से गुजरने वाले तरुण ने बताया कि वो 20 मिनट तक टोल पर फंसे रहे। कार की विंडस्क्रीन पर लगे टैग को कैमरा रीड नहीं कर रहा था और टोलकर्मी उनसे सामान्य टोल चार्ज से दोगुना पैसा मांग रहे थे।
मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवे के मुताबिक जिनके वाहनों में फास्टैग नही होगा उनसे डबल चार्ज वसूला जाएगा। जबकि कहा गया था कि एक हाइब्रिड लेन होगी जो उन वाहनों के लिए होगी जिसका इस्तेमाल बिना फास्टैग वाले वाहन कर सकेंगे।
टीओआई की खबर के मुताबिक नमन सारस्वत नाम के एक अन्य शख्स ने कहा कि प्रीपेड टैग के इस्तेमाल से समय बचाने की बात कही गई थी लेकिन इसका उल्टा हो रहा है। मैं 30 मिनट से लाइन में अपनी बारी का इंतजार कर रहा हूं और आधे घंटे अभी और लग सकते हैं। नमन ने कहा कि जैसा वादा किया गया था उसके मुताबिक हाइब्रिड लेन होना चाहिये जो कि नहीं है। नमन को एक मीटिंग में पहुंचना था।
दक्खिन टोल प्लाजा पर ऐसी ही परेशानी झेलने वाले हर्ष कैलाश का कहना है कि टैग को स्कैन से जुड़ी समस्या सभी जगह है और टोल गेट स्टाफ के पास इसका कोई जवाब नहीं है।
हालांकि इसके प्रॉजेक्ट मैनेजर जवाब देने के लिये उपलब्ध नहीं थे लेकिन लखनऊ स्थित एक एनएचएआई अधिकारी ने कहा कि नई तकनीक जब आती है तो उसमें थोड़ी बहुत कुछ दिक्कतें होती हैं। अधिकतर कर्मचारियों के लिये यह नई तकनीक है। समस्याओं में सुधार किया जा रहा है।